अद्भुत भाग-14



जहांसे सिग्नल आ रहे थे उस जगहके आसपास सॅम और उसकी टीम आकर पहूंच गई. वह एक वेअरहाऊस था. और वेअरहाऊसके सामने और आसपास काफी खुला मैदान था.


'' कॉम्प्यूटरपर तो यही जगह दिखाई दे रही थी ... मतलब यहीं वेअरहाऊसमेही कातिल छूपा हूवा होना चाहिए.'' सॅम अपने पासके नक्शेपर और वेअर हाऊसके आसपासका इलाका देखकर बोला.


ड्रायव्हरने सॅमकी तरफ उसके अगले आदेशके इंतजारमें देखा.


'' गाडी वेअरहाऊसके कंपाऊंडमें लो '' सॅमने ड्रायव्हरको आदेश दिया.


'' यस सर '' ड्रायव्हरने कहा और उसने गाडी वेअर हाऊसके खाली मैदानमें घुसाई.


उनके पिछे आनेवाली गाडीयांभी उनके पिछे पिछे उस खाली मैदानमें घुस गई.


सॅमके गाडीके पिछे सब गाडीयां वेअरहाऊसके सामने रुक गई. गाडी रोकनेके बाद सॅमने अपने वायरलेसपर कब्जा किया.


'' ट्रूप2, ट्रूप3 तुरंत वेअरहाऊसको चारों तरफसे घेर लो '' गाडीसे उतरते वक्त सॅम वायरलेसपर आदेश देने लगा.


उसके साथीभी जल्दी जल्दी गाडीसे उतरने लगे.


'' ट्रूप2 वेअरहाऊसके दाई तरफसे और ट्रूप3 बाई तरफसे वेअर हाऊसको घेर लो.'' उनकी गडबडी ना हो इसलिए सॅमने अपने आदेशका खुलासा किया.


गाडीसे उतरनेके बाद ट्रूप2ने वेअरहाउसके दायी तरफसे तो ट्रूप3ने बायी तरफसे वेअर हाऊसको पुरी तरह घेर लिया. कातिल अगर वेअर हाऊसमें छुपा होगा और उसे भागकर जाना हो तो उसे इन्होने बनाई यह दिवार भेदकर जाना पडेगा. और वह लगभग नामुमकीन था.


अपने दोनो ट्रूपने अच्छी और पुरी तरहसे वेअर हाउसको घेरनेकी तसल्ली होनेके बाद सॅम अपने साथवाले ट्रूपके साथ, वेअरहाऊसके दरवाजेके पास लगभग दौडते हूए ही गया.


'' ट्रूप1 अब वेअरहाऊसमें घुसनेवाला है ... सबलोग तैयार रहो... अंदर कितने लोग होगे इसका अभीतक कोई अनुमान नही लगाया जा सकता है ...'' सॅमने फिरसे एकबार सबको सतर्क रहनेकी ताकीद दी.


वेअरहाऊसमें एक जगह कॉम्प्यूटर का मॉनिटर चमक रहा था वह जगह छोडकर बाकी सब तरफ अंधेरा था. उस कॉम्प्यूटरके सामने एक उधर मुंह किए एक साया खडा था और उसकी अपना सामान बॅगमे भरनेकी गडबड चल रही थी. सब कत्लतो हो चूके थे. अब उसकी भाग जाने की तैयारी दिख रही थी. अचानक सामान भरते हूए वह रुक गया. उसे वेअरहाऊसके बाहर या अंदर कोई हरकत महसूस हूई होगी. वह वैसेही उधर मुंह कर खडा होकर गौरसे सुननेकी कोशीश करने लगा.


सब काम तो अब ठिक ढंगसे हो चूके है... और अब मुझे क्यूं अलग अलग भ्रम हो रहे है...


अबतक कोई मुझे कोई पकड नही पाया जो अब पकड पाएगा... .


वैसे मेरी प्लॅनीग कोई कम फुलप्रुफ नही थी...


उसने अपने दिमागमें चल रही विचारोंकी कश्मकश झटककर दूर की और फिरसे अपने काममें व्यस्त होगया.


अचानक उसे पिछेसे आवाज आया, '' हॅन्डस अप.. यू आर अंडर अरेस्ट''


उसने चतूरतासे अपने बॅगसे कुछ, शायद कोई हथीयार निकालनेकि कोशीश की.


लेकिन उससे जादा चतूराईसे और तेजीसे डिटेक्टीव्ह सॅमने उसके आसपास बंदूककी गोलीयोंकी बरसात कर मानो एक लक्ष्मणरेखा बनाई.


'' जादा होशीयारी करनेका प्रयास मत करो... '' सॅमने उसे ताकीद दी.


उसके हाथसे वह जो भर रहा था वह बॅग निचे गिर गई और उसने अपने दोनो हाथ उपर किये. धीरे धीरे वह सॅमकी तरफ मुडने लगा.


वह जैसेही मुडने लगा. सॅम मनही मन अनुमान लगाने लगा.


वह कौन होगा ?...


और यह सारे कत्ल उसने क्यों किये होंगे?...


जैसेही वह पुरी तरह सॅमकी तरफ मुडा, वहां मॉनिटरके रोशनीमें उसका चेहरा दिखने लगा.


डिटेक्टीव्ह सॅमके चेहरेपर आश्चर्यके भाव दिखने लगे.


वह दूसरा तिसरा कोई ना होकर ऍन्थोनी था, जॉन और नॅन्सीका दोस्त, क्लासमेट !


उसे याद आयाकी उसने नॅन्सी और जॉनके क्लासके गृप फोटोमें इसे देखा था.


डिटेक्टीव्ह सॅमको एक सवालका जवाब मिल गया था. लेकिन उसका दुसरा सवाल ' यह सारे खुन उसने क्यों किए होंगे?'' का जवाब अबभी बाकी था.


डिटेक्टीव्ह सॅम और उसके साथी धीरे धीरे आगे खिसकने लगे. सॅमने वायरलेसपर कातिलको पकडनेकी खबर सारे टीमको दी. उन्होने ऍंन्थोनीको चारो तरफसे घेर लिया.
सॅम और उसका साथीदार अबभी ऍन्थोनीको घेरकर खडे थे. ऍन्थोनीका प्रतिरोध अब पुरी तरह खत्म हो चूका था. सॅमके दो साथीयोंने उसे हथकडीयां लगाकर अपने कब्जेमें लिया था. सॅम उसे वहीं सवालपर सवाल पुछे जा रहा था. आखीर एक सवाल अबतक सबको परेशान कर रहा था. सॅमकोभी लग रहा था की बादकी तहकिकात जब होगी तब होगी. कमसे कम सबको परेशान कर रहे सवाल का जवाब यही मिलना चाहिए. की क्यो? क्यो ऍन्थोनीने उन चार लोगोंका कत्ल किया ?


ऍन्थोनीकेभी अब पुरी तरह खयालमें आया था की उसे अब सबकुछ बतानेके अलावा कुछ चारा नही था. वह सबकुछ किसी तोतेकी तरह बताने लगा...




.... वे पुराने जॉन, नॅन्सी और ऍन्थोनीके कॉलेजके दिन थे. क्लासमें प्रोफेसर पढा रहे थे और विद्यार्थीयोंमे जॉन, नॅन्सी और ऍंथोनी क्लासमें अलग अलग जगह पर बैठे हूए थे. ऍथोनीने सामने देखते हूए, प्रोफेसरका खयाल अपने तरफ नही है इसकी तसल्ली कर छूपकेसे एक कटाक्ष नॅन्सीकी तरफ डाला. लेकिन यह क्या? वह उसके तरफ ना देखते हूए छूपकर जॉनकी तरफ देख रही थी. वह आग बबुला होने लगा था.


मै इस क्लासका एक होनहार विद्यार्थी...


एकसे एक लडकियां मुझपर मरनेके लिए तैयार ...


लेकिन जिसपर अपना दिल आया वह मेरे तरफ देखनेके लिए भी तैयार नही है? ...


उसके अहमको ठेंस पहूच रही थी.


नही यह होना मुमकीन नही...


शायद उसे अपना दिल उसपर आया है यह पता नही होगा...


उसे यह जताना और बताना जरुरी है ...


उसे यह मालून होनेके बाद वह अपनेआप मुझपर मरने लगेगी...


सोचते हूए उसने मनही मन कुछ तय किया.


दौपहरका वक्त था. कॉलेज अभी अभी छूटा था और नॅन्सी अपने घर वापस जा रही थी. ऍंथोनी पिछेसे तेजीसे चलते हूए उसके पास पहूंचनेका प्रयास कर रहा था. वह उसके नजदिक पहूंचतेही उसने पिछेसे उसे आवाज दिया, '' नॅन्सी''


पिछेसे आया आवाज सुनतेही वह रुक गई और मुडकर पिछे देखने लगी. ऍन्थोनी जॉगींग किये जैसा झटसे उसके पास पहूंच गया.


'' क्या? ... ऍन्थोनी'' उसने आश्चर्यसे उसे पुछा.


क्योंकी वह सामान्य रुपसे किसीसे बात नही करता था.


और आज ऐसा पिछे पिछे दौडकर आते हूए अपनेसे बात कर रहा है ...


वह क्लासमें टॉप होनेसे उसे उसके प्रती एक आदर था. उसेही क्यूं क्लासके सारे लडके लडकियोंको उसके प्रती आदर था.


'' नही ... मतलब ... तुमसे एक जरुरी बात करनी थी '' उसने कहा.


नॅन्सीने उसके चेहरेकी तरफ गौरसे देखा और उसे उससे क्या बात करनी होगी यह वह समझनेकी कोशीश करने लगी. अब दोनो साथ साथ चलने लगे थे.


'' नही ... मतलब ... ऍक्चूअली..'' वह सही शब्दोंको चूनकर एकसाथ लानेकी कोशीश करते हूए बोला, '' मतलब ... मुझे तुम्हे प्रपोज करना था ... विल यू मॅरी मी'' उसने सारे महत्वपूर्ण शब्द चून लिए और झटसे उसे जो बोलना था वह बोलकर राहतकी सांस ली.


अचानक वह ऐसा कुछ बोलेगा ऐसा नॅन्सीने नही सोचा था.


वह मजाक तो नही कर रहा है ? ...


उसने उसके चेहरेकी तरफ फिरसे गौरसे देखा और उसके चेहरेके भाव पढनेकी कोशीश की.


कमसे कम उसके चेहरेसे वह मजाक कर रहा हो ऐसा बिलकुल प्रतित नही हो रहा था...


'' आय ऍम सिरीयस '' उसने उसकी हडबडाहट देखकर कहा.


फिरसे नॅन्सीने उसके भाव समझनेकी कोशीश की. वह उसे उसके क्लासमें होनेसे अच्छी तरह जानती थी. उसे उसका स्वभाव अच्छी तरहसे मालूम था. इस तरहकी मजाक करना उसका मूलभूत स्वभाव नही था. और नॅन्सीका स्वभाव स्पष्टवादी था. इसलिए झटसे उसने उसके बारेंमे अपनी भावनाएं व्यक्त की. आखिर वह जॉनसे प्यार करती थी.


'' ऍन्थोनी... आय ऍम सॉरी बट आय कांन्ट'' उसने कहा.


ऍन्थोनीको इसकी उम्मीद नही थी. वह आश्चर्यसे उसके चेहरेकी तरफ देखने लगा.


इतनी सहजतासे वह मुझे कैसे ठूकरा सकती है? ...


उसके अहंकारको ठेंस पहूंच रही थी.


'' लेकिन क्यो?'' वह अब पुरी तरह चिढ चूका था.


वह तेजीसे आगे आगे चल रही थी और वहभी तेजीसे चलते हूए उसके साथ चलनेकी कोशीश कर रहा था.


'' देखो मै क्लासमे टॉपर हूं ... आगे कॉलेज खतम होनेके बाद न्यूरॉलाजीमें रिसर्च करनेका मेरा इरादा है ... मेरे सामने एक उज्वल भविष्य पडा हूवा है ... और मुझे यकिन है की अगर मुझे तुम्हारे जैसे सुंदर लडकिका साथ मिलता है तो मै जिंदगीमें औरभी बहुत कुछ हासिल कर सकता हूं '' वह उसे समझानेकी कोशीश कर रहा था.


'' ऍंथोनी.. तुम एक अच्छे लडके हो, बुद्धीमान हो... इसमें कोई शक नही है... लेकिन मै तुम्हारे साथ शादीके बारेमें नही सोच सकती. '' वहभी अब उसे समझानेकी कोशीश करने लगी.


'' लेकिन क्यों? '' वह गुस्सेसे बोला, '' ... तुम्हे पता है? ... मै तुम्हे कितना चाहता हूं ...'' वह अब गिडगिडाने लगा था.


'' फिरभी मै ऐसा नही कर सकती..'' वह बोली.


'' लेकिन क्यों? ... यह तो बता सकती हो'' वह गुस्सेसे चिल्लाया.


'' क्योंकी मै किसी दुसरेको चाहती हूं... '' वह बोली.


वह अबभी आगे चल रही थी. लेकिन ऍंथोनी अब रुक गया था. वह पिछेसे घोर निराशासे उसे जाता हूवा देखता रहा.
शामका वक्त था. पार्कमें प्रेमी युगल बैठे मौसम का आनंद ले रहे थे. ठंड हवाके झोंकोकेसाथ बागमें फुल मस्त मस्तीमें डोल रहे थे. उस पार्कके एक कोनेमें निचे हरे हरे घासके गालीचेपर, एक बडे पेढके तनेका आधार लेकर नॅन्सी आरामसे बैठी थी. जॉन अपना सर नॅन्सीके गोदमे रखकर घासपर लेट गया था.


'' तुम्हे मालूम नही मै तुमसे कितना प्यार करती हूं '' नॅन्सी धीरे धीरे जॉनके बालोंमें अपना हाथ फेरते हूए बोली.


जॉनने एक प्रेमभरा दृष्टीक्षेप उसकी तरफ डाला.


कुछ देर दोनोंभी कुछ बोले नही. काफी समय ऐसीही शांतीमे गुजर गया. कुछ देर बाद अचानक जॉन उठ खडा हूवा और नॅन्सीको उठनेके लिए हाथ देते हूए बोला, '' चलो अब निकलते है... काफी समय हो गया है ''


उसका हाथ पकडकर वह खडी हो गई.


एक दुसरेका हाथ हाथमें लेकर हौले हौले चलते हूए वे वहांसे चले गए.


इतनी देरसे एक पेढके पिछे छूपा बैठा ऍन्थोनी नॅन्सी और जॉनके चले जानेके बाद बाहर निकल आया. उसका चेहरा गुस्सेसे लाल लाल होगया था...




... ऍन्थोनी वेअरहाउसमें खडा होकर उसकी सारी कहानी बयान कर रहा था. और उसके इर्दगीर्द खडे सॅम और उसकी टीम सब गौरसे सुन रहे थे. उसे हथकडीयां पहनाकर अबभी दो पुलिस उसके पास खडे थे. डिटेक्टीव सॅमभी उसकी हकिकत ध्यान देकर सुन रहा था.


'' मैने उसपर बहुत .. मतलब अपनी जानसे जादा प्रेम किया '' ऍंन्थोनीने आह भरते हूए कहा.


'' लेकिन मुझे जब पता चला की वह मुझे नही बल्की जॉनको चाहती है ... तब मै बहुत निराश, हताश हुवा, मुझे उसका गुस्साभी आया... लेकिन धीरे धीरे मैने अपने आपको समझाया की मै उसे चाहता हू इसका मतलब यह जरुरी नही की वहभी मुझे चाहे... वह किसीकोभी चाहनेके लिए आजाद होनी चाहिए.'' ऍन्थोनीने कहा.


'' लेकिन तुमने उन चार लोगोंको क्यों मारा ?'' सॅमने असली बात पर आते हूए पुछा.


'' क्योंकी दुसरा कोईभी नही कर सकता इतना प्रेम मैने उसपर किया था. "" ऍंन्थोनीने अभिमानके साथ कहा.


'' जॉननेभी उसपर प्रेम किया था....'' सॅमने उसे और छेडनेकी कोशीश करते हूए कहा.


'' वह कायर था... नॅन्सी उससे प्रेम करे ऐसी उसकी हैसीयत नही थी..'' ऍंन्थोनीने नफरतक के साथ कहा, '' तुम्हे पता है ?... जब उसका बलात्कार होकर कत्ल हूवा था तब जॉनने मुझे एक खत लिखा था '' ऍंन्थोनीने आगे कहा.


'' क्या लिखा था उसने ?'' सॅमने पुछा.


'' लिखा था की उसे नॅन्सीके बलात्कार और कत्लका बदला लेना है ... और उसने उन चार गुनाहगारोंको ढूंढा है .... लेकिन उसकी बदला लेनेकी हिम्मत नही बन पा रही है .. वैगेरा .. वैगेरा .. ऐसा उसने काफी कुछ लिखा था... मै एक दोस्तके तौरपर उसे अच्छी तरह जानता था... लेकिन वह इतना डरपोक होगा ऐसा मैने कभी नही सोचा था... फिर ऐसी स्थीतीमें आपही बताईए मैने क्या करता ... अगर वह बदला नही ले सकता तो उन चार हैवानोंका बदला लेनेकी जिम्मेदारी मेरी बनती थी... क्योंकी भलेही वह मुझे नही चाहती थी लेकिन मेरातो उसपर सच्चा प्रेम था. ...'' ऍंन्थोनी भावनाविवश होकर आवेशमें बोल रहा था. वह इतने जल्दी जल्दी और उत्तेजीत होकर बोल रहा था की उसका चेहरा लाल लाल हो गया था और उसके सासोंकी गती बढ गई थी. जब ऍंथोनी बोलते बोलते रुक गया. उसका पुरा शरीर पसीनेसे लथपथ हो गया था. उसे अपने हाथ पैर कमजोर हूए ऐसा महसुस होने लगा. वह एकदमसे निचे बैठ गया. उसने अपना चेहरा अपने घूटनोमें छूपा लिया और फुटफुटकर रोने लगा. इतनी देरसे रोकनेका प्रयास करनेके बावजुद वह अपने आपको रोक नही पाया था.


उसके इर्द गिर्द जमा हूए सारे लोग उसकी तरफ हमदर्दीसे देख रहे थे.
क्रमश:...



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