क्या हमारे बच्चे तैयार हैं ए आई युग के लिए
प्रस्तावना
हाल ही में कार्य के भविष्य पर एक पैनल चर्चा के दौरान एक चिंताजनक आँकड़ा सामने आया। एक शोधकर्ता ने बताया कि Discord पर लगभग 5,000 बच्चे आत्महत्या पर खुलकर चर्चा कर रहे थे। यह सब एक ऐसे डिजिटल कोने में हो रहा था जहाँ वयस्क निगरानी लगभग न के बराबर थी। यह केवल तकनीकी कहानी का दुखद पहलू नहीं, बल्कि अभिभावकत्व और शिक्षा की विफलता की तेज़ चेतावनी है।
हम एआई क्रांति की दहलीज पर खड़े हैं, लेकिन अपने बच्चों को भावनात्मक मजबूती और भविष्य की ज़रूरी क्षमताएँ देने में असफल हो रहे हैं।
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गुमनामी के दौर में पैरेंटिंग
पहले माता-पिता बच्चों की पार्क में गतिविधियों को लेकर चिंतित रहते थे। आज उन्हें सीमाहीन, गुमनाम डिजिटल दुनिया से निपटना पड़ रहा है।
Discord जैसी प्लेटफ़ॉर्म सामुदायिकता के लिए बने हैं, लेकिन निगरानी के बिना ये बच्चों की निराशा और मानसिक संकट के अड्डे बन सकते हैं।
सोशल मीडिया का दबाव पहले से मौजूद युवा मानसिक स्वास्थ्य संकट को और गहरा करता है।
समाधान यह है कि माता-पिता बच्चों की डिजिटल ज़िंदगी में सक्रिय रूप से शामिल हों, संवाद बढ़ाएँ और सीमाएँ तय करें।
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शिक्षा प्रणाली का टूटा कम्पास
हमारी शिक्षा प्रणाली अब भी औद्योगिक युग के मॉडल पर आधारित है।
बच्चे आज भी रटने और मानकीकृत परीक्षाओं में व्यस्त हैं, जबकि AI इन कामों को पहले से बेहतर कर सकता है।
Reuters/Ipsos सर्वेक्षण के अनुसार, 71% अमेरिकी मानते हैं कि AI नौकरियाँ छीन लेगा, लेकिन स्कूल अभी भी अप्रासंगिक करियर पथों की ओर छात्रों को ले जा रहे हैं।
नतीजा यह है कि हम पुराने ज्ञान और टूटे कम्पास वाली पीढ़ी तैयार कर रहे हैं।
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उद्देश्यहीन पीढ़ी: काम से विमुखता
आज कई युवा काम को संतोष का साधन नहीं, बल्कि सहन करने योग्य बोझ मानते हैं।
भारी कर्ज़, अस्थायी गिग-इकोनॉमी और ऑटोमेशन के डर से उनका विश्वास डगमगा गया है।
Gen Z और मिलेनियल्स सर्वेक्षण में अर्थपूर्ण कार्य और जीवन संतुलन की चाह दिखाते हैं, लेकिन मौजूदा प्रणाली उन्हें यह नहीं दे पाती।
यदि हमने इस संकट को नहीं सुलझाया, तो हम ऐसी पीढ़ी तैयार करेंगे जो न केवल बेरोज़गार होगी बल्कि काम करने को इच्छुक भी नहीं होगी।
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एआई युग के लिए नया पाठ्यक्रम
1. आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान
छात्रों को उत्तर रटाने के बजाय सही प्रश्न पूछना सिखाएँ। AI को Socratic partner की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
2. रचनात्मकता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता
सहानुभूति, सहयोग और नवाचार की क्षमताएँ विकसित करनी होंगी।
3. AI-संचालित सिमुलेशन
वास्तविक परिस्थितियों (जलवायु संकट, व्यवसाय वार्ता, नैतिक दुविधा) की वर्चुअल प्रैक्टिस बच्चों को तैयार करेगी।
4. अनुकूलनशीलता और आजीवन शिक्षा
एक ही कौशल से जीवनभर का काम अब असंभव है। बच्चों को सीखने-भूलने-पुनः सीखने की आदत डालनी होगी।
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निष्कर्ष
यदि हम समय रहते कदम नहीं उठाते, तो AI का भविष्य सुनहरा होने के बजाय खोई हुई पीढ़ी की त्रासदी बन जाएगा। समाधान तकनीक में नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण में है — माता-पिता की सक्रिय भूमिका, शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन, और बच्चों में आत्मबल व उद्देश्य का निर्माण।
Source
https://www.technewsworld.com/story/our-children-are-not-ready-a-generational-crisis-in-the-age-of-ai-179887.html


अति उत्तम विचार है बंसल जी ❤️🙏
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