अद्भुत भाग-5
अद्भुत भाग-5
धीरे
धीरे जॉन और नॅन्सी एकदूसरेके
नजदीक खिंचते चले गए.
उनके
दिलमें कब प्रेमका बिज पनपना
शुरु होगया उन्हे पता ही नही
चला.
झगडेसेभी
प्रेमकी भावना पनप सकती है
यह वे खुद अनुभव कर रहे थे.
कॉलेजमे
कोई पिरियड खाली होने पर वे
मिलते.
कॉलेज
खत्म होनेपर मिलते.
लायब्रीमें
पढाईके बहानेसे मिलते थे.
मिलनेका
एक भी मौका वे छोडना नही चाहते
थे.
लेकिन
सब छिप छिपकर चल रहा था.
उन्हेने
उनका प्रेम अभीतक किसीके
खयालमें आने नही दिया था.
लेकिन
जो किसीके खयालमें नही आये
उसे प्रेम कैसे कहे?
या
फिर एक वक्त ऐसा आता है की
प्रेमी इतने बिन्दास हो जाते
है की उनका प्रेम किसीके खयालमें
आयेगा या किसीको पता चलेगा
इस बातकी फिक्र करना वे छोड
देते है.
लोगोको
अपना प्रेम पता चले ऐसी सुप्त
भावनाभी शायद उनके मनमे आती
हो.
काफी
रात हो चूकी थी.
अपनी
बेटी अभीतक कैसे घर वापस नही
आई यह चिंता नॅन्सीके पिता
को खाये जा रही थी.
वे
बेचैन होकर हॉलमें चहलकदमी
कर रहे थे.
वैसी
उन्होने नॅन्सीको पुरी छूट
दे रखी थी.
लेकिन
ऐसी गैर जिम्मेदाराना वह कभी
नही लगी थी.
कभी
देर होती तो वह घर फोन कर बताती
थी.
लेकिन
आज उसने फोन करनेकीभी जहमत
नही उठाई थी.
इतने
सालका उसके पिताका अनुभव कह
रहा था की मामला कुछ गंभीर है.
नॅन्सी
किसी गलत संगतमें तो नही फंस
गई?...
या
फिर ड्रग्ज वैगेरेकी लत तो
नही लगी उसे ?...
अलग
अलग प्रकारके अलग अलग विचार
उनके दिमागमें घुम रहे थे.
इतनेमें
उन्हे बाहर कोई आहट हूई.
एक
बाईक आकर घरके कंपाऊंडके गेटके
सामने रुकी.
बाईकके
पिछेकी सिटसे नॅन्सी उतर गई.
उसने
सामने बैठे जॉनके गालका चूंबन
लिया और वह गेटके तरफ निकल दी.
घरके
अंदरसे,
खिडकीसे
नॅन्सीके पिता वह सब नजारा
देख रहे थे.
उनके
चेहरेसे ऐसा लग रहा था की वे
गुस्सेसे आगबबुला हो रहे थे.
अपनी
बेटीको कोई बॉय फ्रेंड है यह
उनको गुस्सा आनेका कारण नही
था.
कारण
कुछ अलग ही था.
हॉलमे
सोफेपर नॅन्सीके पिता बैठे
हूए थे और उनके सामने गर्दन
झुकाकर नॅन्सी खडी थी.
''
इन
ब्लडी एशीयन लोगोंके अलावा
तुम्हे दूसरा कोई नही मिला
क्या?
'' उनका
गुस्सेसे भरा गंभीर स्वर
गुंजा.
नॅन्सीके
मुंहसे शब्द नही निकल पा रहा
था.
वह
अपने पितासे बात करनेके लिए
हिंम्मत जुटानेका प्रयास कर
रही थी.
उतनेमे
नॅन्सीका भाई जॉर्ज कोलीन्स,
उम्र
लगभग तिस के आसपास,
गंभीर
व्यक्तीमत्व,
हमेशा
किसी सोचमें खोया हूवा,
ढीला
ढीलासा रहनसहन,
घरमेंसे
वहा आ गया.
वह
नॅन्सीके बगलमें जाकर खडा हो
गया.
नॅन्सीकी
गर्दन अभीभी झूकी हूई थी.
उसका
भाई बगलमें आकर खडा होनेसे
उसमें थोडा ढांढस बंध गया.
वह
गर्दन निचेही रखकर अपनी हिम्मत
जुटाकर एक एक शब्द तोलमोलकर
बोली,
'' वह
एक अच्छा लडका है ...
आप
उसे एक बार मिल तो लो ''
''
चूप
बैठो ...
मुरख
..
मुझे
उससे मिलनेकी बिलकूल इच्छा
नही.
.. अगर
तुम्हे इस घरमें रहना है तो
तुम मुझे दुबारा उसके साथ
दिखनी नही चाहिए...
समझी
''
उसके
पिताने अपना अंतिम फैसला सुना
दिया.
नॅन्सीके
आंखोमें आंसू आगए और वहा से
अपने आंसू छिपाते हूए वह घरके
अंदर दौड पडी.
जॉर्ज
सहानुभूतीसे उसे अंदर जाते
हूए देखता रहा.
घरमें
किसीकीभी पिताजीसे बहस करनेकी
हिम्मत नही थी.
जॉर्ज
हिम्मत जुटाकर उसके पिताजीसे
बोला,
, '' पप्पा...
आपको
ऐसा नही लगता की आप थोडे जादाही
कठोर हो रहे हो ....
आपने
कमसे कम नॅन्सी क्या बोलना
चाहती है यह तो सुनना चाहिए...
और
एक बार वक्त निकालकर उस लडकेसे
मिलनेमे क्या हर्ज है.?''
''
मै
उसका बाप हूं...
उसका
भला बूरा मेरे सिवा और कौन जान
सकता है?..
और
तुम्हारी नसिहत तुम्हारे पास
ही रखो...
मुझे
उसके तुम्हारे जैसे हूए हाल
देखनेकी बिलकुल इच्छा नही
है...
तुमनेभी
एक एशीयन लडकीसे शादी की थी...
आखिर
क्या हूवा?...
तुम्हारी
सब प्रॉपर्टी हडप कर उसने
तुम्हे भगवान भरोसे छोड दिया..''
उसके
पिताजी तेजीसे कदम बढाते हूए
गुस्सेसे कमरेसे बाहर जाने
लगे.
''
पप्पा
आदमीका स्वभाव आदमी-आदमीमें
फर्क लाता है...
ना
की उसका रंग,
या
उसका राष्ट्रीयत्व...''
जॉर्ज
उसके पिताजीको बाहर जाते हूए
उनकी पिठकी तरफ देखकर बोला.
उसके
पिताजी जाते जाते अचानक
दरवाजेमें रुक गए और उधर ही
मुंह रखते हूए कठोर लहजेमें
बोले,
'' 
''
और
तुम्हे उसकी पैरवी करनेकी
बिलकुल जरुरत नही...
और
ना ही उसे सपोर्ट करनेकी ''
जॉर्ज
कुछ बोले इसके पहलेही उसके
पिताजी वहांसे जा चूके थे.
इधर
नॅन्सीके घरके बाहर अंधेरेमें
खिडकीके पास छिपकर एक काला
साया अंदर चल रहा यह सारा नजारा
देख और सुन रहा था.
क्लासमें
एक लेडी टीचर पढा रही थी.
क्लासमें
कॉलेजके छात्र ध्यान देकर
उन्हे सुन रहे थे.
उन्ही
छात्रोमें जॉन और नॅन्सी बैठे
हूए थे.
''
सो
द मॉरल ऑफ द स्टोरी इज...
कुछभी
फैसला न लेते हूए बिचमेंही
लटकनेसे अच्छा है कुछतो एक
फैसला लेना ...''
टीचरने
अबतक पढाए पाठका निष्कर्ष
संक्षेपमें बताया.
नॅन्सीने
छूपकर एक कटाक्ष जॉनकी तरफ
डाला.
दोनोंकी
आखें मिल गई.
दोनोंभी
एक दुसरेकी तरफ देख मुस्कुराए.
नॅन्सीने
एक नोटबुकका पन्ना जॉनको
दिखाया.
उस
नोटबुकके पन्नेपर बडे अक्षरोंमे
लिखा था 'लायब्ररी'.
जॉनने
हां मे अपना सर हिलाया.
उतनेमें
पिरीयड बेल बजी.
पहले
टिचर और बादमें छात्र धीरे
धीरे क्लाससे बाहर जाने लगे.
जॉन
हमेशा की तरह जब लायब्ररीमें
गया तब ब्रेक टाईम होनेसे वहां
कोईभी छात्र नही थे.
उसने
नॅन्सीको ढूंढनेके लिए इधर
उधर नजर दौडाई.
नॅन्सी
एक कोनेमे बैठकर किताब पढ रही
थी.
या
कमसेकम वैसा दिखावा करनेकी
चेष्टा कर रही थी.
नॅन्सीने
आहट होतेही किताबसे सर उपर
उठाकर उधर देखा.
दोनोंकी
नजरे मिलतेही वह वहांसे उठकर
किताबोंके रॅकके पिछे जाने
लगी.
जॉनभी
उसके पिछे पिछे जाने लगा.
एकदुसरेसे
कुछभी ना बोलते हूए या कुछभी
इशारा ना करते हूए सबकुछ हो
रहा था.
उनका
यह शायद रोजका दिनक्रम होगा.
नॅन्सी
कुछ ना बोलते हूए भलेही रॅकके
पिछे जा रही थी लेकिन उसके
दिमागमें विचारोंका तुफान
उमड पडा था.
जो
भी हो आज कुछ तो आखरी फैसला
लेनाही है...
ऐसे
कितने दिन तक ना इधर ना उधर इस
हालमें रहेंगे...
टीचरने
जो पढाए पाठका संक्षेपमें
निष्कर्ष बताया था..
वह
सही था...
हमें
कुछ तो ठोस निर्णय लेनाही
होगा...
आर
या पार ...
बस
अब बहुत हो गया ...
उसके
पिछे पिछे जॉन रॅकके पिछे कुछ
ना बोलते हूए जा रहा था.
लेकिन
उसके दिमागमेंभी विचारोंका
सैलाब उमड पडा था.
हमेशा
नॅन्सी पिरियड होनेके बाद
लायब्रीमें मिलनेके लिए इशारा
करती थी.
...
लेकिन
आज उसने पिरियड शुरु था तबही
इशारा किया..
उसके
घरमें कुछ अघटीत तो नही घटा...
उसके
चेहरेसे वह किसी दूविधामें
लग रही थी ...
अपने
घरके दबावमें आकर वह मुझे छोड
तो नही देगी...
अलग
अगल प्रकारके विचार उसके
दिमागमें घुम रहे थे.
रॅकके
पिछे कोनेमें किसीके नजरमें
नही आये ऐसे जगहपर नॅन्सी
पहूंच गई और पिछेसे दिवारको
अपना एक पैर लगाकर वह जॉनकी
राह देखने लगी.
जॉन
उसके पास जाकर पहूंचा और उसके
चेहरेके भाव पढनेकी कोशीश
करते हूए उसके सामने खडा हो
गया.
''
तो
फिर तय हूवा ...
आज
रात ग्यारह बजे तैयार रहो ..''
नॅन्सीने
कहा.
चलो
मतलब अबभी नॅन्सी अपने घरके
लोगोंके दबावमें नही आयी थी...
जॉनको
सुकूनसा महसुस हूवा.
लेकिन
उसने सुझाया हूवा यह दुसरा
रास्ता कहां तक सही है?
... 
यह
एकदम चरम भूमीकातो नही हो रही
है ?
...
''
नॅन्सी
तुम्हे नही लगता की हम जरा
जल्दीही कर रहे है...
हम
कुछ दिन रुकेंगे...
और
देखते है कुछ बदलता है क्या
...
'' जॉनने
कहा.
''
जॉन
चिजे अपने आप नही बदलती...
हमें
उन्हे बदलना पडता है...
'' नॅन्सीने
दृढतासे कहा.
उनकी
बहूत देर तक चर्चा चलती रही.
जॉनको
अभीभी उसकी भूमीका सही नही
लग रही थी.
लेकिने
एक तरहसे उसका सहीभी था.
कभी
कभी ताबडतोड निर्णय लेनाही
अच्छा होता है.
जॉन
सोच रहा था.
लेकिन
इस फैसलेके लिए मै अबभी पूरी
तरहसे तैयार नही हूं...
मुझे
मेरे घरके लोगोंके बारेंमेंभी
सोचना चाहिए...
लेकिन
नही हम कितने दिन तक इस तरह
बिचमें लटके रहेंगे...
हमें
कुछतो ठोस कदम उठाना जरुरी
है...
जॉन
अपना एक फैसलेपर पहूंचकर
दृढतासे उसपर कायम रहनेका
प्रयास कर रहा था.
उधर
रॅकके पिछे उन दोनोंकी चर्चा
चल रही थी और इधर दो रॅक छोडकर
एक साया छूपकर उन दोनोंकी सब
बातें सुन रहा था.
जॉनके
दिमागमें विचारोकी कश्मकश
चल रही थी.
अब
वह जो फैसला लेनेवाला था उसकी
वजहसे होनेवाले सब परिणामोंके
बारेमें वह सोच रहा था.
नॅन्सीके
साथ लायब्ररीमें किए चर्चासे
दो-तीन
बाते एकदम साफ हो गई थी -
एक
तो नॅन्सी भलेही उपरसे ना लगे
लेकिन अंदरसे वह बहुत खंबीर
और जबान की पक्की है...
वह
किसीभी हालमें मुझे नही
छोडेगी...
या
फिर वैसा सोचेगीभी नही .....
लेकिन
अब उसे अपने आपकाही भरोसा नही
लग रहा था.
मैभी
उसकी तरह अंदरसे खंबीर और
पक्का हू क्या ?...
बुरे
वक्तमें मेरा उसके प्रती प्रेम
वैसाही कायम रहेगा क्या ?...
या
बुरे वक्तमें वह बदल सकता है
?..
वह
अब खुदकोही आजमा रहा था.
वक्तही
वैसा आया था की उसे खुदकाही
विश्वास नही लग रहा था.
परंतू
नही ...
मुझे
ऐसा ढिला ढाला रहकर नही चलेगा...
मुझेभी
कुछ ठोस फैसला लेना होगा..
और
एक बार निर्णय लिया तो फिर
बादमें उसके कुछ भी परिणाम
हो,
मुझे
उसपर कायम रहना होगा...
जॉनने
आखीर मनही मन एक ठोस फैसला
लिया.
अपने
कमरेका दरवाजा अंदरसे बंद कर
वह उसे जिसकी जरुरत पडेगी वह
सारी चिजे अपने बॅगमें भरने
लगा.
सबकुछ
ठिक तो होगा ना ?...
मुझे
मेरे घरवालोंको सब बताना चाहिए
क्या ?...
सोचते
सोचते उसने अपनी सारी चिजें
बॅगमें भर दी.
कपडे
वैगेरा बदलकर उसने कुछ बचातो
नही इसकी तसल्ली की.
आखरी
बची हूई एक चिज डालकर उसने
बॅककी चैन लगाई.
चेनका
एक विशीष्ट ऐसा आवाज हूवा.
उसने
वह बॅग उठाकर सामने टेबलपर
रख दी और टेबलके सामने रखे
कुर्सीपर थोडा सुस्तानेके
लिए बैठ गया.
वह
एक-दो
पलही बैठा होगा की इतनेमें
उसका मोबाईल व्हायब्रेट हो
गया.
उसने
जेबसे मोबाईल निकालकर उसका
डीस्प्ले देखा.
डिस्प्लेपर
उसे 'नॅन्सी'
ऐसे
डिजीटल शब्द दिखाई दिए.
वह
तुरंत कुर्सीसे उठ खडा हूवा.
मोबाईल
बंद किया,
बॅग
उठाई और धीरेसे कमरेसे बाहर
निकल गया.
इधर
उधर देखते हूए सावधानीसे जॉन
मुख्य दरवाजेसे बाहर आ गया
और उसने दरवाजा बाहरसे खिंचकर
बंद कर लिया.
फिर
जॉगींग कियेजैसा वह कंधेपर
बॅग लेकर कंपाऊंडके गेटके
पास गया.
बाहर
रास्तेपर उसे एक टॅक्सी रुकी
हूई दिखाई दी.
कंपाऊंड
के गेटसे बाहर निकलकर उसने
गेटभी खिंचकर बंद कर लिया.
टॅक्सीके
पास पहूंचतेही उसे टॅक्सीमें
पिछली सिटपर बैठकर उसकी राह
देख रही नॅन्सी दिखाई दी.
दोनोंकी
नजरे मिली.
दोनो
एकदुसरेकी तरफ देखकर मुस्कुराए.
झटसे
जाकर वह बॅगके साथ नॅन्सीके
बगलमें टॅक्सीमें घुस गया.
टॅक्सीके
दरवाजेका बडा आवाज ना हो इसका
खयाल रखते हूए उसने सावधानीसे
दरवाजा धीरेसे खिंच लिया.
दोनो
एकदुसरेकी बाहोंमे घुस गए.
उनके
चेहरेपर एक विजयी हास्य फैल
गया था.
अब
उनकी टॅक्सी घरसे बहुत दुर
तेजीसे दौड रही थी.
वे
दोनो तेजीसे दौडती टॅक्सीके
खिडकीसे आरहे तेज हवाके झोकेंका
आनंद ले रहे थे.
लेकिन
उन्हे क्या पता था की एक काला
साया पिछे एक दुसरी टॅक्सीमें
बैठकर उनका पिछा कर रहा था.....
....
डिटेक्टीव्ह
बेकर हकिकत बयान करते हूए रुक
गया.
डिटक्टीव
सॅमने वह क्यों रुका यह जाननेके
लिए उसके तरफ देखा.
डिटेक्टीव्ह
बेकरने सामने रखा ग्लास उठाकर
पाणीका एक घूंट लिया.
तबतक
ऑफिसबॉयने चाय पाणी लाया था.
डिटेक्टीव्हने
वह उसके सामने बैठे डिटेक्टीव
सॅम और उसके साथ आये एक ऑफिसरको
परोसनेके लिए ऑफिसबायको इशारा
किया.
क्रमश:...
 
 
 
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