काले जादू की दुनिया -10
थोड़ी
कोशिश के बाद आख़िर करण निशा
की पैंटी को अपने दांतो से
तोड़ा नीचे सरकाने मे कामयाब
हो गया.
उसे
जो सामने दिखा वो उसके लिए
सोने की खदान से कम नही था.
सोने की खदान देख कर करण उसकी सम्मोहन मे खो सा गया. उसने आज पहली बार किसी लड़की की असली खदान देखी थी. निशा करण को ऐसे सुध बुध खो कर देखने पर हँसने लगी. उसे अपनी औरत होने पर गर्व हो रहा था जो अपने सौंदर्य के सम्मोहन से किसी भी मर्द को फसा सकती थी
अब आगे...................................
“उम्म्म....माआ....मररर...गयी....” करण के जीभ फिरते ही निशा काम वासना से तड़प उठी. करण हौले हौले निशा के जिस्म को चाटने लगा जिससे वह पनिया के गीली हो गयी.
“प्लीज़...करण....आअहह....माइइ.....मररर...जाउन्गीईईईईइ....” निशा तड़पने लगी. उसने बेडशीट को कस कर मुट्ठी मे भर लिया और अपने सर को उत्तेजना मे इधर उधर पटाकने लगी. निशा लगातार पानी छोड़ रही थी.
अपने कुंवारे जिस्म पर करण की जीभ का यह हमला निशा बर्दास्त नही कर पाई और करण की तो लार ही टपकने लगी निशा के कुवारे जिस्म को देख कर.
“वाउ डार्लिंग तुम्हारा जिस्म कितना प्यारा है....” करण निशा के कुवारे जिस्म पर उंगली फिराते हुए बोला.
“आआहह.......उम्म्म्म....माआ.....आहह...” जिस्म पर हाथ लगने से निशा काँप उठी.
करण ने तुरंत झुक कर निशा के कुवारे जिस्म को एक गहरी साँस लेकर सूंघ लिया, “वाअहह....क्या मादक गंध आ रही है ..” और करण ने अपनी खुरदरी जीभ निकाल कर उस पर फिराने लगा.
निशा करण का सर पकड़ कर दबाते हुए झाड़ गयी. गरम गरम सफेद जैसा उसका पानी रिसने लगा जिसे करण ने अपने जीभ से भर कर चाट लिया.
करण की गीली जीभ को महसूस कर के निशा सिहर उठी.
“आहह.....माइ गॉड...ऐसा मज़ा और सुकून मैने अपने जीवन मे कभी नही महसूस किया....” निशा का जिस्म ढीला पड़ता चला गया.
निशा अपनी आँखे बंद कर के कुछ पलो के लिए आनंद के सागर मे डूब गयी. उधर करण ने तुरंत अपनी पॅंट उतारी और दोबारा निशा पर चढ़ गया और उसके होंटो का रस पीने लगा. निशा भी अपनी आँखें बंद किए हुए उसकी गर्दन मे हाथ डाल कर उसकी होंटो को चूसने लगी. करण के मूह से अपने पानी का स्वाद निशा को वापस उत्तेजित कर रहा था.
जब निशा ने आँखें खोली तो देखा कि करण के जाँघो पर उसकी जीन्स की बजाए जिरफ़ एक चड्डी है जिसमे एक बड़ा सा तंबू बना हुआ है.
निशा ने होंटो का चुंबन जारी रखा और हाथ बढ़ा कर नीचे करण के फुन्कारते नाग को उसकी चड्डी के उपर से ही पकड़ कर सहलाने लगी. करण एक हाथ से निशा के दूध को वापस मसल्ने लगा और निशा ने मौका देख कर करण की चड्डी को नीचे सरका दिया जिससे उसका मोटा तगड़ा नाग बाहर निकल आया.
“ओह्ह माइ गॉड करण कितना बड़ा है तुम्हारा.....” निशा करण के 8 इंच के नाग की लंबाई और मोटाई अपनी कोमल हाथो से लेने लगी. उसका इतना मोटा था कि निशा की मुट्ठी मे समा ही नही रहा था.
जब निशा ने अपना सर उठा के देखा तो, वो किसी साँप की तरह झूल रहा था, उसकी नसे सॉफ उभर कर दिखाई दे रही थी. बिल्कुल गोरा था करण का जिसका सुपाडा किसी लाल टमाटर की तरह बड़ा और लाल था. केले की तरह नीचे की तरफ थोड़ा सा मुड़ा हुआ था. निशा को देख कर इतना प्यार आया कि उसने बैठ कर अपने रसीले होंटो से चूम लिया.
“आअहह.....” इस बार सिसकी करण के मूह से निकली. किसी लड़की का यह पहला स्पर्श था .
करण को जन्नत का मज़ा मिल रहा था. निशा करण को गॅप से मुँह मे ले कर चूसने लगी. करण निशा को चूसते देख पगला गया.
“ओह्ह माइ गॉड निशा....क्या जादू कर दिया है तुमने मुझ पर..” करण के पूरे जिस्म मे करेंट सा दौड़ने लगा था. निशा किसी रंडी के तरह चूस और चाट रही थी.
करण ने निशा के हाथ उस पर से हटाकर उसे वापस बिस्तर पट लिटा दिया और उसपर सवार हो गया. निशा ने ऐसा मूह बनाया कि मानो करण ने उसका खिलोना छीन लिया हो.
डॉक्टर होने के वजह से उसे पता था कि आज उसे बहुत दर्द होने वाला है .
खून के फवारे बह उठे और नीचे का पूरा बेडशीट खून ही खून से भर गया.उउईईईईईई....माआआ......मररर.....गाइ....प्लीज़....बाहर...निकालूऊओ..” तेज़ दर्द से बेचारी निशा बिलबिला उठी. उसके तीखे नाख़ून करण की पीठ मे गढ़ते चले गये.
करण को लगा अगर जन्नत कही है तो वो यही है, वो फॉरन उसके होंटो पर अपने होन्ट रख कर उन्हे चूसने लगा, “निशा इतनी ज़ोर से मत चिल्लाओ कि बाहर वॉचमन को भी तुम्हारी चीख सुनाई दे जाए..”
“तुम बहुत सेक्सी हो निशा....” करण बोला.
“प्लीज़ कारण धीरे से ..मैं कही भागी थोड़ी ही जा रही हू...”
“आज मुझे मत रोको निशा, बहुत तडपाया है तुमने ..
“आहह...प्लीज़ करण धीरे...”
“आअहह....मैं...गाइिईईईईईईईईईईईईईईईई....” कहते हुए निशा का सफेद गाढ़ा पानी निकलने लगा निशा के जिस्म मे दो बार झड़ने से बिल्कुल जान नही बची थी. वो तो करण के झड़ने का इंतेज़ार कर रही थी. उसने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया
“ओह्ह डार्लिंग अब मैं भी और ज़्यादा नही रुक सकता...”
“मैं तुम्हारी बच्चे की मान बन ना चाहती हू...मुझे यह सोभाग्य दे दो...मेरी कोख को भर दो ताकि मैं माँ बन सकूँ..”
“ओह्ह निशा..मैं अब झड रहा हू.....आआहह..”
और करण झड कर निशा के बगल मे बिस्तर पर लेट गया.
निशा मुस्कुराने लगी. आज वो पहली बात इतनी तृप्त लग रही थी. इतनी संतुष्टि मानो उसे कभी महसूस नही हुई थी. उसने पलट कर करण के होन्ट चूम लिए. फिर वो दोनो नंगे बदन ही एक दूसरे से चिपक कर सो गये.
इस
तूफान मे दोनो को पता ही नही
चला कि कब रात के बारह बज गये.
वो
दोनो करीब एक घंटे से सो रहे
थे.
निशा
की आँख खुली तो उसने खुदको करण
की बाँहो मे नंगी पाया.
करण
उसके बगल मे नंगा सोया हुआ था.
करण
के हॅंडसम चेहरे पर कितनी
संतुष्टि थी यह देख कर निशा
ने उसके होंठो को एक बार चूम
लिया.
इससे
करण जाग गया और निशा को अपनी
बाँहो मे भर कर चुमने लगा.
“अभी
मन नही भरा क्या....”
निशा
सीसीया गयी.
“जब
कोई पत्नी अपने पति की बाँहो
मे नंगी सोती है तो क्या कभी
पति का मन भर सकता है...”
करण
ने ज़ोर से निशा को खीचते हुए
कहा.
“ओउच....दर्द
होता है..”
निशा
खींचे जाने से चिहुक पड़ी.
करण
लगातार निशा के जिस्म को मसल
रहा था जिससे निशा दोबारा गरम
होने लगी थी.
“ओह्ह
माइ गॉड हम इतने खो गये थे कि
मैं तो भूल ही गयी कि तुम्हे
भूक भी लगी होगी...”
निशा
अपने नग्न योवन को चादर से
छुपाते हुए बोली.
करण
उठ के बैठते हुए बोला,
“मेरी
जान तुमने आज मुझे इतना रस
पिलाया है कि मेरा पेट भर गया
है...”
करण
हौले से निशा को मसल्ते हुए
बोला.
निशा
करण की बातो से शरमा भी रही थी
और गरम भी हो रही थी.
“चलो
मैं तुम्हारे लिए मिल्क शेक
बना देती हू...”
कहते
वो बिस्तर से उठ गयी और पास मे
पड़ी अपनी हाफ नाइटी को अपने
जिस्म पर डाल के नीचे किचन की
तरफ चली गयी.
करण
किसी फूल का पीछा करते भंवरे
की तरह नंगा ही निशा के पीछे
चल पड़ा.
नीचे
निशा कुछ सन्तरो को छील कर
उनका जूस निकालने मे व्यस्त
थी.
करण
चुपके से जाकर पीछे से निशा
को दबोच लिया और बेदर्दी से
मसल्ने लगा और बोला,
“जानेमन
मुझे तो तुम्हारे ये वाला
मिल्क चाहिए...”
उसने
निशा की नंगी पीठ पर होठ रख
दिए और उन्हे अपनी थूक से गीला
करने लगा.
इतनी
बेरहमी से मसले जाने से निशा
कराह उठी पर वो भी अब गरम होने
लगी थी.
“मेरा
दूध पीने के लिए तो तुम्हे 9
महीने
इंतेज़ार करना पड़ेगा जब मैं
तुम्हारे बच्चे की माँ बानूँगी..”
उसने
अपने सर को पीछे झटकते हुए
कहा.
करण
धीरे धीरे अपना हाथ को नीचे
ले जाकर नाइटी के अंदर से निशा
के नंगे गोरे गोरे गदराए जिस्म
को दबोच लिया और बेरहमी से
मसल्ने लगा.
“करण
अभी अभी तो तुमने मुझे पेला
था..
निशा
ने मादकता के कहा और हाथ पीछे
ले जाकर करण को सहलाने लगी.
“प्लीज़
करण अभी मत करो और मुझे मिल्क
शेक बनाने दो...”
निशा
झूठ मूठ का विरोध कर रही थी
क्यूकी उसकी हथेलिया अभी अभी
करण को सहलाए जा रही थी.
करण
सब समझ रहा था,
उसने
तुरंत हाथ आगे बढ़ा कर निशा
की नाइटी खोल दी जो उसके चिकने
जिस्म पर सरक्ति हुई नीचे जा
गिरी.
“लो...तुमने
तो मुझे फिर नंगी कर दिया...अब
क्या मुझे दोबारा पेलने का
इरादा है..”
निशा
अब ज़ोर ज़ोर से करण को मुठिया
रही थी.
करण
ने निशा को किचन के शेल्फ पर
झुका दिया और एक तगड़ा झटका
मारा,
“अहह.....उम्म्म....मज़ा
आ गया....”
निशा
सिसकिया लेती हुए बोली.
उसने
किचन के शेल्फ पर हाथ रख लिए
और पीछे से मज़ा लेने लगी.
करीब
आधा घंटा करण निशा को उसी आसन
मे रोन्द्ता रहा और फिर निशा
और कारन दोनों झड़ने के बाद
थकान से चूर पसीने पसीने हो
गये थे.
दोनो
वापस उपर बेडरूम मे जाकर नंगे
ही एक दूसरे की बाँहो मे लेट
गये.
मै
पक्का प्रेग्नेंट हो जाउन्गि...”
“तुम्हारे
पीरियड्स कब आए थे...”
करण
ने पूछा.
“दस
दिन पहले....इसका
मतलब है कि अब मैं ज़रूर
प्रेग्नेंट हो जाउन्गि...”
“क्या
तुम यह बच्चा नही रखना चाहती...”
“पागल
हो गये हो क्या...मैं
तो इस बच्चे को ज़रूर जन्म
देना चाहूँगी...अक्खिर
यह मेरे और तुम्हारे प्यार
की पहली निशानी है...”
निशा
करण के चौड़े सीने पर अपना सर
रखती हुई बोली.
तभी
निशा की नज़र घड़ी पर गयी.
यह
सब के चक्कर मे सुबह के तीन बज
चुके थे.
निशा
हड़बड़ाते हुए बोली,
“ओह्ह
माइ गॉड करण...मेरे
मम्मी पापा 6
बजे
की फ्लाइट से वापस आ जाएँगे....अब
मैं क्या करू...अब
मैं क्या करू...”
“प्लीज़
निशा डॉन’ट पॅनिक...सब
कुछ ठीक हो जाएगा...”
एक
पल के लिए निशा करण की आँखो मे
देखते हुए बोली,
“प्लीज़
करण मैं यह शादी नही करना
चाहती...”
करण
को निशा की आँखो मे आँसू और
साथ ही साथ उम्मीद की नज़र
दिखाई दी.
उसने
प्यार से निशा के आँखो से आँसू
पोछे और बोला,
“तुम
सिर्फ़ मेरी हो निशा...तुम्हे
मुझसे कोई जुदा नही कर सकता...ना
भगवान...ना
शैतान....और
ना ही इंसान..”
कहते
हुए करण खड़ा हुआ और जल्दी
जल्दी अपने कपड़े पहन ने लगा.
निशा
उसे हैरान नज़र से देख रही थी,
तभी
करण ने उसे कहा,
“निशा
चलो तय्यार हो जाओ...अपनी
कुछ ज़रूरत का समान और कुछ
कपड़े जल्दी जल्दी पॅक कर
लो..”
निशा
की कुछ समझ मे नही आया,
“पर
यह सब क्यू करण...क्या
हम कही जा रहे है...?”
“हां....मैं
तुम्हे यहा से हमेशा के लिए
भगा कर ले जा रहा हू...”
निशा
उसकी बात सुन कर सन्न रह गयी.
निशा
को ऐसे हैरान परेशान देख कर
करण बोला,
“देखो
निशा तुम्हारे पापा मुझे
सिर्फ़ इसलिए पसंद नही करते
क्यूकी तुम पंडित हो और मैं
राजपूताना ठाकुर हू और वो भी
अनाथ....इसलिए
वो हमारी इंटरकॅस्ट शादी के
लिए कभी तय्यार नही होंगे....इसलिए
आज तुम्हे फ़ैसला करना होगा
कि तुम्हे उनके साथ रहना है
कि मेरे साथ.”
कहते
हुए करण वापस अपनी शर्ट और
पॅंट पहन ने लगा.
“पर
मैं अपने मम्मी पापा को अचानक
कैसे छोड़ दूं...”
निशा
की आँखो मे आँसू आ गये.
उसे
आज वो करना पड़ रहा था जिस से
वो सबसे ज़्यादा डरती थी और
वो था अपने माँ बाप और अपने
प्रेम के बीच चुनाव.
करण
निशा के पास बैठ कर उसके कंधो
पर हाथ फेरता हुआ बोला,
“निशा
अगर तुम मुझे छोड़ कर अपने माँ
बाप को चुनती हो तो मुझे ज़रा
सा भी बुरा नही लगेगा....आख़िर
माँ बाप को खोने का दर्द मुझ
जैसे अनाथ से ज़्यादा और कॉन
समझ सकता है...”
“नही
करण मैं तुम्हे नही छोड़
सकती....पर
मैं अपने माँ बाप को भी नही
छोड़ सकती....हे
भगवान अब मैं क्या करू..”
“कोई
बात नही निशा...अगर
तुम कहो तो मैं यहाँ से चला
जाता हू...पर
मैं हमेशा ज़िंदगी भर तुम्हारा
इंतेज़ार करूँगा,
कुँवारा
बैठा रहूँगा और कभी भी शादी
नही करूँगा...क्यूकी
शादी तो कल रात हो ही गयी है
मेरी...”
करण
की इस बात पर निशा मर मिटी.
वो
झट से करण के गले लग गयी और
बोली,
“करण
तुम मुझे मेरे मम्मी पापा से
भी ज़्यादा समझते हो...ग़लती
तुम मे नही उनमे है जो जात
बिरादरी के नाम पर अपनी बेटी
की खुशियो का गला घोटना चाहते
है...मैने
फ़ैसला कर लिया है...मैं
तुम्हे चुनती हू और अपने मम्मी
पापा को ठुकराती हू..”
“तो
क्या तुम मेरे साथ चलोगि....?”
करण
निशा के सर पर हाथ फेरता हुआ
बोला.
“हाँ
मैं तुम्हारे साथ चालूंगी....जहाँ
भी तुम ले चलो मैं वहाँ तुम्हारे
साथ जाने को तय्यार हू....बस
मुझे इस जिंदगी मे धोका मत
देना वरना मैं मर जाउन्गि...”
निशा
करण के सीने से चिपकते हुए
बोली.
“तो
चलो ठीक है तय्यार हो जाओ...मैं
तुम्हे अपने अपार्टमेंट ले
चलूँगा...और
आख़िर मैं भी एक सक्सेस्फुल
डॉक्टर हू...अपनी
बीवी की हर ख्वाइश को पूरा कर
सकने मे समर्थ हू...”
करण
ने प्यार से निशा के गोरे गालो
को चूमते हुए बोला.
“नही
करण हम तुम्हारे अपार्टमेंट
नही जाएँगे क्यूकी मेरे पापा
को तुम्हारे अपार्टमेंट का
पता मालूम है....और
तुम तो जानते हो कि उनके कितने
पोलिटिकल और पोलीस कनेक्षन्स
है....वो
हमे चैन से जीने नही देंगे..”
निशा
अपना डर जाहिर करते हुए बोली.
कुछ
देर सोचने के बाद करण बोला,
“मुझे
एक जगह पता है जहाँ हम कुछ महीनो
के लिए आराम से रुक सकते है...फिर
हम किसी दूर शहर मे अपना एक
मकान लेकर सारी जिंदगी एक
दूसरे की बाँहो मे बिताएँगे...”
“वो
सब तो ठीक है करण...पर
मुझे ना जाने क्यू बहुत डर लग
रहा है....ऐसा
लग रहा है जैसे कोई अनहोनी
होने वाली है....मेरा
जी तो बहुत घबरा रहा है...”
“निशा
तुम अपने दिमाग़ से यह भ्रम
निकाल दो...सब
कुछ ठीक हो जाएगा...बस
तुम अभी जल्दी से समान पॅक करो
ताकि हम तुम्हारे पेरेंट्स
के आने से पहले यहाँ से निकल
सके....”
बोलते
हुए करण निशा की पॅकिंग मे मदद
करने लगा.
निशा
ने भी कपड़े पहने और निकलने
की तय्यारी करने लगी.
निकलते
निकलते निशा ने अपने कमरे को
एक आख़िरी बार देखा,
उसकी
आँखे नम थी,
उसे
पता था वो घर से करण के साथ भाग
रही है इसलिए उसे आज के बाद
अपना घर,
अपना
कमरा और शायद अपने माँ बाप कभी
देखने को ना मिले.
इसी
वजह से उसकी आँखे भर आई लेकिन
उसने अपनी आँसू पोछ लिए.
तभी
निकलते निकलते करण की नज़र
बेडशीट पर पड़ती है जिसपे खून
के बड़े बड़े धब्बे थे,
“निशा
जल्दी से यह बेडशीट हटा कर
धोने मे डाल दो वरना तुम्हारे
पेरेंट्स को सब पता चल जाएगा...”
इसे
सुन कर झट से निशा ने वो बेडशीट
हटा के धोने मे डालने की बजाए
उसे अपने सूटकेस मे रखने लगी,
“पता
चलता है तो चलने दो...बेडशीट
पर लगे हमारे प्रेमरस,
हमारी
सुहागरात की दास्तान सुना
रहे है...इस
बेडशीट पर पड़े खून के धब्बे
इस बात के सबूत है कि हमारा
प्यार सिर्फ़ मन का नही शारीरिक
भी था..”
बोलकर
निशा ने बेडशीट सूटकेस मे
डालकर करण के साथ अपने घर को
हमेशा के लिए छोड़ कर चली गयी.
कार
को छोड़ कर दोनो ने ऑटो बुक कर
लिया क्यूकी निशा के पापा निशा
की कार को आसानी से खोज सकते
थे.
“पर
हम जाएँगे कहाँ...?”
निशा
घबराते हुए ऑटो मे करण के साथ
बैठते हुए बोली.
“है
एक जगह....बस
तुम चिंता मत करो सब मुझ पर
छोड़ दो...”
करण
ने निशा का हाथ थामते हुए कहा.
बेचारी
निशा ने अपनी किस्मत को भगवान
पर और खुद को करण के हाथो सौंप
दिया था.
करण
रास्ता बताते जा रहा था और ऑटो
वाला उसके बताए रास्ते पर चलता
जा रहा था.
आधे
घंटे के सफ़र के बाद दोनो
बांद्रा पहुचे.
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