काले जादू की दुनिया -15
निशा गम मे इतना डूब गयी थी कि उसने सोचा कि वो स्यूयिसाइड कर लेगी क्यूकी अब उसके पास कहने को पति भी नही था और माँ बाप ने उसे पहले ही ठुकरा दिया था. वो जिस होटेल मे ठहरी थी उसी की छत से कूद कर जान दे देना चाहती थी.
लेकिन स्यूयिसाइड करने से पहले वो करण को तलाक़ दे देना चाहती थी. वो अब करण से इतना नफ़रत करने लगी थी कि अपने साथ उसका नाम भी जोड़ना नही चाहती थी.
उसने अपने आँसू पोछे और जयपुर मे ही उसके एक वकील दोस्त को फोन लगाकर तलाक़ के कागज तय्यार करवा लिए. वो तुरंत लौट कर वापस करण के होटेल मे पहुचि जहाँ उसे रात के अंधेरे मे चुपके से मोहिनी घूँघट करते भागती दिखी.
“इस औरत ने मेरी खुशिया छीन ली....मेरे पति को मुझसे छीन लिया....मैं मरते मरते कम से कम इसे तो जान से मार ही डालूंगी...” कहते हुए निशा गुस्से मे तिल मिलाई मोहिनी का पीछा करने लगी.
जब काफ़ी देर पीछा करने के बाद निशा को मोहिनी एक पास के खंडहर मे जाती दिखी तो वो उसके पीछे लग गयी.
“मालिक आपने जैसा कहा था मैने वो कर दिया....मैने करण और अर्जुन को अपने काले जादू से अपने वश मे कर लिया और उनसे संभोग किया....फिर अपना ज़हरीला दूध उन्हे पिलाया जिससे वो अपनी बहन काजल के बारे मे पूरी तरह से भूल चुके है....यहाँ तक कि मैने करण और उसकी पत्नी के बीच ग़लतफहमिया डाल कर उनके रिश्तो मे दरार पैदा कर दी है..” मोहिनी अपने असली चुदैल वाली रूप मे आती हुई तन्त्र साधना से त्रिकाल के साथ मानसिक संपर्क बनाए हुए थी.
दीवार के पीछे छुपि निशा अपनी आँखो से एक अप्सरा जैसी मोहिनी को एक बुढ़िया चुड़ैल मे बदलते देखती रही और उसकी त्रिकाल से कही हर बात सुनने लगी. उसे तो अपनी आँखो पर यकीन ही नही हो रहा था.
“जी मालिक मैं अभी आस पास ही रहूंगी और यह सुनिश्चित करूँगी कि अगली अमावस्या से पहले वो रामपुरा तक पहुच कर वो त्रिशूल ना ले पाए....” चुड़ैल मोहिनी त्रिकाल से मानसिक तरंगो से बात करते हुए बोली.
निशा वहाँ से चुपके से खिसक ली. वो दौड़ कर वापस करण के होटेल पर आई और करण का कमरा खोलकर भागकर उसके गले लग गयी और उसके पूरे चेहरे को चूमती हुई बोलने लगी, “आइ लव यू करण....मैं तुम्हारे बगैर एक पल भी जी नही सकती...”
करण को यह देख बहुत हैरानी हुई की अभी निशा गुस्से मे तलाक़ तक देने को तय्यार है और अभी उसपर अपना पूरा प्यार लूटा रही है.
निशा ने करण को तलाक़ के कागज दिखाए और उसके सामने कागज को फाड़ कर उसके बाँहो मे समा गयी. “मैं कुछ समझा नही निशा...मुझे तो लगा था कि अब मैं तुमसे कभी नही मिल पाउन्गा....मैने तो स्यूयिसाइड तक करने का मन बना लिया था.”
निशा ने करण के होंटो पर उंगलिया रखते हुए बोली, “ष्ह्ह्ह्ह.....स्यूयिसाइड जैसे शब्द को कभी भूल कर भी अपने होंठो पर मत लाना....वरना मैं भी नही जी पाउन्गि....”
करण को अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था. उसने झुक कर निशा के होंटो को चूम लिया. आज का चुंबन मे दोनो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित लग रहे थे.
“वो मोहिनी कोई औरत नही बल्कि एक चुड़ैल है....” निशा ने करण को समझाते हुए कहा.
“पर वो तो हमे तांगा चलाते हुए मिली थी....ना जाने हम कहाँ जा रहे थे....और आज सुबह हमारे सर मे तेज़ दर्द था और वो हम से ज़बरदस्ती चिपकती जा रही थी...” करण बोला.
फिर जो भी निशा ने खंडहर मे देखा वो करण और अर्जुन को बता दिया. निशा के बताते ही दूध का असर ख़त्म हो गया और उन्हे सब कुछ याद आ गया. करण और अर्जुन ने भी अपनी माँ, अपनी बहन से लेकर त्रिकाल तक की पूरी बात निशा को बता दी. करण और अर्जुन को आचार्य के बारे मे भी उनके सेवको से पता चला.
“करण भाई तुम जा कर नीचे गाड़ी निकलवाओ मैं भी जल्दी से तय्यार हो कर आता हू...हमे आज किसी हाल मे रामपुरा पहुचना है...” अर्जुन बोला और अपना सब समान समेटने लगा.
करण के जाते ही निशा और अर्जुन कमरे मे अकेले रह गये. “निशा भाभी...मैं आपसे कुछ कहूँ..”
“हां कहो ना...”
“भाभी आप करण को कभी मत खोना....करण जिंदगी भर परिवार के प्यार के लिए तड़प्ता रहा है....अगर आपने भी उसे छोड़ दिया तो वो मर जाएगा..”
“अर्जुन ऐसा कभी नही होगा...क्यूकी अगर करण को कुछ हो गया तो यह निशा भी उसी दिन मर जाएगी...”
“भाभी...मैने सच्चे प्यार के रूप मे सलमा को हमेशा के लिए खो दिया है....मैं भगवान से दुआ करूँगा कि आपकी और भैया के जिंदगी मे कभी ऐसे दिन ना आए...” कहते हुए अर्जुन भावुक हो गया.
तभी दौड़ता हुआ करण अंदर आया और बोला, “आज हमारी किस्मत अच्छि है...नीचे एक गाँव के बुजुर्ग को मैने रामपुरा तक हमको ले चलने के लिए तय्यार कर लिया है...”
सब कुच्छ सुनते हुए निशा बोली, “मैं भी चलूंगी तुम लोग के साथ....”
लेकिन तभी करण निशा को रोकते हुए कहा, “नही निशा तुम हमारे साथ नही सकती...आगे बहुत ख़तरा है...ऐसे ही सफ़र मे हम ने अपनी प्यारी छोटी बहन को खो दिया था....अब मैं तुम्हे नही खोना चाहता...”
“तुम भी मुझे बड़े किस्मत से वापस मिले हो...मैं तुम्हारी पत्नी हू...और एक पत्नी का फ़र्ज़ होता है कि वो पति के साथ हर मुश्किल घड़ी मे रहे...” निशा बोली.
करण के पास इसका कोई जवाब नही था. उस बुजुर्ग की मदद से तीनो शाम ढलते ढलते रामपुरा पहुच गये.
“इस से आगे मैं नही जाउन्गा साहब....यह गाँव श्रापित है....इसमे वो ही जा सकता जिसके पास सच्चे प्रेम की ताक़त हो...” कहते हुए वो बुजुर्ग आदमी वापस लौट गया.
सामने एक वीरान खंडहरो से भरा एक छोटा सा गाँव था. उसकी झोपड़ियो को मौसम ने कमज़ोर कर के गिरा दिया था. चारो तरफ बिना देखभाल के घनी घनी झाड़िया उग आई थी.
“हमारे पास सच्चे प्यार की ताक़त है....” करण ने निशा का हाथ थामते हुए कहा.
“अगर तुम साथ हो तो मैं कही भी जा सकती हू..” निशा ने जवाब दिया.
“मेरे पास सच्चा प्यार तो नही पर मैं सच्चे प्यार को समझ चुका हू...और कही ना कही सलमा के सच्चे प्यार की ताक़त मुझमे भी है...” अर्जुन बोला.
तीनो हाथ पकड़ कर श्रापित रामपुरा गाँव मे प्रवेश कर गये. उनके प्रवेश करते ही गाँव मे तेज़ आधी तूफान चलने लगी लेकिन तीनो के कदम नही डगमगाए. तीनो को अपनी सच्चे प्यार की ताक़त पर पूरा भरोसा था.
सारे बाधाओ को पार कर वो एक मंदिर तक पहुचे. यह वही मंदिर था जिसकी बात आचार्य सत्य प्रकाश कर रहे थे. तीनो को मंदिर के सामने द्वार पर अनगिनत नाग रेंगते दिखाई दिए जो उन्ही को देख कर फुफ्कार रहे थे.
“अपने आप पर भरोसा रखो...इन नागो से डरो नही....हम यहा कोई लालच से नही उस दुष्ट त्रिकाल का अंत करने आ ये है...” करण बोला और तीनो हाथ मे हाथ डाले नागो के उपर से चल कर जाने लगे.
आश्चर्य की बात सही थी, उन सापों पर पैर रखने पर भी वो तीनो को नही डस रहे थे. मंदिर के किनारे असंख्य इंसानो के कंकाल पड़े थे जिनके लालच की वजह से इन सापों ने उन्हे डॅस कर मार दिया होगा.
“अब तो भोले नाथ महादेव शिव शभू भी हमारे साथ है....” अर्जुन बोला और तीनो हाथो मे हाथ डाल कर शिव जी की मूर्ति तक पहुच गये और वो मायवी त्रिशूल को निकाल लिया.
“हम आपको वचन देते है कि इस त्रिशूल को बुरे हाथो मे नही पड़ने देंगे....त्रिकाल को मार कर हम यह त्रिशूल यही पर लौटा देंगे...” करण अर्जुन और निशा ने हाथ आगे बढ़ा कर शिव जी की मूर्ति के सामने शपथ ली.
त्रिशूल लेकर तीनो रामपुरा से बाहर आ गये. “पर हम बिना जीपीएस सिग्नल के त्रिकाल के गुफा तक पहुचेंगे कैसे...???” अर्जुन बोला.
तभी त्रिशूल हवा मे उठ कर एक ख़ास दिशा मे लहराने लगा. अर्जुन ने जब माप देखा तो वो एंपी छत्तीसगढ़ के बॉर्डर का जंगल था जहा पर त्रिकाल का अड्डा था.
“यह त्रिशूल हमे पहुचाएगा त्रिकाल तक....पर उससे पहले हमे उस मोहिनी चुड़ैल से बदला चुकाना है जिसने हमारी हस्ती खेलती जिंदगी को उजाड़ने की कोशिश की..” करण दाँत पीसते हुए बोला.
तभी फिर से त्रिशूल लहराया और इस बार नये दिशा मे संकेत देने लगा. तीनो उसी दिशा मे चलते गये जब तक वे उसकी खंडहर मे नही पहुच गये जहाँ मोहिनी नमक चुड़ैल छुपि थी.
“करण और निशा तुम दूर ही रहना....आज मैं इसका काला जादू मैं ख़तम करके आता हू...” अर्जुन ने त्रिशूल उठाया और खंडहर मे घुस गया. पीछे पीछे करण और निशा भी आ गये.
मोहिनी ने संकट भाँप लिया और अर्जुन के सामने आकर उसपर तन्त्र शक्तियो का वार करने लगी जो शिव जी के त्रिशूल से टकरा कर बेकार हो गये.
तेज़ कदमो से तांत्रिक वारो से बचते हुए अर्जुन मोहिनी के पास पहुचा और त्रिशूल का वार किया पर अगले ही पल फुर्ती से मोहिने पलट गयी और अर्जुन के पैर मे अपना पैर फसा कर उसको गिरा दिया. अर्जुन भी ट्रेंड किकबॉक्सर था, उसने भी गिरी हुई मोहिने पे भी वही दाव लगाया और उसके पैरो को फसा कर उसे भी नीचे गिरा दिया.
इससे पहले अर्जुन त्रिशूल का वार कर पाता, चालक मोहिनी नीचे गिरे रेत मिट्टी और धूल को अर्जुन की आँखो मे डालने मे कामयाब हो गयी. मोहिनी को पता था उसके तांत्रिक वार अर्जुन पर बेकार जा रहे है तो उसने अपनी ब्लाउस मे से एक खंजर निकाल लिया.
अर्जुन अभी भी आँखो मे पड़ी धूल से उबर नही पाया था. मौका देख कर मोहिनी खंजर अर्जुन के सीने मे उतारने ही वाली थी तभी करण वहाँ आ गया और उसे धक्का दे के दूर गिरा दिया. इतनी देर मे अर्जुन भी मैदान-ए-जंग मे आ गया. अचानक हुए करण के वार से मोहिनी थोड़ा पीछे ज़रूर हो गयी थी पर वो अभी हारी नही थी.
दोनो करण अर्जुन एक साथ दौड़े मोहिनी की तरफ, लेकिन अपने होश संभालते हुए मोहिनी फुर्ती से अपनी कालाबाज़ी दिखाते हुई हवा मे उच्छली और उसने अपने दोनो पैरो से किक करण अर्जुन के छाती पर मारा. दोनो दूर जा गिरे. हसते हुए मोहिनी अपने हाथ मे खंजर लिए हुए दोनो के तरफ बढ़ने लगी, लग रहा था अब दोनो को कोई बचा नही सकता था.
निशा ये सब छुप के देख रही थी. उसे अपने पति और देवर की बोहोत चिंता हो रही थी. तभी उसने देखा पास मे बड़ा सा पत्थर पड़ा है. उसने हिम्मत की और ये सोच कर कि आज आर या पार की लड़ाई है उसने अपने कोमल नाज़ुक हाथो से पूरी दम लगा कर पत्थर उठा लिया. शायद अपने सुहाग को बचाने के जज़्बे से उसमे यह ताक़त आ गयी थी. वो तेज़ी से भागी, इससे पहले मोहिनी कुच्छ समझ पाती, उसने पत्थर मोहिनी के सर पर दे मारा.
एक पल के लिए मोहिनी के आगे अंधेरा छा गया और वो लड़खड़ाने लगी. अर्जुन को लगा यही सही मौका और उसने त्रिशूल को उठाया किसी शेर की भाती दहाड़ते हुए छलान्ग लगाया और अगले ही पल त्रिशूल, मोहिनी के सीने को चीरते हुए आर पार हो गया. दर्द की चीख से आस पास का पूरा महॉल दहल गया और मोहिनी चुड़ैल का वही अंत हो गया.
“थॅंक्स भाभी...अगर आज आप सही समय पर नही आती तो वो मोहिनी हम दोनो भाइयो को मार डालती...” अर्जुन मोहिनी के सीने से त्रिशूल खीचते हुए बोला. तब तक करण भी उठ चुका था.
“इसमे थॅंक्स कुच्छ नही...अगर कोई औरत अपने परिवार को ख़तरे मे देखती है तो वो चंडिका का रूप ले सकती है..” निशा प्यार से अपने देवर के सर पे हाथ फेरते हुए बोली.
करण भाग कर निशा को गले लगाते हुए बोला, “तभी तुम इतना भारी पत्थर उठा पाई....सच मे निशा तुमने आज बहुत हिम्मत का काम किया है...अब मोहिनी का काम तमाम हो गया.”
“अब अगली बारी है तांत्रिक त्रिकाल की....” अर्जुन त्रिशूल पर से लगे खून को सॉफ करता हुआ बोला.
तीनो अर्जुन की स्कॉर्पियो उठाकर त्रिकाल की गुफा के तरफ चल दिए. त्रिशूल उनको सही दिशा बताए जा रहा था.
अमावस्या की रात आ चुकी थी और करण अर्जुन और निशा तीनो जंगल से रास्ता बनाते हुए त्रिकाल के गुफा मे प्रवेश कर रहे थे.
उधर त्रिकाल यह सब से अंजान अमावस्या की शुभ घड़ी का इंतेज़ार कर रह था जो आज थी. भर घुप्प अंधेरा पसरा था. मौत की काली चादर हर तरफ फैली हुई थी. हर तरफ सिर्फ़ सन्नाटा ही सन्नाटा था. पूरा जंगल मानो त्रिकाल के भय से छुप गया था.
करण अर्जुन और निशा गुफा से रास्ता बनाते हुए त्रिकाल के अड्डे तक जा पहुचे. वहाँ वो एक पत्थर के पीछे से त्रिकाल पर नज़र रखने लगे. उन्हे पता था ही कि त्रिकाल पर अभी हमला करना बेवकूफी होगी क्यूकी अभी वो चौकन्ना था और अपने काले जादू से उनको आसानी से परास्त कर सकता था. वो तीनो त्रिकाल के तन्त्र साधना मे डूबने का इंतेज़ार करने लगे क्यूकी एक वोही ऐसा समय था जब त्रिकाल सबसे कमज़ोर होता था.
तंत्र साधना की पूरी तय्यारी कर ली गयी थी. हर तरफ उसके आदमी काले लबादा ओढ़े तन्त्र मन्त्र और जादू टोना कर रहे थे.
“एक सौ आठवी कुवारि लड़की को बुलाया जाए....” त्रिकाल ने चिल्ला कर कहा.
तभी रस्सी मे बँधी काजल को त्रिकाल के आदमी घसीटे हुए लाए. वो उसकी बालो को इतने ज़ोर से घसीट रहे थे कि उसके सर से बाल नोचे जाने से खून निकलने लगा.
ऐसा ही कुछ दो हफ्ते पहले सलमा के साथ हुआ था. अपनी बहन के साथ भी ऐसा होता देख अर्जुन आग बाबूला हो गया. पर करण ने उसे समझाया और सही समय आने का इंतेज़ार करने लगा.
“हा...हा...हा...आज वो शुभ घड़ी आ ही गयी जब शैतान मुझे हमेशा के लिए अमर बना देगा...हा..हा.हा..” त्रिकाल किसी भयानक राक्षस की तरह लग रहा था.
उसने काजल को एक हाथ से पकड़ा और उसके स्तनो को मसलता हुआ हँसने लगा.
“तू ख़ुसनसीब है लड़की जो तू त्रिकाल के हाथो मर रही है....आज शैतान मेरे शरीर मे समाकर तुझे भोगेगा...तुझसे संभोग करेगा...तुझसे अपनी काम वासना और जिस्म की प्यास बुझाएगा...हा..हा..हा”
अब तक काजल उम्मीद खो चुकी थी. उसे अब विश्वास हो गया था कि उसके भाई उसको बचाने नही आएँगे. अब तक त्रिकाल के आदमी रत्ना को भी बंदी बना कर ले आए थे.
इधर चट्टान के पीछे छुपे अर्जुन से बर्दाश्त नही हो रहा था, उसने और करण ने ना जाने कितने सालो बाद अपनी माँ को देखा था. निशा त्रिकाल के इस भयंकर रूप को देख कर थोड़ा सहमी हुई थी लेकिन अपनी सास रत्ना और ननद काजल को देख कर उसका खून भी दुष्ट त्रिकाल पर उबल रहा था.
“आ शैतान....आ मेरे शरीर मे....और स्वीकार कर इस कुवारि लड़की का जिस्म...फिर मैं चढ़ाउंगा इसकी बलि तुझे...और तुझे अपने वादे के मुताबिक...बनाना होगा मुझे अमर....हा..हा..हा..” कहते हुए त्रिकाल शैतान की ख़ौफफनाक मूर्ति के सामने तन्त्र साधना मे लीन हो गया. उसके बाकी आदमी भी तन्त्र मन्त्र कर रहे थे.
“अर्जुन यही सही मोका है....” करण ने अर्जुन से कहा.
निशा का मन बहुत घबरा रहा था उसने आख़िरी बार करण के होंठो को पूरी शिद्दत से अपने होंठो के बीचा रख कर कुछ पलो के लिए चूसा और उसे कहा, “तुम जहा भी रहोगे...मैं तुम्हारा सात जन्मो तक इंतेज़ार करूँगी...” और उसकी आँखे छलक आई.
“मेरा इंतेज़ार करना निशा....मैं ज़रूर आउन्गा...” कहते हुए करण और अर्जुन ने निशा को वही पत्थर के पीछे छुपा कर छोड़ दिया और हल्ला बोलते हुए मैदान मे कूद पड़े.
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