काले जादू की दुनिया -8




हे भगवान अब क्या करे....” अर्जुन बोला.

अब तो भागने मे ही भलाई है....” करण बोला और भागने लगा. उसके पीछे अर्जुन भी था लेकिन काजल वही खड़ी रही. सलमा की मौत और बलात्कार को अपनी आँखो से देखने के बाद वो सदमे मे आ गई थी.

करण और अर्जुन जब तक वापस आते तब तक देर हो चुकी थी. उनके सामने त्रिकाल के दो शिष्य काजल को पकड़े खड़े थे.

कमिनो जाने दो मुझे....भैया बचाओ मुझे...” काजल अपने आपको छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली.

छोड़ दे हमारी बहन को वरना यह खंजर सीधा तेरे सीने के आर पार कर दूँगा...” अर्जुन जेब से खंजर निकालते हुए बोला.

तब तक त्रिकाल भी वहाँ आ गया. उसने अपना हाथ फेरा और काले जादू के असर से खंजर अर्जुन के हाथ से अपने आप निकल कर दूर जा गिरा. “कॉन है यह कुत्ते और यहाँ क्या कर रहे है...” त्रिकाल गुस्से मे गुर्राया.

मालिक यह लोग हमे छुप कर तन्त्र साधना करते हुए देख रहे थे...शायद टीवी रिपोर्टर लगते है...” त्रिकाल के एक शिष्य ने कहा जो एक हाथ से काजल को पकड़ के रखा था.

कमीने जिस लड़की का अभी तूने बलात्कार किया और उसे जान से मार दिया वो मेरी मंगेतर थी...” अर्जुन का खून पास मे पड़ी सलमा का कटा हुआ जिस्म देख कर उबल रहा था.

जब तुम कुत्तो ने मुझे इतना करते देख ही लिया है तो आगे भी देख लो कि मैं कैसे अमर होता हू...हा हा हा....पकड़ लो इन दोनो को..” त्रिकाल ने भारी आवाज़ मे अपने शिष्यो को आदेश दिया.

करण और अर्जुन ने पलटवार करने की कोशिश की पर त्रिकाल के काले जादू के सामने उनके हाथ पैर वही जम गये और उसके शिष्यो ने करण अर्जुन को आसानी से पकड़ लिया.

त्रिकाल का समय खराब हो रहा था इसलिए उसने जल्दी से सलमा का कटा हुआ सर शैतान की खौफ्फ्नाक मूर्ति को अर्पण कर के तन्त्र साधना करने लगा.
अब मैं अमर हू....मुझे कोई नही मार सकता...हा हा हा...पूरी दुनिया मे मेरा राज होगा..” तन्त्र साधना पूरी हो जाने के बाद त्रिकाल ठहाका लगा के हँसने लगा.

पर आश्चर्य की बात त्रिकाल के लिए यह थी कि शैतान ने उसे अभी तक दर्शन नही दिए. त्रिकाल का माथा चकरा गया कि आख़िर जब उसने आख़िरी लड़की की बलि चढ़ा दी तो शैतान उसे दर्शन क्यू नही दे रहा.

तभी शैतान की मूर्ति से एक आवाज़ आई, “मूर्ख त्रिकाल तूने मेरी काम वासना तो शांत कर दी पर जिस लड़की की बलि तूने चढ़ाई है वो कुवारि नही है...उसका कौमार्य पहले ही भंग हो चुका था...”
त्रिकाल ऐसा सुनते ही चौंक गया. उसे अपनी ग़लती का एहसास हुआ पर अगले ही पल उसके बदसूरत चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गयी. “मुझे माफ़ कर दो शैतान...अगली अमावस्या को तुम्हारी काम वासना और एक कुवारि लड़की की बलि चढ़ा कर तुम्हे ज़रूर प्रसन करूँगा...यह त्रिकाल का वादा है तुमसे...हा हा हा..”

त्रिकाल बड़ा ही कमीना आदमी था उसने अपने शिष्यो से कहा, “अगली अमावस्या को नयी लड़की लाने की कोई ज़रूरत नही है...इन दोनो लौन्डो की यह चिकनी बहन ही हमारा अगला शिकार होगी...”

काजल के यह सुनते ही होश उड़ गये. जो आज उसने सलमा के साथ होता देखा था वो अगली अमावस्या की रात उसके साथ होने वाला था, यह सोच कर उसकी रूह काँप उठी. इधर करण और अर्जुन का खून खौल उठा. अपनी बहन के बारे मे ऐसा सुनकर उन्हे बहुत गुस्सा आया. उन्होने बहुत कोशिश की पर त्रिकाल के काले जादू से आज़ाद नही हो पाए.

मालिक इनकी बहन को हम भी भोगना चाहते है...पर अभी इन दोनो लड़को का क्या करना है...???” एक शिष्य ने काजल के गुदाज जिस्म को दबोचते हुए कहा . काजल के जिस्म पर मर्द का यह पहला स्पर्श था जिससे वो तड़प उठी.

करण और अर्जुन यह देख कर आग बाबूला हो गये पर वो दोनो काले जादू के असर से मजबूर थे. त्रिकाल ने अपने शिष्य को आदेश दिया, “यह दोनो टीवी रिपोर्टर मालूम होते है...अगर इनको जान से मार दिया तो इनको खोजने और रिपोर्टर यहाँ तक आ जाएँगे और हमारा राज सबके सामने खुल जाएगा...इतना जोखिम हम नही ले सकते...”

तो आप ही बताइए मालिक मैं क्या करू....” शिष्य काजल के गुदाज जिस्म को उसके दोनो भाइयो के सामने ही दबा रहा था.

एक काम करो अभी इनको यहाँ से दूर जंगल मे फिकवा दो...यह कभी भी यहाँ वापस नही पहुच पाएँगे....हा हा हा..” हंसते हुए त्रिकाल ने काजल के सौंदर्य को एक बार देखा और उसकी कठोर गदराये जिस्म को सहलाता हुआ कोठरी के अंदर चला गया.

पर जाते जाते उसने करण और अर्जुन पे ऐसा काला जादू किया कि वो दोनो बेहोश हो गये और गुफा से दूर जंगल के ना जाने किस कोने पर पहुचा दिए गये.

बेहोश होने से पहले उन्हे बस काजल की चीख ही सुनाई दी “भैया...प्लीज़ मुझे छोड़ कर मत जाओ....मुझे यहाँ बहुत डर लग रहा है...यह लोग मुझे भी सलमा की तरह मार देंगे...भैया प्लीज़....” और फिर वो दोनो बेहोश हो गये थे.

जब उन्हे होश आया तो सवेरा हो चुका था. रात की एक एक बात उनके ज़हन मे दौड़ रही थी. अपने साथ अपनी प्यारी बहन को ना पाकर वो दोनो टूट गये और वही पर बैठ के एक दूसरे के कंधो पर रोने लगे.

हमे काजल को यहाँ लाना ही नही चाहिए था....” अर्जुन रोते हुए बोला.

अर्जुन सम्भालो अपने आपको...” करण उसके कंधो पर हाथ फेरता हुआ बोला.

कैसे संभालू अपने आपको....???” और अर्जुन फिर से बिलख बिलख कर रोने लगा. उसकी माँ के गुजर जाने के बाद सिर्फ़ एक काजल ही थी जिसे वो सबसे ज़्यादा प्यार करता था. और आज वो भी उसके साथ नही थी.

अर्जुन हमें हिम्मत से काम लेना होगा...ऐसे बैठे बैठे रोने से काम नही चलेगा....हमें कोई ना कोई रास्ता निकालना ही होगा जिस से हम वापस त्रिकाल की गुफा तक पहुच सके..” करण ने उसे समझाते हुए कहा.

पर हम यह सब करेंगे कैसे....और कहीं वो कमीने तांत्रिक लोग काजल के साथ कुछ उल्टा सीधा ना कर दे..” अर्जुन अपनी आँखो से आँसू पोछता हुआ बोला.

अर्जुन एक तो सीधी सी बात है कि त्रिकाल और उसके आदमी काजल को अगली अमावस्या तक कोई नुकसान नही पहुचाएँगे....और अब अगली अमावस्या 28 दिन बाद है...इतने समय मे हमें काजल को छुड़ाने का कोई तरीका ढूँढना ही होगा.”
करण तुम ठीक कह रहे हो....कम से कम काजल अगले अमावस्या तक तो सुरक्षित है....पर अभी तो हमें इस जंगल से बाहर निकलना होगा तभी हम आगे की कुछ प्लॅनिंग कर सकते है...” कहते हुए अर्जुन और करण उस घने जंगल से बाहर जाने का रास्ता तलाश करने लगे.

इधर काजल को त्रिकाल के आदमियो ने एक अंधेरे कारागार मे डाल दिया. काजल बहुत ही ज़्यादा डरी हुई थी, “मेरे दोनो भैया मुझे बचाने ज़रूर आएँगे....फिर तुम्हारे मालिक को बचने के लिए पाताल मे भी जगह नही मिलेगी...सड़ सड़ कर मरेगा वो पापी...” काजल त्रिकाल के आदमियो पर चिल्लाते हुए बोली जिसे वो नज़रअंदाज कर काल कोठरी मे बंद कर के चले गये.

काजल एक कोने मे बैठी सुबक्ती रही. उस कल कोठरी मे फैले अंधेरे से वो सहमी हुई थी. त्रिकाल के वहशी आदमियो ने उसके सारे कपड़े उतार के उसे नंगी कर दिया था. वो अपने योवन को अपने हाथो से समेटे सूबक रही थी.

बेटी तुम कॉन हो....?” काल कोठरी एक अंधेरे कोने से एक महिला की आवाज़ आई. जब वो काल कोठरी की छोटी सी खिड़की से आती हुई सूरज की रोशनी के सामने आई तब काजल उसे देखते ही पहचान गयी.

माआअ......” काजल दौड़ के अपनी माँ से लिपट गयी, और वो जान गयी कि उसकी माँ भी उस काल कोठरी मे नंगी पड़ी हुई है.
काजल...???” रत्ना ने हैरानी से पूछा.

हाँ माँ मैं ही हू...आपकी बेटी काजल.” और काजल रोते हुए अपनी माँ से लिपट गयी.
अपनी बेटी को यहाँ देख कर एक पल के लिए रत्ना बहुत खुश हुई पर अगले ही पल उसकी हँसी गायब हो गयी, “बेटी पर तू यहाँ आई कैसे....तुझे यहाँ नही होना चाहिए था...यह लोग बड़े गंदे आदमी है...सब के सब वहशी दरिंदे है...”

माँ मैं अर्जुन और करण भैया के साथ यहाँ आई थी...”

क्या वो दोनो यहाँ आए थे....कब और कहाँ..?” रत्ना काजल की बाहे झन्झोडते हुए उस से पूछने लगी.

माँ कुछ महीनो से अर्जुन और करण भैया को आपके इसी काल कोठरी मे बंद होने के सपने आते थे...सो उनका पीछा करते हुए हम लोग यहाँ तक आ गये...”

हाँ मैने ही उन दोनो को सपना दिखाया था....बारह साल से त्रिकाल की रखेल बन कर मैने भी थोड़ा सा काला जादू सीख लिया है जिसकी मदद से मैने अपने दोनो बेटो को अपने यहाँ होने का सपना दिखाया था...”

क्या आप और त्रिकाल की रखेल हो...???” काजल को अपनी माँ की कही बातो पर यकीन नही हो रहा था.
हाँ बेटी...यह सब 25 साल पहले शुरू हुआ जब त्रिकाल की गंदी नज़र मेरे जिस्म पर पड़ी थी. उसने मेरा फायेदा उठा कर मेरा बलात्कार किया और मेरी बलि देने के लिए इसी गुफा मे ले आया...लेकिन वो मेरे रूप से कुछ ज़्यादा ही आकर्षित हो गया था इसीलिए उसने मेरी बलि नही चढ़ाई...बल्कि मुझे वापस मेरे घर भेज दिया...मैं बदनाम होने से डर गयी और घरवालो को कुछ नही बताया...लेकिन फिर भी त्रिकाल की वासना शांत नही हुई...बारह साल पहले वो लौट आया और मेरा अपहरण कर के मुझे अपनी रखेल बना लिया...पर अब कभी कभी लगता है आख़िर उसको मेरी बलि चढ़ा देनी चाहिए थी...कम से कम इस ज़िल्लत भरी ज़िंदगी से मुझे मुक्ति तो मिल जाती...” और रत्ना बिलख बिलक कर अपनी बेटी की कंधो पर सर रख कर रोने लगी.

आप बिल्कुल फिकर मत करो माँ....मुझे पूरा यकीन है कि मेरे दोनो भैया हमें बचाने ज़रूर आएँगे...बस आप थोड़ा धीरज रखो..” काजल ने अपनी माँ के सर पे प्यार से हाथ फेरा.

मुझे पता है मेरी बेटी कि मेरे दोनो बेटे हमें लेने एक दिन ज़रूर आएँगे....आख़िर दोनो शेर बेटे पैदा किए है मैने.” रत्ना अपनी बेटी को अपने गले से लगाती हुई बोली.

बेटी तू तो बहुत बड़ी हो गयी है...” रत्ने ने काजल के माथे को चूमते हुए कहा.

नही माँ मैं तो अभी भी आपकी लाडली हू...” काजल ने मासूमियत से जवाब दिया.

क्या करू बेटी मैं यहाँ फसि हुई हू....पहले तो इस ज़िल्लत भरी ज़िंदगी से घिंन आती थी...पर अब तो जैसे इसकी आदत हो गयी है....अब मुझे यहाँ से तभी आज़ादी मिलेगी जब वो दुष्ट पापी त्रिकाल मारा जाएगा...” रत्ना ने अपनी बेटी के सर को सहलाते हुए कहा.

काजल अच्छा यह बता मेरे दोनो बेटे करते क्या है और दिखते कैसे है...” रत्ना ने काजल से पूछा.

माँ आपके दोनो बेटे बहुत स्मार्ट दिखते है. अर्जुन भैया एक बहुत बड़ी कंपनी मे चीफ सिविल इंजिनियर है और करण भैया एक बहुत बड़े डॉक्टर...और आपकी यह बेटी वकालत पढ़ रही है...” काजल ने बताया.
मैं यहाँ इस कालकोठरी मे भगवान से यही मनाती थी कि मेरे बेटो का भविष्य उज्ज्वल बना देना...” रत्ना के बोलते ही काल कोठरी का गेट खुला और त्रिकाल का एक आदमी अंदर आया है.

चल मालिक की सेवा करने का समय हो गया है...” उसने रत्ना को घसीट ते हुए कहा. काजल बस देखती ही रह गयी, आख़िर वो कर भी क्या सकती थी.

थोड़ी देर बाद बगल की कोठारी से उसकी माँ की दर्द भरी चीखे काजल को सुनाई देने लगी. वह बस अपने मन मे यही सोच रही थी कब उसके दोनो भाई आए और उसे और उसकी माँ को त्रिकाल के चंगुल से छुड़ा ले जाए.

इधर घने जंगल मे भूके प्यासे कारण और अर्जुन भटकते रहते है. पूरा दिन गुजर गया था पर अभी तक उन्हे जंगल से बाहर निकलने का रास्ता नही मिला. इधर उधर चलते रहने के बाद उन्हे कुछ आदमी उनकी ओर आते दिखाई दिए.

चल इनसे मदद माँगते है....” करण बोला और अर्जुन का हाथ पकड़ कर आदमियो की तरफ चल दिया.

पर करण कही यह त्रिकाल के आदमी तो नही....???”

नही यह त्रिकाल के आदमी नही हो सकते....तुमने सुना नही कि वो हमे टीवी रिपोर्टर समझ रहे थे....इसलिए अभी वो वापस हम पर हमला नही करेंगे...”

अर्जुन को लगा कि करण की बात मे दम है इसलिए वो करण के साथ साथ चलने लगा.

काका आप लोग कौन है....” करण ने उन आदमियो मे से एक से पूछा.

अरे बिटवा...हम सब तो इहा के लकड़हारे है...देखत नाही हो हमारे पास जंगल की कटी लकड़िया है....पर एई बताओ...तुम दोनो एई बख़त इस घने जंगल मा क्या कर रहे हो...” उस अधेड़ उमर के आदमी ने कहा.

वो दरअसल काका....हम लोग जंगल मे घूमने आए थे पर यहा भटक गये है और वापस शहर जाना चाहते है...” करण बोला.

बिटवा....तुम लोगो का एई बख़त यहा घूमना ठीक नाही है...तुमका पता है एई जंगल माँ एक बहुत ही दुष्ट तंत्रिकवा रहत है...उ अगर तुम लोगो का देख लीही तो समझ लो तुम दोनो की मौत पक्की है....”

काका हम यहाँ से जल्द से जल्द निकल जाना चाहते है.....” करण बोला.

फिर उस आदमी ने करण और अर्जुन को जंगल से बाहर जाने का रास्ता बता दिया. रात हो चली थी और दोनो पास के एक कस्बे मे पहुच चुके थे. दो दिनो से भूके दोनो पास के एक ढाबे मे चले गये और खाना खाने बैठ गये.

करण अब हम यहाँ से आगे क्या करे....” अर्जुन ने रोटिया तोड़ते हुए कहा.

यह तो मुझे भी समझ मे नही आ रहा है....” करण खाने का कौर खाते हुए बोला.

क्यू ना हम दोबारा जंगल मे जाने का प्रयास करे....”

पर अर्जुन अब तो हमारे पास सलमा के फोन का जीपीस सिग्नल भी नही है तो हम वहाँ पर कैसे जा सकते है....”

ह्म्‍म्म....बात तो सही है...पर अगर हम कुछ दिनो तक लगातार ढूँढते रहे तो ज़रूर त्रिकाल की गुफा ढूंड लेंगे..”

नही ऐसा करना ठीक नही होगा...क्यूकी अगर हम त्रिकाल की गुफा तक पहुच भी गये तो उसके काले जादू से जीत नही पाएँगे...”

तो फिर हम करे क्या....बस हाथ पर हाथ धरे अपनी बहन की इज़्ज़त लूट ते देखे....” अर्जुन खीजते हुए बोला.

करण कुछ देर चुप रहा. उसका डॉक्टोरी दिमाग़ तेज़ी से चल रहा था जब उसे एक ख़याल आया. “क्यू ना हम दोबारा आचार्य सत्य प्रकाश के पास चलते है....उन्होने पिच्छली बार हमारी मदद की थी तो इस बार भी ज़रूर करेंगे..” करण कुछ सोचते हुए बोला.

हाँ यह ठीक रहेगा...” अर्जुन ने जवाब दिया.

रात भर वही ढाबे के बाहर बिताकर दोनो अगली सुबह अपने गाड़ी से मुंबई रवाना हो गये.

करण...काजल की कमी बहुत खल रही है...अगर हमारी फूल सी बहन को कुछ भी हो गया तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा...” अर्जुन का गला भर आया था.

तू फिकर मत कर मेरे भाई....काजल भी हमारी तरह एक राजपूत खून है...वो इतनी जल्दी हिम्मत नही हारेगी....और मुझे पूरा विश्वास है कि हम जल्द ही कुछ ना कुछ रास्ता ज़रूर ढूँढ निकालेंगे...”

एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते दोनो अपने घर मुंबई पहुच गये. आचार्य सत्य प्रकाश का पता लगाने पर उन्हे पता चला कि वो पास के शहेर मे यज्ञ कराने गये है और दो दिन बाद ही लौटेंगे.

चल भाई अब इन दो दिनो मे आराम कर ले क्यूकी हम जिस सफ़र पर निकलने वाले है उसपर अब आराम नही मिलेगा..” करण बोला.

पर भाई हमारी बहन वहाँ मुसीबत मे है तो हम यहा कैसे आराम कर सकते है...”

अर्जुन तू खुले दिमाग़ से सोच...अभी हमारे पास कोई और रास्ता नही है...जब तक आचार्य वापस नही आते है तब तक हम कुछ नही कर सकते....और तू फिकर करना छोड़ दे क्यूकी अगली अमावस्या तक त्रिकाल काजल को हाथ भी नही लगाएगा...” करण ने अर्जुन को समझाया.

अब सब कुछ भगवान पर छोड़ कर दोनो अपने अपने घर चले गये. अर्जुन को लगा कि सलमा के अम्मी अब्बू को सब कुछ सच सच बता दे, पर उसकी ऐसा करने की हिम्मत ही नही हुई, और अगर हिम्मत होती भी तो सलमा के अम्मी अब्बू यह तांत्रिक के काले जादू पर कभी विश्वास नही करते. अपने दिल पर यह बड़ा सा बोझ लेकर अर्जुन अपने घर चला गया.

इतने दिनो से करण का क्लिनिक भी बंद था, पर उसे इसकी फिकर नही थी. करण की नज़रें तो किसी और को ही ढूँढ रही थी. शाम तक वो तय्यार हो कर गाड़ी से अपनी मंज़िल तक पहुच गया.


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