काले जादू की दुनिया -14
उधर
दूर मुंबई मे बैठी निशा अपने
अकेलेपन से लड़ रही थी.
करण
के ऐसे अचानक बिना कुछ बताए
छोड़ कर चले जाने से उसे उसपर
शक हो रहा था कि कही उसका किसी
लड़की के साथ चक्कर तो नही.
तभी
उसके मोबाइल पर करण का कॉल
आया.
इतनी
रात को कॉल आने से वो चौंक गयी.
उसने
फोन उठाया तो पीछे सिसकिया
और सम्भोग की आवाज़ें चल रही
थी.
निशा
का दिमाग़ एकदम से सन्ना गया.
“आह....करण बाबू आह ...और ज़ोर से ....आह ...और ज़ोर से ....” मोहिनी जान बूझ कर चिल्ला कर बोल रही थी ताकि फोन पर निशा सुन सके.
“आअहह...मोहिनी...क्या मस्त माल है तू.... कितनी कसी हुई है...” इस सब से बेख़बर काले जादू के असर से करण बडबडाये जा रहा था. यह सब सुनकर मानो निशा पर पहाड़ टूट पड़ा हो.
“क्या मे आपकी बीवी निशा से भी ज़्यादा मज़ा दे रही हूँ ...” मोहिनी फिर चिल्ला के बोली ताकि निशा यह सब सुन सके.
“हाँ मेरी जान...तुझ मे जो बात है वो मेरी बीवी मे भी नही...इनफॅक्ट मुझे उसकी वो बिल्कुल पसंद नही है....मजबूरी मे उसके साथ रहता हू..वरना उसे छोड़ दूँ ..” करण यह सब कहना नही चाहता था पर मोहिनी का सम्मोहन उसे ऐसा कहने पर मजबूर कर रहा था.
निशा को लगा कि उसके कान फट जाएँगे अगर उसने आगे एक भी सेकेंड सुना तो. गुस्से और नफ़रत से उसका चेहरा लाल हो गया था.
फिर भी उसके मन मे कही ना कही यह ख़याल ज़रूर था कि उसका पति करण उसके साथ धोका नही कर सकता. इसलिए निशा ने सच पता लगाने का फ़ैसला किया.
उसने करण का लॅपटॉप खोला और उसके क्रेडिट कार्ड के बिल को देखने लगी. उसे वहाँ दिखाई दिया कि करण और अर्जुन ने जयपुर के मान सिंग पॅलेस नाम के होटेल मे क्रेडिट कार्ड से पेमेंट किया है. निशा गुस्से मे तिल मिलाते उठी और तुरंत सुबह वाला मुंबई तो जयपुर फ्लाइट बुक करवा लिया.
इधर कस कर दस पंद्रह मिनिट के बाद दोनो करण और अर्जुन आनंद की सीमा पर पहुंच गए और उसके जिस्म से उतर गये. मोहिनी अपनी चाल मे कामयाब हो चुकी थी. साथ ही साथ वो करण और निशा के रिश्तो मे भी दरार डालने का काम कर चुकी थी.
“वाह साहब...आप दोनो ने तो मुझे आगे पीछे से बहुत मज़ा दिया है....अब आपलोग मोहिनी का दूध पीकर वापस अपनी ताक़त इकट्ठा कर लो ताकि हम फिर से शुरू कर सके...” कहते हुए मोहिनी के आजू बाजू लेटे करण और अर्जुन दोनो किसी बच्चे की तरह चूसने लगे.
ताज़ा दूध उन दोनो के मूह मे भरता जा रहा था. जिसे पीकर वो अपने होश गँवाते जा रहे थे.
अगली सुबह जब करण की नींद खुली तो उसके सर मे तेज़ दर्द था. इतना तेज़ कि मानो उसका सर दर्द से फट जाएगा. सब कुछ धुँधला धुन्द्ला दिख रहा था. उसे महसूस हुआ कि वो बिस्तर पर नंगा पड़ा है और कोई उसे मूह मे लेकर चूस रहा है.
उसने सर घुमा के देखा तो अर्जुन उसके बगल मे नंगा सो रहा था. उसके शरीर मे जैसे जान ही नही बची थी. धीरे धीरे उसको सब दिखाई देने लगा. वो वापस अपने होटेल मान सिंग पॅलेस के अपने कमरे मे लेटा हुआ था और मोहिनी बिना कपड़ो के पूरी नंगी उसे चूस रही थी.
अब धीरे धीरे करण को होश आ रहा था. पर जैसे ही उसका रात का नशा उतरा उसने देखा कि जो भी हो रहा है वो ग़लत है. वो ऐसे अपनी बीवी को धोका नही दे सकता. उसने मोहिनी को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की पर उसके शरीर मे ताक़त ही नही बची थी.
मोहिनी करण को जगा देख कर अपनी वही रहस्यमयी मुस्कान से मुस्कुराने लगी. जब तक करण उसे रोकता वो चढ़ कर उसके उपर बैठ गयी थी और उसकी सवारी करने लगी .
करण ने अपनी पूरी ताक़त बटोरकर मोहिनी को अपने से हटाना चाहा पर तब तक होटेल के रूम का दरवाज़ा खुला और सामने करण को ब्लॅक जीन्स और ग्रीन टॉप पहने निशा खड़ी दिखी.
करण की तो दुनिया ही पलट गयी. मोहिनी अभी भी उसके ऊपर बेफ़िक्र होकर कूद रही थी और इस खेल का खुल कर मज़ा ले रही थी. निशा वहाँ अब एक पल भी ना रह सकी और गुस्से से रूम का दरवाज़ा भड़ाक से बंद करके चली गयी.
करण ने मोहिनी को वहाँ से धक्का दे के हटाया और अपनी पॅंट शर्ट पहनकर नीचे दौड़ा जहाँ उसे निशा रिसेप्षन से होकर जाती हुई दिखाई दी.
“प्लीज़ निशा मेरी बात तो सुनो...” उसने निशा का हाथ पकड़ते हुए कहा.
निशा पलटी और सबके सामने करण के गालो पर खीच कर एक तगड़ा झापड़ लगा दिया. पूरा होटेल सन्न रह गया, सब के सब करण और निशा की तरफ देख रहे थे. झापड़ इतनी ज़ोर का था कि करण के गोरे गालो पर निशा की पाँचो उंगलिया छप गयी.
“मैं वो सब नही करना चाहता था....” उसने सर झुकाते हुए कहा.
“मैने तुम जैसे घटिया आदमी से प्यार करके सबसे बड़ी भूल की है...और उसे भी बड़ी भूल तुम पर विश्वास करके शादी करने कर के की है...” निशा वही पर रोते हुए बोली.
“प्लीज़ निशा...मैं अपने सेन्स मे नही था....यह सब क्या हो रहा है मुझे खुद कुच्छ भी समझ मे नही आ रहा है....मुझे कुछ याद भी नही आ रहा है...”
“कितने गिरे हुए इंसान हो तुम करण...इतना सब कुछ करने के बाद भी बोल रहे हो तुम्हे कुछ समझ मे नही आ रहा....उस औरत के साथ नाजायज़ संबंध बना कर तुम कह रहे हो तुम्हे कुछ भी याद नही...तुमने मुझे धोका दिया है करण...बेवफ़ाई की है तुमने..”
“मैने तुम्हे धोका नही दिया है निशा....यह सब कैसे और क्यू हो रहा है मुझे कुछ नही पता....प्लीज़ मेरी बात का यकीन करो..”
“यकीन करने को तो कुछ रह ही नही गया डॉक्टर. करण ऱठोड...आज मुझे घिंन आ रही है अपने आप पर जो मैं तुम्हारे साथ उस रात सोई...” और निशा ने फर्श पर थूकते हुए कहा.
करण के पास कुछ भी कहने को नही था. उसे खुद सब कुछ गोल मोल लग रहा था. उसे समझ मे नही आ रहा था कि रात उसके साथ क्या हुआ, आज वो सुबह अपने आप होटेल के रूम तक कैसे पहुच गया और निशा यहाँ जयपुर तक कैसे आ गयी.
निशा अपने आँसू पोछते हुए करण के शर्ट का कॉलर पकड़ते हुए बोली,” एक बात बताओ करण , कि मेरे प्यार मे क्या कमी रह गयी थी जो तुमने मुझे आज इतना बड़ा धोका दिया....उस रंडी के जिस्म मे ऐसी क्या बात थी जो तुम्हे अपनी बीवी के जिस्म को छोड़ कर उसके पास चले गये...”
करण कुछ बोल ना सका. उसने अपनी गर्दन नीचे झुका ली. करण की खामोशी को निशा की नज़रो मे उसे और ज़्यादा गिरा दिया.
“मैं सब कुछ सह सकती थी....पर अपने पति को किसी और औरत के साथ नही देख सकती....क्या नही किया मैने तुम्हारे लिए....तुम्हारे लिए अपना जिस्म सौंप दिया तुम्हे....अपना करियर अपने माँ बाप सब कुछ छोड़ कर तुम्हारे पास आ गयी...और बदले मे मुझे मिला क्या...यह धोका...तुमने सिर्फ़ मेरे जिस्म को अपनी वासना शांत करने मे इस्तामाल किया है.”
करण का सर शर्म से झुका रहा.
निशा की आँखे फिर भर आई, वो करण को कॉलर से पकड़ कर झंझोरते हुए बोली, “क्यू....आख़िर क्यू किया ऐसा तुमने करण....बोलो तुम्हे कैसा लगेगा जब मैं किसी गैर मर्द के साथ उसका बिस्तर गरम करू..”
करण निशा के मूह से ऐसी बातें सुनकर अंदर से टूट गया. उसकी आँखे रो पड़ी और वो वही निशा के कदमो मे गिर गया, "निशा मुझे माफ़ कर दो.."
निशा एक पत्थर की मूरत बन खड़ी थी. “करण....मुझे तुमसे तलाक़ चाहिए....” निशा अपने आँसू पोछते हुए बोली.
तलाक़ शब्द करण के कानो मे गूँज उठा. उसका घर बनने से पहले ही बिखर चुका था. जिसे उसने अपनी जान से भी ज़्यादा चाहा आज वो खुद उसे अलग होने की बात कर रही थी. करण को लगा मानो उसका आधा अंश उसे टूट कर अलग हो गया हो.
उसने निशा से कुछ ना कहा और अपने कमरे की तरफ लौट चला. निशा ने भी उसे पलट कर एक बार भी नही देखा और वहाँ से चली गयी.
करण एक लूटे हुए इंसान की तरह वापस कमरे मे आया तो मोहिनी इस बार अर्जुन के जिस्म पर कूद कूद कर मज़ा ले रही थी. करण को बहुत गुस्सा आया उसने मोहिनी का हाथ पकड़ कर खीचते हुए कहा, “साली तुझे रंडीबाजी करने के लिए हम ही मिले थे क्या....देख तूने मेरा घर उजाड़ दिया...मेरी नयी नयी शादी हुई थी...तूने सब बर्बाद कर दिया...”
“मैने क्या किया साहब...मैं तो एक ग़रीब विधवा हू....कल रात आप दोनो भाइयो ने ही ज़बरदस्ती मेरा बलात्कार किया था....क्या आप भूल गये...” मोहिनी मासूम बनते हुए बोली.
“क्या बलात्कार...???” करण ने अपने मन मे सोचा. मोहिनी का दूध पीने के बाद दोनो की यादश्त कमज़ोर हो गयी थी.
“आप कहो तो मैं चुप चाप पोलीस मे जाकर आप दोनो के खिलाफ रपट लिखवा देती हू....”
“नही ऐसा मत करना....हम पता नही यहा क्यू आए थे हमे कुछ याद नही आ रहा....तुम्हे जो चाहिए वो बोलो मैं तुम्हे दूँगा पर पोलीस मे कंप्लेंट मत लिखवाना...” दूध के असर से दोनो रामपुरा जाना ही भूल गये थे.
“ठीक है अगर मुझे यह देदो तो मैं रपट नही लिख्वाउन्गि...”
करण ने एक ज़ोरदार थप्पड़ मोहिनी के गालो पर रसीद दिया. “जा चली जा यहाँ से....और दोबारा कभी इधर मत आना...”
मोहिनी को इससे कोई फ़र्क नही पड़ा. उसका काम तो हो गया था. उसका दूध पीकर करण और अर्जुन दोनो अपनी बहन काजल के बारे मे भूल गये थे.
“जाती हू साहब...मारते क्यू हो...अगर मेरे से मान भर गया हो बोल दो दूसरी की इंतज़ाम करवा दूँगी...” और आँख मारते हुए वो कमरे से निकल गयी.
करण ने अपने भाई को संभाला और उसे उसके कपड़े पहनाए. दोनो को पिच्छली रात का कुछ नही याद था. फिर करण अर्जुन को अपने और निशा के बीच ग़लतफहमियो के बारे मे बताने लगा जिसे सुन कर अर्जुन भी सन्न रह गया.
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