काले जादू की दुनिया -11
करण
रास्ता बताते जा रहा था और ऑटो
वाला उसके बताए रास्ते पर चलता
जा रहा था.
आधे
घंटे के सफ़र के बाद दोनो
बांद्रा पहुचे.
अब
आगे .......
“यहा कॉन रहता है...?” निशा ने अपने सामने एक आलीशान फ्लॅट देखा और ऑटो से उतर गयी.
“बस अभी पता चल जाएगा....” करण ऑटो वाले को पैसे देता हुआ बोला और निशा को लेकर अपार्टमेंट मे घुस गया. वो एक फ्लॅट के सामने रुका और कॉल बेल बजाई.
दरवाज़ा खुला तो अर्जुन सामने खड़ा था. यह उसी का फ्लॅट था. करण को अपने सामने देख कर वो हैरान हो गया. कुछ दिन पहले तक तो उसके रिश्ते अपने सौतेले भाई से बहुत कड़वे थे पर इन्ही कुछ दिनो मे उसकी जिंदगी मे तूफान आ गया था, जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया. आज पहली बार करण को अपने सामने देख कर उसे खराब नही बल्कि बहुत अच्च्छा लग रहा था.
“यहा कॉन रहता है...?” निशा ने अपने सामने एक आलीशान फ्लॅट देखा और ऑटो से उतर गयी.
“बस अभी पता चल जाएगा....” करण ऑटो वाले को पैसे देता हुआ बोला और निशा को लेकर अपार्टमेंट मे घुस गया. वो एक फ्लॅट के सामने रुका और कॉल बेल बजाई.
दरवाज़ा खुला तो अर्जुन सामने खड़ा था. यह उसी का फ्लॅट था. करण को अपने सामने देख कर वो हैरान हो गया. कुछ दिन पहले तक तो उसके रिश्ते अपने सौतेले भाई से बहुत कड़वे थे पर इन्ही कुछ दिनो मे उसकी जिंदगी मे तूफान आ गया था, जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया. आज पहली बार करण को अपने सामने देख कर उसे खराब नही बल्कि बहुत अच्च्छा लग रहा था.
“मेरे
भाई....इतनी
सुबह!!!”
कहते
हुए खुशी से अर्जुन दरवाज़े
पर खड़े करण के गले लग गया.
उसकी
आँखो मे करण से मिलने पर ख़ुसी
के आँसू आ गये थे.
तभी उसने करण की पीछे एक अतिसुंदर अप्सरा को ब्लू साड़ी और मॅचिंग ब्लू ब्लाउस पहने और हाथ मे बॅग और सूटकेस लिए खड़ा देखा.
“क्या यह मोह्तर्मा तुम्हारे साथ है..?” अर्जुन ने करण से पूछा.
“हां....”
“पर कॉन है ये...?” अर्जुन ने फिर सवाल किया.
“अभी सब समझाता हू पहले अंदर तो बुला....” मुस्कुराते हुए करण ने कहा.
“ओह्ह सॉरी सॉरी आप दोनो प्लीज़ अंदर आइए...” अर्जुन दोनो का स्वागत करते हुए बोला.
निशा ने देखा कि फ्लॅट अंदर से बहुत आलीशान और खूबसूरत है. पर उसे थोड़ी हैरानी हो रही थी कि करण उसे कहाँ ले आया था और यह कॉन है जो करण को भाई बोल रहा है जबकि करण ने कभी उसे अपने किसी भाई का ज़िक्र नही किया था.
“तुम दोनो लोग बैठो मैं कॉफी बना के लाता हू...” कहते हुए अर्जुन किचन मे घुस गया. पीछे से करण ने चिल्लाते हुए उसका शुक्रिया किया.
“अब बता...यह मोह्तर्मा कॉन है...?” अर्जुन थोड़ी देर बाद अपने हाथो मे कॉफी के तीन मग लेकर लौटा.
"ये तेरी भाभी है...इनका नाम निशा है." करण बोला. इसे सुनकर अर्जुन खुश भी हुआ और हैरान भी.
बाहर आज भी घने बादल लगे थे और तेज़ बारिश के पूरे आसार थे. मुंबई मे बारिश पड़ती ही इतनी ज़्यादा थी. तब करण ने कॉफी पीते पीते अपनी और निशा के बारे मे शुरू से कॉलेज के समय से कल रात उनके शादी तक की बात सुना दी.
“क्या काजल तुम दोनो के रिश्ते के बारे मे जानती थी...?” अर्जुन ने हैरानी से पूछा.
“हाँ...वो तो काई बार निशा से मिल भी चुकी है...” करण ने कॉफी ख़तम करते करते कहा
“पर काजल ने मुझे कभी बताया नही...” अर्जुन फिर हैरान होकर बोला.
“काजल को तेरे और मेरे बीच की दूरिया के बारे मे पता था इसीलिए उसने तुझे यह बात बताना ज़रूरी नही समझा होगा...” करण बोला.
“पर भाई तुझे भी अभी इस समय ही इश्क़ लड़ाना था जब हमारी माँ और बहन इतनी बड़ी मुसीबत मे फँसी है...” अर्जुन ने गुस्से से कहा.
“मुझे पता है मेरे भाई पर ज़रा सोच अगर मैं निशा को भगा कर नही लाता तो उसके पापा उसकी शादी ज़बरदस्ती किसी और से कर देते....अपने प्यार को खोने का यह दर्द मैं बर्दास्त नही कर सकता था...” करण ने कहा.
अर्जुन को करण की यह बात सुनकर सलमा की याद आ गयी. सच्चे प्यार को उसने खो दिया था, वो करण का दर्द समझ सकता था इसलिए उसका गुस्से तुरंत ठंडा हो गया.
इतनी देर से पास मे बैठी निशा दोनो की बातें सुन रही थी जब उसने अचानक सवाल किया, “क्या हुआ काजल को....?”
दोनो यह सवाल सुनकर सकपका गये. दोनो मे से किसी को जवाब दिए नही बन रहा था.
“अरे कुछ तो बोलो....और करण तुमने तो हमारी कहानी इन्हे बता दी पर तुमने यह नही बताया कि तुम्हारा भाई अचानक कहाँ से पैदा हो गया...” निशा फिर से बोली.
तभी उसने करण की पीछे एक अतिसुंदर अप्सरा को ब्लू साड़ी और मॅचिंग ब्लू ब्लाउस पहने और हाथ मे बॅग और सूटकेस लिए खड़ा देखा.
“क्या यह मोह्तर्मा तुम्हारे साथ है..?” अर्जुन ने करण से पूछा.
“हां....”
“पर कॉन है ये...?” अर्जुन ने फिर सवाल किया.
“अभी सब समझाता हू पहले अंदर तो बुला....” मुस्कुराते हुए करण ने कहा.
“ओह्ह सॉरी सॉरी आप दोनो प्लीज़ अंदर आइए...” अर्जुन दोनो का स्वागत करते हुए बोला.
निशा ने देखा कि फ्लॅट अंदर से बहुत आलीशान और खूबसूरत है. पर उसे थोड़ी हैरानी हो रही थी कि करण उसे कहाँ ले आया था और यह कॉन है जो करण को भाई बोल रहा है जबकि करण ने कभी उसे अपने किसी भाई का ज़िक्र नही किया था.
“तुम दोनो लोग बैठो मैं कॉफी बना के लाता हू...” कहते हुए अर्जुन किचन मे घुस गया. पीछे से करण ने चिल्लाते हुए उसका शुक्रिया किया.
“अब बता...यह मोह्तर्मा कॉन है...?” अर्जुन थोड़ी देर बाद अपने हाथो मे कॉफी के तीन मग लेकर लौटा.
"ये तेरी भाभी है...इनका नाम निशा है." करण बोला. इसे सुनकर अर्जुन खुश भी हुआ और हैरान भी.
बाहर आज भी घने बादल लगे थे और तेज़ बारिश के पूरे आसार थे. मुंबई मे बारिश पड़ती ही इतनी ज़्यादा थी. तब करण ने कॉफी पीते पीते अपनी और निशा के बारे मे शुरू से कॉलेज के समय से कल रात उनके शादी तक की बात सुना दी.
“क्या काजल तुम दोनो के रिश्ते के बारे मे जानती थी...?” अर्जुन ने हैरानी से पूछा.
“हाँ...वो तो काई बार निशा से मिल भी चुकी है...” करण ने कॉफी ख़तम करते करते कहा
“पर काजल ने मुझे कभी बताया नही...” अर्जुन फिर हैरान होकर बोला.
“काजल को तेरे और मेरे बीच की दूरिया के बारे मे पता था इसीलिए उसने तुझे यह बात बताना ज़रूरी नही समझा होगा...” करण बोला.
“पर भाई तुझे भी अभी इस समय ही इश्क़ लड़ाना था जब हमारी माँ और बहन इतनी बड़ी मुसीबत मे फँसी है...” अर्जुन ने गुस्से से कहा.
“मुझे पता है मेरे भाई पर ज़रा सोच अगर मैं निशा को भगा कर नही लाता तो उसके पापा उसकी शादी ज़बरदस्ती किसी और से कर देते....अपने प्यार को खोने का यह दर्द मैं बर्दास्त नही कर सकता था...” करण ने कहा.
अर्जुन को करण की यह बात सुनकर सलमा की याद आ गयी. सच्चे प्यार को उसने खो दिया था, वो करण का दर्द समझ सकता था इसलिए उसका गुस्से तुरंत ठंडा हो गया.
इतनी देर से पास मे बैठी निशा दोनो की बातें सुन रही थी जब उसने अचानक सवाल किया, “क्या हुआ काजल को....?”
दोनो यह सवाल सुनकर सकपका गये. दोनो मे से किसी को जवाब दिए नही बन रहा था.
“अरे कुछ तो बोलो....और करण तुमने तो हमारी कहानी इन्हे बता दी पर तुमने यह नही बताया कि तुम्हारा भाई अचानक कहाँ से पैदा हो गया...” निशा फिर से बोली.
करण
ने फिर अपने अर्जुन और काजल
की कहानी बचपन से अभी तक की
सुना दी पर तांत्रिक और काजल
के अपहरण वाली घटना को छोड़
कर.
वो
फालतू निशा को टेन्षन नही देना
चाहता था.
“वो सब तो ठीक है पर तुमने यह नही बताया कि काजल और तुम्हारी माँ के कॉन सी मुसीबत मे फसे होने की बात तुम दोनो कर रहे हो...” निशा ने पूछा.
करण और अर्जुन उस को यह बात कैसे बताए कुछ समझ मे नही आ रहा था. “हम तुम्हे कुछ नही बता सकते निशा बस इतना जान लो कि मेरा उस दिन तुम्हारे घर ना आना, मेरी पीठ और छाती पर छिल्ने और काटने के घाव और काजल और मेरी माँ का मुसीबत मे फसना एक ही कहानी के अलग अलग दृश्य है...” करण ने गोल मोल जवाब दिया.
“वो सब तो ठीक है पर तुमने यह नही बताया कि काजल और तुम्हारी माँ के कॉन सी मुसीबत मे फसे होने की बात तुम दोनो कर रहे हो...” निशा ने पूछा.
करण और अर्जुन उस को यह बात कैसे बताए कुछ समझ मे नही आ रहा था. “हम तुम्हे कुछ नही बता सकते निशा बस इतना जान लो कि मेरा उस दिन तुम्हारे घर ना आना, मेरी पीठ और छाती पर छिल्ने और काटने के घाव और काजल और मेरी माँ का मुसीबत मे फसना एक ही कहानी के अलग अलग दृश्य है...” करण ने गोल मोल जवाब दिया.
इतनी
देर से पास मे बैठी निशा दोनो
की बातें सुन रही थी जब उसने
अचानक सवाल किया,
“क्या
हुआ काजल को....?”
दोनो यह सवाल सुनकर सकपका गये. दोनो मे से किसी को जवाब दिए नही बन रहा था.
“अरे कुछ तो बोलो....और कारण तुमने तो हमारी कहानी इन्हे बता दी पर तुमने यह नही बताया कि तुम्हारा भाई अचानक कहाँ से पैदा हो गया...” निशा फिर से बोली.
करण ने फिर अपने अर्जुन और काजल की कहानी बचपन से अभी तक की सुना दी पर तांत्रिक और काजल के अपहरण वाली घटना को छोड़ कर. वो फालतू निशा को टेन्षन नही देना चाहता था.
“वो सब तो ठीक है पर तुमने यह नही बताया कि काजल और तुम्हारी माँ के कॉन सी मुसीबत मे फसे होने की बात तुम दोनो कर रहे हो...” निशा ने पूछा.
करण और अर्जुन को यह बात कैसे बताए कुछ समझ मे नही आ रहा था. “हम तुम्हे कुछ नही बता सकते निशा बस इतना जान लो कि मेरा उस दिन तुम्हारे घर ना आना, मेरी पीठ और छाती पर छिल्ने और काटने के घाव और काजल और मेरी माँ का मुसीबत मे फँसना एक ही कहानी के अलग अलग दृश्य है...” करण ने गोल मोल जवाब दिया.
रात भर की चुदाई कार्यक्रम से निशा बहुत थक गयी थी. उसमे अब इतनी ताक़त नही थी कि करण और अर्जुन से खोद खोद कर उनकी बहन के बारे मे पूछे. उसकी आँखो मे नींद देख कर अर्जुन तुरंत बोला, “निशा भाभी आप कमरे मे सो जाइए...पहले यह मेरा था पर आज से यह कमरा आपका और करण का है....” अर्जुन ने निशा को कमरा दिखाते हुए कहा.
निशा जमहाई लेते हुए कमरे मे चली गयी और सीधे बिस्तर पर गिर गयी. उसे तुरंत नींद आ गयी और वो नींद की दुनिया मे खो गयी.
दोनो यह सवाल सुनकर सकपका गये. दोनो मे से किसी को जवाब दिए नही बन रहा था.
“अरे कुछ तो बोलो....और कारण तुमने तो हमारी कहानी इन्हे बता दी पर तुमने यह नही बताया कि तुम्हारा भाई अचानक कहाँ से पैदा हो गया...” निशा फिर से बोली.
करण ने फिर अपने अर्जुन और काजल की कहानी बचपन से अभी तक की सुना दी पर तांत्रिक और काजल के अपहरण वाली घटना को छोड़ कर. वो फालतू निशा को टेन्षन नही देना चाहता था.
“वो सब तो ठीक है पर तुमने यह नही बताया कि काजल और तुम्हारी माँ के कॉन सी मुसीबत मे फसे होने की बात तुम दोनो कर रहे हो...” निशा ने पूछा.
करण और अर्जुन को यह बात कैसे बताए कुछ समझ मे नही आ रहा था. “हम तुम्हे कुछ नही बता सकते निशा बस इतना जान लो कि मेरा उस दिन तुम्हारे घर ना आना, मेरी पीठ और छाती पर छिल्ने और काटने के घाव और काजल और मेरी माँ का मुसीबत मे फँसना एक ही कहानी के अलग अलग दृश्य है...” करण ने गोल मोल जवाब दिया.
रात भर की चुदाई कार्यक्रम से निशा बहुत थक गयी थी. उसमे अब इतनी ताक़त नही थी कि करण और अर्जुन से खोद खोद कर उनकी बहन के बारे मे पूछे. उसकी आँखो मे नींद देख कर अर्जुन तुरंत बोला, “निशा भाभी आप कमरे मे सो जाइए...पहले यह मेरा था पर आज से यह कमरा आपका और करण का है....” अर्जुन ने निशा को कमरा दिखाते हुए कहा.
निशा जमहाई लेते हुए कमरे मे चली गयी और सीधे बिस्तर पर गिर गयी. उसे तुरंत नींद आ गयी और वो नींद की दुनिया मे खो गयी.
बाहर
लिविंग रूम मे अभी भी करण और
अर्जुन बैठे हुए थे.
दोनो
खामोश थे.
अपनी
बहन को याद करके दोनो बहुत
मायूस भी थे.
पर
आचार्य कल से पहले लौटने वाले
नही थे इसलिए उनके हाथ बँधे
हुए थे.
“अर्जुन...मैं कुछ कहूँ.” करण ने शांति भंग करते हुए कहा.
“हाँ भाई बोलो ना....”
“मैं निशा को अपने साथ तुम्हारे घर लेकर आया हू...कही तुझे कोई प्राब्लम तो नही है ना...”
“ऐसी बातें बोलकर क्यू पराया कर रहे हो भैया....मैं आज तक अपनी फॅमिली को मिस करते आया हू...जबकि आज तो मेरा परिवार बढ़ा है...आज मेरे परिवार मे मेरी माँ, मेरी बहन और मेरे भैया के साथ मेरी भाभी भी जुड़ गयी है....मेरी भाभी समान माँ मेरे घर पहली बार आई है तो क्या मुझे कोई प्राब्लम होगी..”
आज पहली बार करण ने ध्यान दिया की अर्जुन ने उसे सिर्फ़ ‘भाई’ के बजाए आज पहली बार उसे ‘भैया’ बोला था. करण को लगा वो आज रो पड़ेगा. आज उसे उसकी प्रेमिका और उसका भाई दोनो मिल गये थे.
“पर भैया....अभी तक आप दोनो की शादी क़ानूनी तौर से मान्य नही है...घर पर सिंदूर और मन्गल्सुत्र पहनने से क़ानून आपक दोनो को पति पत्नी नही मानेगा....” अर्जुन ने कहा.
“तो हम क्या करे....”
“भाई तुम और भाभी कोर्ट मॅरेज कर लो....बाद मे कभी रीति रिवाज़ के साथ धूम धाम से शादी हो जाएगी...”
“अर्जुन तुमने ठीक कहा...आज कोर्ट मॅरेज कर लेते है और बाद मे धूम धाम से शादी करेंगे पर सिर्फ़ उस दिन जिस दिन काजल और माँ भी हमारे साथ होंगी...”
“हाँ भाई उस दुष्ट तांत्रिक का हम अंत करके ही रहेंगे....पर पहले तुम भी जाकर आराम कर लो...शाम तक हम कोर्ट पहुच जाएँगे...” अर्जुन के बोलने पर करण भी आराम करने एक कमरे मे चला गया.
वो भी रात के चुदाई समारोह से बहुत थक गया था. अर्जुन का फ्लॅट बॅचलर टाइप 1बीएचके का था. अर्जुन के कमरे मे निशा और करण सो गये और दूसरा लिविंग रूम था जिसपे अर्जुन सोफा लगाकर लेट गया.
करण भी कमरे मे जाके सो गया. निशा थकान की वजह से घोड़े बेच कर सो रही थी जब दोपहर को करण जगा तो निशा की खुली जुल्फे जो उसके गोरे खूबसूरत चेहरे पर छाई हुई थी, देख कर उसके सौंदर्य की निहारने लगा.
“उठो स्वीटहार्ट....देखो लंच का समय हो गया है...” करण हौले से निशा के होंटो को चूमते हुए बोला.
निशा एक अंगड़ाई लेकर उठी और समय देखा तो दोपहर के एक बज रहे थे. तीनो फ्रेश होकर पास के एक हाइ क्लास रेस्टोरेंट मे जाकर खाने चले गये. वहाँ से खाकर तीनो अर्जुन की स्कॉर्पियो मे बैठ गये और अर्जुन ने गाड़ी भगा दी.
“पर यह हम कहाँ जा रहे है....अर्जुन का अपार्टमेंट तो दूसरी तरफ है ना...” निशा चौंक्ति हुई बोली.
“सब्र करो डार्लिंग....” करण उसके होन्ट चूमते हुए बोला. अर्जुन शीशे मे सब देख रहा था और मुस्कुराए जा रहा था. निशा ने भी करण को आँख दिखा कर आगे बढ़ने से मना कर दिया.
गाड़ी थोड़ी देर बाद कोर्ट के सामने रुकी. तीनो उतर के अंदर चले गये.
“तुम मुझे यहाँ क्यू लाए हो...” निशा ने करण से पूछा.
“हम ने घर पर तो शादी कर ली...अब क़ानूनी तौर पर भी कर लेते है...” करण ने मुस्कुरा के कहा.
“ओह्ह हाँ मैं तो यह भूल ही गयी थी...” निशा ने झेम्प्ते हुए कहा. पर उसका मन उदास लग रहा था यह सोचकर कि अब तक तो उसके घरवालो को उसके भाग जाने का पता चल चुका होगा और उन पर क्या बीत रही होगी.
करण ने यह बात समझ ली और निशा के हाथ को पकड़ते हुए बोला, “सब ठीक हो जाएगा जान...” और उसने निशा को कोर्ट के कॅंपस मे लगे पीसीओ फोन पे ले गया और बोला, “अपने पेरेंट्स को फोन करके बोल दो कि तुम ठीक हो और करण के साथ हो...”
“पर वो तुम्हारा नाम जानकार बहुत बाधक जाएँगे....मुझे तो बहुत डर लग रहा है...” निशा घबराते हुए बोली.
“अर्जुन...मैं कुछ कहूँ.” करण ने शांति भंग करते हुए कहा.
“हाँ भाई बोलो ना....”
“मैं निशा को अपने साथ तुम्हारे घर लेकर आया हू...कही तुझे कोई प्राब्लम तो नही है ना...”
“ऐसी बातें बोलकर क्यू पराया कर रहे हो भैया....मैं आज तक अपनी फॅमिली को मिस करते आया हू...जबकि आज तो मेरा परिवार बढ़ा है...आज मेरे परिवार मे मेरी माँ, मेरी बहन और मेरे भैया के साथ मेरी भाभी भी जुड़ गयी है....मेरी भाभी समान माँ मेरे घर पहली बार आई है तो क्या मुझे कोई प्राब्लम होगी..”
आज पहली बार करण ने ध्यान दिया की अर्जुन ने उसे सिर्फ़ ‘भाई’ के बजाए आज पहली बार उसे ‘भैया’ बोला था. करण को लगा वो आज रो पड़ेगा. आज उसे उसकी प्रेमिका और उसका भाई दोनो मिल गये थे.
“पर भैया....अभी तक आप दोनो की शादी क़ानूनी तौर से मान्य नही है...घर पर सिंदूर और मन्गल्सुत्र पहनने से क़ानून आपक दोनो को पति पत्नी नही मानेगा....” अर्जुन ने कहा.
“तो हम क्या करे....”
“भाई तुम और भाभी कोर्ट मॅरेज कर लो....बाद मे कभी रीति रिवाज़ के साथ धूम धाम से शादी हो जाएगी...”
“अर्जुन तुमने ठीक कहा...आज कोर्ट मॅरेज कर लेते है और बाद मे धूम धाम से शादी करेंगे पर सिर्फ़ उस दिन जिस दिन काजल और माँ भी हमारे साथ होंगी...”
“हाँ भाई उस दुष्ट तांत्रिक का हम अंत करके ही रहेंगे....पर पहले तुम भी जाकर आराम कर लो...शाम तक हम कोर्ट पहुच जाएँगे...” अर्जुन के बोलने पर करण भी आराम करने एक कमरे मे चला गया.
वो भी रात के चुदाई समारोह से बहुत थक गया था. अर्जुन का फ्लॅट बॅचलर टाइप 1बीएचके का था. अर्जुन के कमरे मे निशा और करण सो गये और दूसरा लिविंग रूम था जिसपे अर्जुन सोफा लगाकर लेट गया.
करण भी कमरे मे जाके सो गया. निशा थकान की वजह से घोड़े बेच कर सो रही थी जब दोपहर को करण जगा तो निशा की खुली जुल्फे जो उसके गोरे खूबसूरत चेहरे पर छाई हुई थी, देख कर उसके सौंदर्य की निहारने लगा.
“उठो स्वीटहार्ट....देखो लंच का समय हो गया है...” करण हौले से निशा के होंटो को चूमते हुए बोला.
निशा एक अंगड़ाई लेकर उठी और समय देखा तो दोपहर के एक बज रहे थे. तीनो फ्रेश होकर पास के एक हाइ क्लास रेस्टोरेंट मे जाकर खाने चले गये. वहाँ से खाकर तीनो अर्जुन की स्कॉर्पियो मे बैठ गये और अर्जुन ने गाड़ी भगा दी.
“पर यह हम कहाँ जा रहे है....अर्जुन का अपार्टमेंट तो दूसरी तरफ है ना...” निशा चौंक्ति हुई बोली.
“सब्र करो डार्लिंग....” करण उसके होन्ट चूमते हुए बोला. अर्जुन शीशे मे सब देख रहा था और मुस्कुराए जा रहा था. निशा ने भी करण को आँख दिखा कर आगे बढ़ने से मना कर दिया.
गाड़ी थोड़ी देर बाद कोर्ट के सामने रुकी. तीनो उतर के अंदर चले गये.
“तुम मुझे यहाँ क्यू लाए हो...” निशा ने करण से पूछा.
“हम ने घर पर तो शादी कर ली...अब क़ानूनी तौर पर भी कर लेते है...” करण ने मुस्कुरा के कहा.
“ओह्ह हाँ मैं तो यह भूल ही गयी थी...” निशा ने झेम्प्ते हुए कहा. पर उसका मन उदास लग रहा था यह सोचकर कि अब तक तो उसके घरवालो को उसके भाग जाने का पता चल चुका होगा और उन पर क्या बीत रही होगी.
करण ने यह बात समझ ली और निशा के हाथ को पकड़ते हुए बोला, “सब ठीक हो जाएगा जान...” और उसने निशा को कोर्ट के कॅंपस मे लगे पीसीओ फोन पे ले गया और बोला, “अपने पेरेंट्स को फोन करके बोल दो कि तुम ठीक हो और करण के साथ हो...”
“पर वो तुम्हारा नाम जानकार बहुत बाधक जाएँगे....मुझे तो बहुत डर लग रहा है...” निशा घबराते हुए बोली.
अपना बिंदास अर्जुन यह पीछे से सुन रहा था जब उसने फोन उठाया और निशा के मोबाइल से उसके पापा का नंबर लेकर डाइयल कर दिया. करण ने उसको रोकना चाहा पर तब तक निशा के पापा के पास घंटी जाने लगी.
“हेलो...हेमंत शर्मा बोल रहा हू...” उधर से निशा के पापा की आवाज़ आई.
“और मैं आपके दामाद का भाई बोल रहा हू...” अर्जुन ने इधर से कहा.
“व्हाट नॉनसेन्स....हू आर यू...???”
“आपकी बेटी निशा हमारे कब्ज़े मे है....मेरा मतलब है हमारे साथ है...”
“कॉन बोल रहा है...तुम्हे हमारी बेटी के बारे मे कैसे पता चला...”
“देखो अंकल ज़्यादा टाइम नही है मेरे पास....अभी अपने भाई की शादी आपकी बेटी निशा से करवाने जा रहा हू कोर्ट मे....अगर रोक सकते हो तो रोक लो...” और कहते हुए अर्जुन ने फोन काट दिया.
“अबे यह क्या किया तुमने....???” करण भौचक्का रह गया.
“अब यही खड़े खड़े गप्पे मारते रहोगे या जल्दी से जाकर शादी करोगे....कही भाभी के पिताजी यहा पहुच गये तो मेरी और तुम्हारी दोनो की खैर नही...” अर्जुन ने बोलते हुए करण को आँख मार दी.
निशा अपने इस नये प्यारे से देवर की हरकत पर मुस्कुरा बैठी. तीनो जल्दी से कोर्ट मे गये और अर्जुन को शादी का गवाह मानते हुए जज ने करण और निशा को हमेशा के लिए क़ानूनी तौर से पति पत्नी घोषित कर दिया. तीनो इससे पहले हेमंत शर्मा आता, पतली गली से अपने अपार्टमेंट निकल गये.
शाम को सिद्धि विनायक मंदिर के दर्शन करने बाद तीनो अर्जुन के अपार्टमेंट आ गये. अपने मे ही तीनो ने एक छोटी सी पार्टी रखी थी. जो भी थोड़ी बहुत खुशिया थी वो तीनो मिल बाँट कर मनाना चाहते थे.
निशा इस ख़ुसी मे अपनी मम्मी पापा को तो मिस कर ही रही थी इसलिए करण के कहने पर उसने अपने फोन से अपने पापा का नंबर डाइयल किया और उनको अपनी शादी की बात बता दी. लेकिन उसके पापा ने रूखा बर्ताव कर के यह कह दिया कि आज के बाद उनके लिए वो मर गयी है और वो दुबारा कभी उन्हे फोन ना करे.
इस ख़ुसी मे यह एक छोटा सा गम ज़रूर था जिसे करण और अर्जुन ने हंस गा कर दूर कर दिया.
आधी रात हो चली थी. निशा अपने कमरे मे जाकर कारण का इंतेज़ार कर रही थी. पर करण इधर अर्जुन के साथ बैठ कर कुछ ज़रूरी बातें कर रहा था.
“कल आचार्य सत्या प्रकाश वापस लौट आएँगे....हमे उनसे कल किसी भी हाल मे मिलना होगा...” अर्जुन ने करण को याद दिलाते हुए कहा.
“तुम सही कह रहे हो भाई....लेकिन हम निशा को क्या बताएँगे...”
“भाभी को कुछ मत बताना...खमखा वो परेशान हो जाएँगी...अभी तुम दोनो की नयी नयी शादी हुई है....कही इस चक्कर मे तुम दोनो के रिश्ते मे दरार ना पड़ जाए...” अर्जुन बोला.
“पर मेरा अपनी माँ और बहन के प्रति भी तो कुछ कर्तव्य है....मैं उन्हे अकेले ऐसे ही उस तांत्रिक के हाथो मरने के लिए नही छोड़ सकता..” करण गुस्से मे आकर बोला.
“भाई एक काम करो....तुम निशा भाभी को यही मेरे अपार्टमेंट मे रहने दो और हम दोनो अपना कर्तव्य निभाते है....निशा भाभी यहा बिल्कुल सेफ रहेंगी और उन्हे यहा किसी चीज़ की कमी भी नही होगी..”
“अर्जुन वो सब तो ठीक है...पर मैं ऐसा कॉन सा बहाना बनाऊ कि मेरी बातो पर यकीन कर के हम दोनो को कुछ दिनो के लिए जाने दे...”
“मेरे पास एक बहाना है....” और अर्जुन करण की कानो मे कुछ कहने लगा.
कमरे
का दरवाज़ा खुला और करण निशा
के कमरे के अंदर आ गया.
उसके
दिमाग़ मे अपनी माँ और बहन की
बातें ही चल रही थी,
इसीलिए
वो काफ़ी गंभीर था.
“कहाँ रह गये थे इतनी देर....मैं कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हू...” निशा ने करण का हाथ अपने अपने हाथ में ले कर कहा
करण ने अपना हाथ निशा के हाथ से छुड़ा लिआ निशा इस बात को ताड़ गयी और बोली, “क्यू आज मन नही है...?”
करण का आज बिल्कुल मूड नही था. “नही डार्लिंग आज मैं बहुत थक गया हू....आज मेरा मूड नही है...”
“क्यू बस एक रात मे ही मुझसे मन भर गया....” निशा व्यंग कसते हुए बोली.
“प्लीज़ जान ऐसे मत बोलो...तुम तो मेरी पत्नी हो...और भला पत्नी से कभी किसी का मन भर सकता है क्या...” करण ने प्यार से निशा का माथा चूमते हुए कहा.
“तो फिर मेरी प्यास बुझा दो मेरे राजा....” निशा फिर अपने रंग मे आ गयी और करण का हाथ अपने सीने पर रख कर दबाने लगी.
करण ने झल्लाते हुए अपना हाथ खीच लिया, “कितनी प्यास लगती है तुमको...कल ही दो बार किआ था ...फिर से आज....अब मैं क्या करू....” करण ने गुस्से मे आकर कह तो दिया लेकिन उसे अगले ही पल अपनी ग़लती का एहसास हो गया.
निशा को यह बात एकदम से चुभ गयी. उसको लगा कि वो किसी रंडी की तरह करण के सामने अपनी इज़्ज़त लूटा रही है. करण ने निशा के साथ ऐसा बर्ताव कभी नही किया था. निशा की आँखो से आँसू छलक आए.
“आइ..आइ आम सॉरी निशा...मेरे कहने का वो मतलब नही था....प्लीज़ बात को समझा करो...आज मेरा मूड नही था....प्लीज़ आइ आम सॉरी निशा...”
निशा ने कुछ नही कहा बस उसके आँखो से आँसू बहते रहे. करण को लग रहा था कि वो अपनी जीभ चाकू से काट ले क्यूकी इसी जीभ ने ग़लत समय पर ग़लत शब्द निशा से कह दिए थे.
“सुनो एक और बात कल सुबह ही मुझे और अर्जुन को कुछ ज़रूरी काम के सिलसिले मे एक हफ्ते के लिए बाहर जाना पड़ेगा....तुम यहाँ आराम से रह सकती हो..”
इससे ज़्यादा निशा को दर्द देने वाली चीज़ क्या हो सकती थी. उसे अचानक अपने घर से इतनी दूर आकर अपने मम्मी पापा की याद आने लगी थी. अचानक वो अपने आपको बड़ी तन्हा मान ने लगी थी.
“आइ आम सॉरी निशा बहुत ज़रूरी काम है नही तो मैं कभी भी तुम्हे छोड़ कर नही जाता...” करण ने समझाते हुए कहा.
“कहाँ रह गये थे इतनी देर....मैं कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हू...” निशा ने करण का हाथ अपने अपने हाथ में ले कर कहा
करण ने अपना हाथ निशा के हाथ से छुड़ा लिआ निशा इस बात को ताड़ गयी और बोली, “क्यू आज मन नही है...?”
करण का आज बिल्कुल मूड नही था. “नही डार्लिंग आज मैं बहुत थक गया हू....आज मेरा मूड नही है...”
“क्यू बस एक रात मे ही मुझसे मन भर गया....” निशा व्यंग कसते हुए बोली.
“प्लीज़ जान ऐसे मत बोलो...तुम तो मेरी पत्नी हो...और भला पत्नी से कभी किसी का मन भर सकता है क्या...” करण ने प्यार से निशा का माथा चूमते हुए कहा.
“तो फिर मेरी प्यास बुझा दो मेरे राजा....” निशा फिर अपने रंग मे आ गयी और करण का हाथ अपने सीने पर रख कर दबाने लगी.
करण ने झल्लाते हुए अपना हाथ खीच लिया, “कितनी प्यास लगती है तुमको...कल ही दो बार किआ था ...फिर से आज....अब मैं क्या करू....” करण ने गुस्से मे आकर कह तो दिया लेकिन उसे अगले ही पल अपनी ग़लती का एहसास हो गया.
निशा को यह बात एकदम से चुभ गयी. उसको लगा कि वो किसी रंडी की तरह करण के सामने अपनी इज़्ज़त लूटा रही है. करण ने निशा के साथ ऐसा बर्ताव कभी नही किया था. निशा की आँखो से आँसू छलक आए.
“आइ..आइ आम सॉरी निशा...मेरे कहने का वो मतलब नही था....प्लीज़ बात को समझा करो...आज मेरा मूड नही था....प्लीज़ आइ आम सॉरी निशा...”
निशा ने कुछ नही कहा बस उसके आँखो से आँसू बहते रहे. करण को लग रहा था कि वो अपनी जीभ चाकू से काट ले क्यूकी इसी जीभ ने ग़लत समय पर ग़लत शब्द निशा से कह दिए थे.
“सुनो एक और बात कल सुबह ही मुझे और अर्जुन को कुछ ज़रूरी काम के सिलसिले मे एक हफ्ते के लिए बाहर जाना पड़ेगा....तुम यहाँ आराम से रह सकती हो..”
इससे ज़्यादा निशा को दर्द देने वाली चीज़ क्या हो सकती थी. उसे अचानक अपने घर से इतनी दूर आकर अपने मम्मी पापा की याद आने लगी थी. अचानक वो अपने आपको बड़ी तन्हा मान ने लगी थी.
“आइ आम सॉरी निशा बहुत ज़रूरी काम है नही तो मैं कभी भी तुम्हे छोड़ कर नही जाता...” करण ने समझाते हुए कहा.
निशा
ने फिर कुछ नही कहा बस अपने
आँसू भरी आँखो के साथ चादर ओढ़
कर लेट गयी.
वो
चादर के अंदर ही रो रही थी.
करण
अपने आप को कोसते हुए वही बिस्तर
पर लेट गया और कल के बारे मे
सोचने लगा.
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