काले जादू की दुनिया -9
तभी
निशा नहा कर बाहर आई.
उसने
सिर्फ़ सफेद तौलिया लपेटा था
जो उसकी मखमली सुडोल जाँघो
की नुमाइश कर रहा था.
करण
ने सोचा कि इसने नाइटी क्यू
नही पहनी,
पर
वो तौलिए से बाहर निशा के कंधो
पर उसके पिंक ब्रा के स्ट्रॅप्स
देख सकता था.
“वो क्या है ना कि नाइटी अगर बातरूम मे पहनती तो वो गीली हो जाती...” निशा ने अपनी खुसबूदार गीली ज़ुल्फो को झटकते हुए कहा जिस से पानी की बूंदे सीधे करण के चेहरे पर पड़ी. निशा की इस अदा पर करण तो निढाल हो गया. निशा जैसे बाउन्सर बार बार फेक रही थी, करण उन सभी बाउन्सरो पर क्लीन बोल्ड होता जा रहा था.
दो मिनिट तक अपने रेशमी गीली बालो को सवारने के बाद उसने करण को देखा, करण पत्थर की मूरत बन उसकी जवानी को निहार रहा था जिसे समझकर निशा मंद मंद मुस्कुरा रही थी.
निशा ने घूर के करण को देखा और हौले से अपनी तौलिए की गाँठ मे हाथ डाल कर एक झटके मे खोल दिया. करण एक तक देखता रह गया जब तौलिया निशा की जिस्म से सरकता हुआ नीचे जा गिरा.
निशा उसके सामने केवल पिंक ब्रा और पैंटी मे थी. निशा का गोरा पेट बिल्कुल सपाट था जिसमे बहुत ही गहरी नाभि थी. उस नाभि मे एक डाइमंड लगा हुआ था जो निशा की नाभि की खूबसूरती को और बढ़ा रहा था.
करण की नज़रें किसी स्कॅनर की तरह काम करते हुए निशा के पेट से नीचे आई तो उसका दिल धक्क से कर के रह गया. ऐसा नज़ारा उसने ब्लू फ़िल्मो मे भी नही देखा था. एक सोने की चैन निशा की 26 साइज़ की गोरी कमर पर कातिल लग रही थी.
करण को यह सब देख कर लग रहा था कि अब उसको हार्ट अटॅक ज़रूर आएगा. वो सोने की चैन निशा के कमर पर इतनी सेक्सी लग रही थी कि मत पूछो.
करण को कुछ होश नही रहा, वो तो बस अपने सामने खड़ी रति के अवतार को ही निहारे जा रहा था. अब तक निशा ने उस से यह सब छिपाया था, तो आज यह सब दिखाने का क्या मतलब हो सकता है.
“क्या हुआ...ऐसे क्या देख रहे हो मुझे...कभी किसी लड़की को ऐसे नही देखा है क्या..” निशा अपनी निचले होठ को चबाते हुए बोली और अपनी नाइटी पहन ने लगी.
अब करण से बर्दास्त करना बहुत ही मुश्किल हो गया था, जब औरत के इस रूप ने ऋषि मुनियो की तपस्या तक भंग कर दी तो उनके सामने करण क्या था. वो आगे बढ़ा और निशा की गोरी गोरी कमर मे अपना हाथ डाल दिया और सोने की चैन को खीचने लगा. चैन की रगड़ ने निशा की गोरी कमर पर लाल निशान बना दिया.
करण अपने हाथो को निशा के सुडोल जिस्म पर रख कर उसे मसल्ने लगा. निशा एकदम से तड़प उठी. आनंद मे निशा का सर पीछे हो गया. करण ने झटके से निशा को पकड़के उसके पेट को अपने से चिपका लिया.
“वो क्या है ना कि नाइटी अगर बातरूम मे पहनती तो वो गीली हो जाती...” निशा ने अपनी खुसबूदार गीली ज़ुल्फो को झटकते हुए कहा जिस से पानी की बूंदे सीधे करण के चेहरे पर पड़ी. निशा की इस अदा पर करण तो निढाल हो गया. निशा जैसे बाउन्सर बार बार फेक रही थी, करण उन सभी बाउन्सरो पर क्लीन बोल्ड होता जा रहा था.
दो मिनिट तक अपने रेशमी गीली बालो को सवारने के बाद उसने करण को देखा, करण पत्थर की मूरत बन उसकी जवानी को निहार रहा था जिसे समझकर निशा मंद मंद मुस्कुरा रही थी.
निशा ने घूर के करण को देखा और हौले से अपनी तौलिए की गाँठ मे हाथ डाल कर एक झटके मे खोल दिया. करण एक तक देखता रह गया जब तौलिया निशा की जिस्म से सरकता हुआ नीचे जा गिरा.
निशा उसके सामने केवल पिंक ब्रा और पैंटी मे थी. निशा का गोरा पेट बिल्कुल सपाट था जिसमे बहुत ही गहरी नाभि थी. उस नाभि मे एक डाइमंड लगा हुआ था जो निशा की नाभि की खूबसूरती को और बढ़ा रहा था.
करण की नज़रें किसी स्कॅनर की तरह काम करते हुए निशा के पेट से नीचे आई तो उसका दिल धक्क से कर के रह गया. ऐसा नज़ारा उसने ब्लू फ़िल्मो मे भी नही देखा था. एक सोने की चैन निशा की 26 साइज़ की गोरी कमर पर कातिल लग रही थी.
करण को यह सब देख कर लग रहा था कि अब उसको हार्ट अटॅक ज़रूर आएगा. वो सोने की चैन निशा के कमर पर इतनी सेक्सी लग रही थी कि मत पूछो.
करण को कुछ होश नही रहा, वो तो बस अपने सामने खड़ी रति के अवतार को ही निहारे जा रहा था. अब तक निशा ने उस से यह सब छिपाया था, तो आज यह सब दिखाने का क्या मतलब हो सकता है.
“क्या हुआ...ऐसे क्या देख रहे हो मुझे...कभी किसी लड़की को ऐसे नही देखा है क्या..” निशा अपनी निचले होठ को चबाते हुए बोली और अपनी नाइटी पहन ने लगी.
अब करण से बर्दास्त करना बहुत ही मुश्किल हो गया था, जब औरत के इस रूप ने ऋषि मुनियो की तपस्या तक भंग कर दी तो उनके सामने करण क्या था. वो आगे बढ़ा और निशा की गोरी गोरी कमर मे अपना हाथ डाल दिया और सोने की चैन को खीचने लगा. चैन की रगड़ ने निशा की गोरी कमर पर लाल निशान बना दिया.
करण अपने हाथो को निशा के सुडोल जिस्म पर रख कर उसे मसल्ने लगा. निशा एकदम से तड़प उठी. आनंद मे निशा का सर पीछे हो गया. करण ने झटके से निशा को पकड़के उसके पेट को अपने से चिपका लिया.
जैसे
ही निशा के पेट पर कुछ चुभा तो
उसने सर झुका के देखा और पाया
कि करण का साँप तो पहले से ही
फुफ्कार रहा है.
करण
ने उसको और अपने से चिपका लिया
और उसके कानो को चूसने लगा.
निशा एकदम से मोम की तरह करण की बाँहो मे पिघल गयी. करण लगातार निशा के कानो चूसे जा रहा था और हल्के से काट भी रहा था. उसने निशा के कान की इयरिंग्स को भी अपने मूह मे लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.
निशा मस्ती मे खोती जा रही थी. करण ने उसके कानो को चुसते हुए फुसफुसका के एक ही शब्द कहा कहा, “सेक्शकशकष्यययी....लग रही हो” और निशा ने अपने आपको पूरा करण को समर्पित कर दिया.
करण ने निशा की कमर पर हाथ डाल कर उसे अपने गोद मे उठा लिया और बिस्तर मे ले जाकर पटक दिया और उसके उपर लेट गया. उसने निशा के गर्दन को प्यार करना शुरू किया तो निशा की मूह से “आआहह....उम्म्म्मम....ईइस्स्स्स” की सिसकारी निकलनी शुरू हो गयी.
करण जानता था कि औरतो पर उनके कान और गले पर चूमने से खुमारी चढ़ती है और वो जल्दी गरम होती है. निशा के साथ भी यही हाल था. वो तो बस यही चाह रही थी कि करण जल्दी से उसके होंठो पर अपने होठ रख दे, और वही हुआ भी.
करण ने हौले से अपने होंठो से निशा के लरजते होंठो को चूम लिया. फिर उसके नीचे वाली होठ को अपने होंठो के बीच भर कर उसका रस पीने लगा. “म्म्म्महमममम.........आअहह.” निशा की सिसकिया पूरे कमरे मे गूँज उठी थी.
पर अचानक करण अलग हो गया. निशा उसको ऐसे देख रही थी जैसे किसी बच्चे के मूह से उसका खिलोना छीन लिया गया हो. करण उठ के बैठ गया और एक गहरी साँस लेकर धीरे से बोला, “यह सब क्या है निशा....तुम तो ऐसी नही थी...तुमने ही कहा था कि तुम यह सब शादी के बाद करोगी....फिर यह सब क्यू कर रही हो तुम..”
करण के बोलते ही निशा उदास हो गयी, जिन आँखो मे कुछ देर पहले वासना थी अब उनमे आँसू आ गये थे. “करण आज शायद यह मेरी तुम्हारे साथ आख़िरी रात हो....कल मम्मी पापा मेरी सगाई के लिए मुझे भी पुणे ले जाएँगे...”
करण उसकी बातें बड़ी ध्यान से सुन रहा था. निशा ने लेटे लेटे अपने आँसू पोछते हुए कहा, “वो लोग मेरी शादी तो किसी और से कर देंगे पर मेरा दिल और जिस्म सिर्फ़ तुम्हारे पास रहेगा...”
करण निशा की ऐसी बातें सुनकर भावुक हो गया और बोला, “और इसीलिए तुम यह सब कर रही हो...?”
निशा उठते हुए बोली, “भले ही मेरी शादी किसी और से हो जाए पर मेरे जिस्म पर पहला हक़ उसी का है जिसे मैं प्यार करती हू और वो तुम हो..” निशा रोते हुए करण के गले लग गयी और अपन सर उसके कंधो पर टिका कर बोली, “प्लीज़ करण मुझे आज रात अपना बना लो....मुझे आज वो सारी खुशिया दे दो जिसके लिए मैं आने वाले जिंदगी मे तड़प्ती रहूंगी...”
करण की आँखो मे भी आँसू थे. उसे निशा पर बहुत प्यार आ रहा था. वो जिंदगी भर सोचता रहा कि वो अनाथालय मे पला बढ़ा इसलिए उसे कोई प्यार नही करता, और आज उसे यह एहसास हुआ कि उसे प्यार करने वाले तो उसके करीब ही है, उसकी प्रेमिका, उसकी माँ, उसकी बहन और अब उसका भाई भी.
करण अपने जज्बातो पर काबू पाते हुए, “मैने पिच्छले जनम मे ज़रूर कुछ पुन्य किए होंगे जो तुम मेरी लाइफ मे आई...और मैं जानता हू तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो..” उसने निशा के चेहरे को उपर उठाते हुए कहा, “पर इसका यह मतलब नही कि तुम मुझसे शादी से पहले सेक्स कर लो...”
निशा ने चौंकती नज़रो से करण की तरफ देखा मानो उस से पूछ रही हो कि आख़िर वो उस से सेक्स करने से मना क्यू कर रहा है. करण ने निशा की आँखो मे यह प्रश्न पढ़ लिया और उसके चेहरे को अपने हाथो मे लेते हुए, “भूल गयी तुमने मुझसे क्या कहा था...कि हम शादी से पहले सेक्स नही करेंगे..”
करण की बात सुनकर निशा की आँखे फिर से भर आई, “वो तो मैने तब कहा था जब मैं ख्वाब देखती थी कि मेरी और तुम्हारी शादी हो रही है...पर अब जब हमारी शादी ही नही होगी तो पुरानी बातो को याद कर के क्या फायेदा.....प्लीज़ करण बस मुझे अपना बना लो...मैं नही चाहती कि कोई दूसरा मर्द मुझे पहली बार हाथ लगाए...”
निशा एकदम से मोम की तरह करण की बाँहो मे पिघल गयी. करण लगातार निशा के कानो चूसे जा रहा था और हल्के से काट भी रहा था. उसने निशा के कान की इयरिंग्स को भी अपने मूह मे लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.
निशा मस्ती मे खोती जा रही थी. करण ने उसके कानो को चुसते हुए फुसफुसका के एक ही शब्द कहा कहा, “सेक्शकशकष्यययी....लग रही हो” और निशा ने अपने आपको पूरा करण को समर्पित कर दिया.
करण ने निशा की कमर पर हाथ डाल कर उसे अपने गोद मे उठा लिया और बिस्तर मे ले जाकर पटक दिया और उसके उपर लेट गया. उसने निशा के गर्दन को प्यार करना शुरू किया तो निशा की मूह से “आआहह....उम्म्म्मम....ईइस्स्स्स” की सिसकारी निकलनी शुरू हो गयी.
करण जानता था कि औरतो पर उनके कान और गले पर चूमने से खुमारी चढ़ती है और वो जल्दी गरम होती है. निशा के साथ भी यही हाल था. वो तो बस यही चाह रही थी कि करण जल्दी से उसके होंठो पर अपने होठ रख दे, और वही हुआ भी.
करण ने हौले से अपने होंठो से निशा के लरजते होंठो को चूम लिया. फिर उसके नीचे वाली होठ को अपने होंठो के बीच भर कर उसका रस पीने लगा. “म्म्म्महमममम.........आअहह.” निशा की सिसकिया पूरे कमरे मे गूँज उठी थी.
पर अचानक करण अलग हो गया. निशा उसको ऐसे देख रही थी जैसे किसी बच्चे के मूह से उसका खिलोना छीन लिया गया हो. करण उठ के बैठ गया और एक गहरी साँस लेकर धीरे से बोला, “यह सब क्या है निशा....तुम तो ऐसी नही थी...तुमने ही कहा था कि तुम यह सब शादी के बाद करोगी....फिर यह सब क्यू कर रही हो तुम..”
करण के बोलते ही निशा उदास हो गयी, जिन आँखो मे कुछ देर पहले वासना थी अब उनमे आँसू आ गये थे. “करण आज शायद यह मेरी तुम्हारे साथ आख़िरी रात हो....कल मम्मी पापा मेरी सगाई के लिए मुझे भी पुणे ले जाएँगे...”
करण उसकी बातें बड़ी ध्यान से सुन रहा था. निशा ने लेटे लेटे अपने आँसू पोछते हुए कहा, “वो लोग मेरी शादी तो किसी और से कर देंगे पर मेरा दिल और जिस्म सिर्फ़ तुम्हारे पास रहेगा...”
करण निशा की ऐसी बातें सुनकर भावुक हो गया और बोला, “और इसीलिए तुम यह सब कर रही हो...?”
निशा उठते हुए बोली, “भले ही मेरी शादी किसी और से हो जाए पर मेरे जिस्म पर पहला हक़ उसी का है जिसे मैं प्यार करती हू और वो तुम हो..” निशा रोते हुए करण के गले लग गयी और अपन सर उसके कंधो पर टिका कर बोली, “प्लीज़ करण मुझे आज रात अपना बना लो....मुझे आज वो सारी खुशिया दे दो जिसके लिए मैं आने वाले जिंदगी मे तड़प्ती रहूंगी...”
करण की आँखो मे भी आँसू थे. उसे निशा पर बहुत प्यार आ रहा था. वो जिंदगी भर सोचता रहा कि वो अनाथालय मे पला बढ़ा इसलिए उसे कोई प्यार नही करता, और आज उसे यह एहसास हुआ कि उसे प्यार करने वाले तो उसके करीब ही है, उसकी प्रेमिका, उसकी माँ, उसकी बहन और अब उसका भाई भी.
करण अपने जज्बातो पर काबू पाते हुए, “मैने पिच्छले जनम मे ज़रूर कुछ पुन्य किए होंगे जो तुम मेरी लाइफ मे आई...और मैं जानता हू तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो..” उसने निशा के चेहरे को उपर उठाते हुए कहा, “पर इसका यह मतलब नही कि तुम मुझसे शादी से पहले सेक्स कर लो...”
निशा ने चौंकती नज़रो से करण की तरफ देखा मानो उस से पूछ रही हो कि आख़िर वो उस से सेक्स करने से मना क्यू कर रहा है. करण ने निशा की आँखो मे यह प्रश्न पढ़ लिया और उसके चेहरे को अपने हाथो मे लेते हुए, “भूल गयी तुमने मुझसे क्या कहा था...कि हम शादी से पहले सेक्स नही करेंगे..”
करण की बात सुनकर निशा की आँखे फिर से भर आई, “वो तो मैने तब कहा था जब मैं ख्वाब देखती थी कि मेरी और तुम्हारी शादी हो रही है...पर अब जब हमारी शादी ही नही होगी तो पुरानी बातो को याद कर के क्या फायेदा.....प्लीज़ करण बस मुझे अपना बना लो...मैं नही चाहती कि कोई दूसरा मर्द मुझे पहली बार हाथ लगाए...”
करण
ने निशा की तरफ बड़ी प्यार से
देखा और हौले से उसके होंठो
को चूम लिया और कहा,
“कॉन
कहता है सपने हक़ीक़त नही बन
सकते...तुमने
जो हमारी शादी का सपना देखा
था वो ज़रूर सच होगा....और
रही बात किसी मर्द को तुम्हे
पहले छुने की तो मैं अभी कुछ
ऐसा करता हू कि वो पहला और
आख़िरी मर्द मैं बन जाउ...मैं
तुम्हे अपना ज़रूर बनाउन्गा
पर शादी के बाद..”
निशा की कुछ समझ मे नही आया. करण अपनी जगह से उठा और बेड के सहारे ज़मीन पर अपने घुटनो के बल बैठ कर, “डॉक्टर. निशा...विल यू मॅरी मी...” और करण ने अपनी सोने की अंगूठी निकाल कर निशा को पेश कर दी.
निशा ने करण की आँखो मे अपने लिए सारे जहाँ का प्यार देखा. उसके मूह से बस इतना ही निकला, “येस....” और वो खुशी के आँसू रोने लगी.
करण उठा और अपने गले से काले रंग का भगवान शिव का ताबीज़ निकालते हुए उसे निशा के गले मे पहनाने लगा और बोला, “यह रहा मन्गल्सूत्र...”
निशा को मानो अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था. उसकी शादी ऐसे भी होगी उसने कभी सोचा भी नही था लेकिन उसे तो बस करण चाहिए था भले ही वो कैसे भी मिले.
आख़िर मे करण ने पास मे रखे चाकू को उठाया और अपना अगुठा थोड़ा सा काटकर, खून से निशा की माँग भर दी और बोला, “लो भर दी तुम्हारी माँग मैने अपने खून से....और मैं वचन देता हू जब तक ज़िंदा रहूँगा तुम्हे अपनी धरम पत्नी मानूँगा और तुम्हारे हर सुख दुख मे तुम्हारा साथ दूँगा और तुम्हारी जान देकर भी रक्षा करूँगा....” माँग भर जाने का और एक सुहागन होने का सुख निशा आज पहली बार महसूस कर रही थी.
निशा ने करण द्वारा पहनाई हुई अंगूठी और ताबीज़ रूपी मन्गल्सुत्र को चूम लिया और बोली, “करण तुम्हे नही पता आज मैं कितनी खुश हू....मुझे तुम मेरे पेरेंट्स से भी ज़्यादा समझते हो....मैं तुम्हे अपनी जीवन मे पति पाकर धन्य हो हो गयी...और मैं भी तुमसे वादा करती हू कि एक अर्धांगिनी होने का हर फ़र्ज़ निभाउन्गि...अपने पति को तन और मन हर तरह से खुश रखने की कोशिश करूँगी...” और निशा और करण आलिंगन मे बँध जाते है.
“अब शादी हो गयी तो सुहागरात भी हो जाए...” हंसते हुए करण निशा को बाँहो मे भरता हुआ बोला. अभी तक अदा दिखाने वाली निशा अब थोड़ा सा शर्मा गयी और किसी बेल की तरह करण से लिपट गयी.
“मैने कहा ना कि पति को तन और मन से खुश रखना हर पत्नी का कर्तव्य है....तो चलो आज तुम्हे तन से खुश करती हू...” कहते हुए निशा ने करण को बिस्तर पर धकेल दिया और उसकी छाती पर चढ़ के बैठ गयी.
वो नाइटी मे कमाल की लग रही थी. उसने एक एक कर के करण की शर्ट के बटन्स को खोल दिया और टाइ भी उतार दी. करण के घाव देख कर उसके मन मे आया कि एक बार इसके बारे मे पूछे पर वो वासना मे डूब जाना चाहती थी इसलिए वह ख़याल मन से निकाल कर करण की मांसल छाती को प्यार से चूमने लगी.
करण ने भी अपने हाथो को नाइटी के अंदर से निशा की पैंटी और नंगी कमर पर चलाने लगा. निशा किसी मक्खन की तरह मुलायम थी. जहा हाथ लगाओ उसके चिकने गोरे बदन पर वो फिसल जाता.
निशा थोड़ा उपर हुई और करण के होंठो को चूसने लगी. दोनो की जीब एक दूसरे से मिलने को बेकरार थी. दोनो की जीभ मे लग रहा था कि कुश्ती प्रतियोगिता चल रही है. निशा ने अपने मूह का ढेर सारा थूक लिया और उसे करण के मूह मे डालने लगी. करण भी जैसे जन्मो का प्यासा, निशा की थूक की हर बूँद चाट चाट कर पी गया और बदले मे उसने भी ढेर सारा थूक निशा के मूह मे उगल दिया जिसे निशा भी मज़े से चाट के पी गयी.
करण ने अपना हाथ निशा की घाटी मे डाला और नाइटी की गाँठ खोल दी. नाइटी निशा के चिकने बदन पर फिसलते हुए गिर गयी. अब निशा केवल ब्रा और पैंटी मे थी. करण ने निशा को नीचे लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया.
इतना चिकना जिस्म करण ने आज तक नही देखा था. निशा पर रोए या बाल के नामो निशान नही थे, पर बगल (आर्म्पाइट) मे निशा के बहुत बाल थे. निशा ने जब देखा तो थोड़ा शर्मा गयी और बोली, “आइ आम सॉरी...मुझे पता नही था कि आज हम सुहाग रात मनाएँगे नही तो मैं इन बालो को शेव कर देती...”
करण ने मुस्कुराते हुआ अपने मूह को निशा की बगलो मे घुसा दिया और बोला, “मुझे बगल के बाल बहुत पसंद है...इनमे जब पसीना होता है तब इनमे से बड़ी मादक गंध आती है.” बोलते हुए करण निशा की बगल को अपना जीभ निकाल के चाटने लगा.
निशा के लिए यह नया तजुर्बा था. उसे यकीन नही हुआ कि करण को आर्म्पाइट के बाल अच्छे लगते है. उसने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया और करण की जीभ को अपनी बगल पर चलते महसूस करके मदहोश हो गयी. एक गुदगुदी जैसा एहसास हो रहा था उसे, लग रहा था जैसे वहाँ चींटिया रेंग रही हो. करण के थूक से निशा की कांख के बाल पूरे भीग गये थे जिसपे एसी की ठंडी हवा निशा को बहकाने लगी.
करण बड़ी शिद्दत से निशा की बगलो को चाट रहा था और रुक रुक कर उसकी बगल के बाल को मूह मे भर कर खींच भी देता था जिस से निशा का मज़ा दोगुना हो जाता.
“मेरे आर्म्पाइट मे क्या रखा है जो तुम इतने शिद्दत से वहाँ चाट रहे हो..” निशा मदहोश होते हुए बोली.
“तुम क्या जानो कि हम मर्दो को औरतो के पसीने से भरी आर्म्पाइट को चाटने और सूंघने से कितनी उत्तेजना होती है...” कहते हुए करण ने फिर से अपना मूह पूरा निशा की बगलो मे घुसा दिया.
तसल्ली से पाँच दस मिनिट निशा की दोनो कांखो को चाटने के बाद करण उपर उठा और निशा को देखने लगा जिसकी आँखो मे वासना के लाल डोरे तैर रहे थे. उसने निशा के मोटे मोटे दूध को ब्रा के उपर से ही अपने दोनो हाथ मे भरा और अपनी पूरी ताक़त से मसल्ने लगा.
“ह......उम्म्म......नाहहिईिइ......कारण....धीरे करो दर्द हो रहा है मुझे...” सिसकी लेती हुई निशा बोली.
पर करण को आज रोकना बहुत मुश्किल था. वो निशा के मोटे मोटे दूध को मसल्ते हुए झुक कर निशा के लबो को वापस चूसने लगा. निशा की सिसकिया अब करण के मूह मे ही समाए जा रही थी.
निशा की कुछ समझ मे नही आया. करण अपनी जगह से उठा और बेड के सहारे ज़मीन पर अपने घुटनो के बल बैठ कर, “डॉक्टर. निशा...विल यू मॅरी मी...” और करण ने अपनी सोने की अंगूठी निकाल कर निशा को पेश कर दी.
निशा ने करण की आँखो मे अपने लिए सारे जहाँ का प्यार देखा. उसके मूह से बस इतना ही निकला, “येस....” और वो खुशी के आँसू रोने लगी.
करण उठा और अपने गले से काले रंग का भगवान शिव का ताबीज़ निकालते हुए उसे निशा के गले मे पहनाने लगा और बोला, “यह रहा मन्गल्सूत्र...”
निशा को मानो अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था. उसकी शादी ऐसे भी होगी उसने कभी सोचा भी नही था लेकिन उसे तो बस करण चाहिए था भले ही वो कैसे भी मिले.
आख़िर मे करण ने पास मे रखे चाकू को उठाया और अपना अगुठा थोड़ा सा काटकर, खून से निशा की माँग भर दी और बोला, “लो भर दी तुम्हारी माँग मैने अपने खून से....और मैं वचन देता हू जब तक ज़िंदा रहूँगा तुम्हे अपनी धरम पत्नी मानूँगा और तुम्हारे हर सुख दुख मे तुम्हारा साथ दूँगा और तुम्हारी जान देकर भी रक्षा करूँगा....” माँग भर जाने का और एक सुहागन होने का सुख निशा आज पहली बार महसूस कर रही थी.
निशा ने करण द्वारा पहनाई हुई अंगूठी और ताबीज़ रूपी मन्गल्सुत्र को चूम लिया और बोली, “करण तुम्हे नही पता आज मैं कितनी खुश हू....मुझे तुम मेरे पेरेंट्स से भी ज़्यादा समझते हो....मैं तुम्हे अपनी जीवन मे पति पाकर धन्य हो हो गयी...और मैं भी तुमसे वादा करती हू कि एक अर्धांगिनी होने का हर फ़र्ज़ निभाउन्गि...अपने पति को तन और मन हर तरह से खुश रखने की कोशिश करूँगी...” और निशा और करण आलिंगन मे बँध जाते है.
“अब शादी हो गयी तो सुहागरात भी हो जाए...” हंसते हुए करण निशा को बाँहो मे भरता हुआ बोला. अभी तक अदा दिखाने वाली निशा अब थोड़ा सा शर्मा गयी और किसी बेल की तरह करण से लिपट गयी.
“मैने कहा ना कि पति को तन और मन से खुश रखना हर पत्नी का कर्तव्य है....तो चलो आज तुम्हे तन से खुश करती हू...” कहते हुए निशा ने करण को बिस्तर पर धकेल दिया और उसकी छाती पर चढ़ के बैठ गयी.
वो नाइटी मे कमाल की लग रही थी. उसने एक एक कर के करण की शर्ट के बटन्स को खोल दिया और टाइ भी उतार दी. करण के घाव देख कर उसके मन मे आया कि एक बार इसके बारे मे पूछे पर वो वासना मे डूब जाना चाहती थी इसलिए वह ख़याल मन से निकाल कर करण की मांसल छाती को प्यार से चूमने लगी.
करण ने भी अपने हाथो को नाइटी के अंदर से निशा की पैंटी और नंगी कमर पर चलाने लगा. निशा किसी मक्खन की तरह मुलायम थी. जहा हाथ लगाओ उसके चिकने गोरे बदन पर वो फिसल जाता.
निशा थोड़ा उपर हुई और करण के होंठो को चूसने लगी. दोनो की जीब एक दूसरे से मिलने को बेकरार थी. दोनो की जीभ मे लग रहा था कि कुश्ती प्रतियोगिता चल रही है. निशा ने अपने मूह का ढेर सारा थूक लिया और उसे करण के मूह मे डालने लगी. करण भी जैसे जन्मो का प्यासा, निशा की थूक की हर बूँद चाट चाट कर पी गया और बदले मे उसने भी ढेर सारा थूक निशा के मूह मे उगल दिया जिसे निशा भी मज़े से चाट के पी गयी.
करण ने अपना हाथ निशा की घाटी मे डाला और नाइटी की गाँठ खोल दी. नाइटी निशा के चिकने बदन पर फिसलते हुए गिर गयी. अब निशा केवल ब्रा और पैंटी मे थी. करण ने निशा को नीचे लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया.
इतना चिकना जिस्म करण ने आज तक नही देखा था. निशा पर रोए या बाल के नामो निशान नही थे, पर बगल (आर्म्पाइट) मे निशा के बहुत बाल थे. निशा ने जब देखा तो थोड़ा शर्मा गयी और बोली, “आइ आम सॉरी...मुझे पता नही था कि आज हम सुहाग रात मनाएँगे नही तो मैं इन बालो को शेव कर देती...”
करण ने मुस्कुराते हुआ अपने मूह को निशा की बगलो मे घुसा दिया और बोला, “मुझे बगल के बाल बहुत पसंद है...इनमे जब पसीना होता है तब इनमे से बड़ी मादक गंध आती है.” बोलते हुए करण निशा की बगल को अपना जीभ निकाल के चाटने लगा.
निशा के लिए यह नया तजुर्बा था. उसे यकीन नही हुआ कि करण को आर्म्पाइट के बाल अच्छे लगते है. उसने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया और करण की जीभ को अपनी बगल पर चलते महसूस करके मदहोश हो गयी. एक गुदगुदी जैसा एहसास हो रहा था उसे, लग रहा था जैसे वहाँ चींटिया रेंग रही हो. करण के थूक से निशा की कांख के बाल पूरे भीग गये थे जिसपे एसी की ठंडी हवा निशा को बहकाने लगी.
करण बड़ी शिद्दत से निशा की बगलो को चाट रहा था और रुक रुक कर उसकी बगल के बाल को मूह मे भर कर खींच भी देता था जिस से निशा का मज़ा दोगुना हो जाता.
“मेरे आर्म्पाइट मे क्या रखा है जो तुम इतने शिद्दत से वहाँ चाट रहे हो..” निशा मदहोश होते हुए बोली.
“तुम क्या जानो कि हम मर्दो को औरतो के पसीने से भरी आर्म्पाइट को चाटने और सूंघने से कितनी उत्तेजना होती है...” कहते हुए करण ने फिर से अपना मूह पूरा निशा की बगलो मे घुसा दिया.
तसल्ली से पाँच दस मिनिट निशा की दोनो कांखो को चाटने के बाद करण उपर उठा और निशा को देखने लगा जिसकी आँखो मे वासना के लाल डोरे तैर रहे थे. उसने निशा के मोटे मोटे दूध को ब्रा के उपर से ही अपने दोनो हाथ मे भरा और अपनी पूरी ताक़त से मसल्ने लगा.
“ह......उम्म्म......नाहहिईिइ......कारण....धीरे करो दर्द हो रहा है मुझे...” सिसकी लेती हुई निशा बोली.
पर करण को आज रोकना बहुत मुश्किल था. वो निशा के मोटे मोटे दूध को मसल्ते हुए झुक कर निशा के लबो को वापस चूसने लगा. निशा की सिसकिया अब करण के मूह मे ही समाए जा रही थी.
करण
ने निशा के होंठो को छोड़ा और
उसकी गर्दन चूमता हुआ ब्रा
के स्ट्रॅप्स तक पहुच गया और
ब्रा की स्ट्रेप को अपने दांतो
मे भर कर खीचने लगा.
करण
की ऐसी हरकतें निशा को पागल
बना रही थी.
वो
मन ही मन मे सोच रही थी कि करण
को आख़िर सेक्स करने का ऐसा
नायाब तरीका पता कैसे चला.
करण ने निशा की ब्रा के दोनो स्ट्रॅप्स को दांतो से खीच कर कंधो से उतार दिया और अपने हाथ को पीछे ले जाकर उसके खोल दिए. निशा के जिस्म से अब ब्रा भी अलग हो गयी थी जिससे उसके उन्नत स्तन उच्छल कर करण के सामने आ गये.
करण आज तक निशा के दूध को कपड़ो के उपर से देख कर उनकी कल्पना ही करता था, पर आज वो हिमालय के पर्वत की तरह उसके ओर मूह उठाए खड़े थे. करण निशा के नंगे जिस्म को भूके शेर की तरह देख रहा था.
“मेरे जिस्म पर सिर्फ़ तुम्हारा हक़ है जान....जो चाहे इनके साथ करो...” निशा ने मादकता से जवाब दिया जिसे सुनकर करण उसकी मुलायम दूध को कस कर मसालने लगा.
“निशा....यह कितने सॉफ्ट है...लग रहा है किसी मुलायम स्पंज के बॉल को दबा रहा हू...” करण दूध को मसल्ते हुए बोला.
निशा पर खुमारी पूरी तरह चढ़ चुकी थी. उसे नही पता था इसमे इतना मज़ा आता है. उसने अपने रसीले होंठो पर जीभ फिराई और मादकता से कहा, “यह मुलायम होने के साथ साथ स्वादिष्ट भी है...क्या तुम इन दोनो को टेस्ट करोगे...”
करण निशा का इशारा समझ गया और एक को मूह मे लेकर किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा और दूसरे को मसल्ने लगा.
“म्म्म्मलम....म्म्माीआआ....मररर...गायईीई....आअहह...” निशा की बॉल पर पहली बार किसी मर्द ने हाथ फेरा था और उसे चूसा था. वो वासना मे अपना सर इधर उधर पटक रही थी.
करण कभी उन पर जीभ फेरता तो कभी उन्हे पूरा मूह मे लेकर चूसने लगता तो कभी दाँत से हल्के से काट लेता. निशा के लिए यह सब बहुत था, उसे लगा कि कारण अभी नही रुका तो वो इससे ही अपने चरम सीमा पर पहुच जाएगी.
करण अब दूसरे दूध को मसल्ने लगा और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर निशा की गहरी चिकनी नाभि मे उंगली करने लगा. नाभि मे उंगली घुसते ही निशा गुदगुदी से पागल हो गयी और अपनी कमर को उपर के तरफ झटकने लगी.
करण अब हौले हौले निशा के जिस्म को चूमते हुए नीचे आने लगा. वो जहाँ जहाँ चूमता था निशा का वो हिस्सा उसके थूक से भीग जाता था. नीचे आकर उसने अपनी खुरदरी चीभ को नोकिला कर के निशा की गोरी नाभि मे घुमाने लगा.
“प्लीआसीए....कर्रांन्न....वहाँ...नहियिइ....” निशा नाभि मे चूसे जाने से गुदगुदी के कारण पागल सी हो रही थी. उसने करण का सर पकड़ कर अपनी नाभि से हटाना चाहा पर करण ज़बरदस्ती उसकी नाभि चूसने मे लगा रहा.
करण ने निशा की नाभि इतनी चूसी कि उसकी नाभि उसके थूक से लबालब भर गयी. नाभि चूसने के बाद वो निशा के जिस्म को चूमते और चाट ते हुए नीचे सरकने लगा जहा उसे निशा की कमर पर लिपटा सोने का चैन दिखाई दिया.
करण पर वासना इतनी सवार थी की वो उस सोने की चैन को ही अपने मूह मे लेकर चूसने लगा. करण के थूक से चैन हल्की रोशनी मे चमक उठी. निशा कारण का अपने प्रति यह दीवानगी देख कर मुस्कुराने लगी.
चैन को छोड़ कारण जब नीचे पहुचा तब उसे महसूस हुआ कि वो जन्नत के बिल्कुल नज़दीक है. जैसे ब्रा के स्ट्रॅप्स को उसने दांतो से खीचा था वैसे ही उसने पैंटी को भी दाँत से पकड़ कर उतारने लगा. करण की ऐसी मादक हरकतें देख कर निशा वासना से पागल हो गयी. उसे समझ मे नही आ रहा था कि करण एक एक्सपर्ट की तरह उसके साथ कैसे सेक्स कर रहा था.
थोड़ी कोशिश के बाद आख़िर करण निशा की पैंटी को अपने दांतो से तोड़ा नीचे सरकाने मे कामयाब हो गया. उसे जो सामने दिखा वो उसके लिए सोने की खदान से कम नही था.
सोने की खदान देख कर करण उसकी सम्मोहन मे खो सा गया. उसने आज पहली बार किसी लड़की की असली खदान देखी थी. निशा करण को ऐसे सुध बुध खो कर देखने पर हँसने लगी. उसे अपनी औरत होने पर गर्व हो रहा था जो अपने सौंदर्य के सम्मोहन से किसी भी मर्द को फसा सकती थी.
करण ने निशा की ब्रा के दोनो स्ट्रॅप्स को दांतो से खीच कर कंधो से उतार दिया और अपने हाथ को पीछे ले जाकर उसके खोल दिए. निशा के जिस्म से अब ब्रा भी अलग हो गयी थी जिससे उसके उन्नत स्तन उच्छल कर करण के सामने आ गये.
करण आज तक निशा के दूध को कपड़ो के उपर से देख कर उनकी कल्पना ही करता था, पर आज वो हिमालय के पर्वत की तरह उसके ओर मूह उठाए खड़े थे. करण निशा के नंगे जिस्म को भूके शेर की तरह देख रहा था.
“मेरे जिस्म पर सिर्फ़ तुम्हारा हक़ है जान....जो चाहे इनके साथ करो...” निशा ने मादकता से जवाब दिया जिसे सुनकर करण उसकी मुलायम दूध को कस कर मसालने लगा.
“निशा....यह कितने सॉफ्ट है...लग रहा है किसी मुलायम स्पंज के बॉल को दबा रहा हू...” करण दूध को मसल्ते हुए बोला.
निशा पर खुमारी पूरी तरह चढ़ चुकी थी. उसे नही पता था इसमे इतना मज़ा आता है. उसने अपने रसीले होंठो पर जीभ फिराई और मादकता से कहा, “यह मुलायम होने के साथ साथ स्वादिष्ट भी है...क्या तुम इन दोनो को टेस्ट करोगे...”
करण निशा का इशारा समझ गया और एक को मूह मे लेकर किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा और दूसरे को मसल्ने लगा.
“म्म्म्मलम....म्म्माीआआ....मररर...गायईीई....आअहह...” निशा की बॉल पर पहली बार किसी मर्द ने हाथ फेरा था और उसे चूसा था. वो वासना मे अपना सर इधर उधर पटक रही थी.
करण कभी उन पर जीभ फेरता तो कभी उन्हे पूरा मूह मे लेकर चूसने लगता तो कभी दाँत से हल्के से काट लेता. निशा के लिए यह सब बहुत था, उसे लगा कि कारण अभी नही रुका तो वो इससे ही अपने चरम सीमा पर पहुच जाएगी.
करण अब दूसरे दूध को मसल्ने लगा और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर निशा की गहरी चिकनी नाभि मे उंगली करने लगा. नाभि मे उंगली घुसते ही निशा गुदगुदी से पागल हो गयी और अपनी कमर को उपर के तरफ झटकने लगी.
करण अब हौले हौले निशा के जिस्म को चूमते हुए नीचे आने लगा. वो जहाँ जहाँ चूमता था निशा का वो हिस्सा उसके थूक से भीग जाता था. नीचे आकर उसने अपनी खुरदरी चीभ को नोकिला कर के निशा की गोरी नाभि मे घुमाने लगा.
“प्लीआसीए....कर्रांन्न....वहाँ...नहियिइ....” निशा नाभि मे चूसे जाने से गुदगुदी के कारण पागल सी हो रही थी. उसने करण का सर पकड़ कर अपनी नाभि से हटाना चाहा पर करण ज़बरदस्ती उसकी नाभि चूसने मे लगा रहा.
करण ने निशा की नाभि इतनी चूसी कि उसकी नाभि उसके थूक से लबालब भर गयी. नाभि चूसने के बाद वो निशा के जिस्म को चूमते और चाट ते हुए नीचे सरकने लगा जहा उसे निशा की कमर पर लिपटा सोने का चैन दिखाई दिया.
करण पर वासना इतनी सवार थी की वो उस सोने की चैन को ही अपने मूह मे लेकर चूसने लगा. करण के थूक से चैन हल्की रोशनी मे चमक उठी. निशा कारण का अपने प्रति यह दीवानगी देख कर मुस्कुराने लगी.
चैन को छोड़ कारण जब नीचे पहुचा तब उसे महसूस हुआ कि वो जन्नत के बिल्कुल नज़दीक है. जैसे ब्रा के स्ट्रॅप्स को उसने दांतो से खीचा था वैसे ही उसने पैंटी को भी दाँत से पकड़ कर उतारने लगा. करण की ऐसी मादक हरकतें देख कर निशा वासना से पागल हो गयी. उसे समझ मे नही आ रहा था कि करण एक एक्सपर्ट की तरह उसके साथ कैसे सेक्स कर रहा था.
थोड़ी कोशिश के बाद आख़िर करण निशा की पैंटी को अपने दांतो से तोड़ा नीचे सरकाने मे कामयाब हो गया. उसे जो सामने दिखा वो उसके लिए सोने की खदान से कम नही था.
सोने की खदान देख कर करण उसकी सम्मोहन मे खो सा गया. उसने आज पहली बार किसी लड़की की असली खदान देखी थी. निशा करण को ऐसे सुध बुध खो कर देखने पर हँसने लगी. उसे अपनी औरत होने पर गर्व हो रहा था जो अपने सौंदर्य के सम्मोहन से किसी भी मर्द को फसा सकती थी.
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