मायावी गणित -13
'शायद
इन
बेशुमार
कीलों
में
कोई
राज़
छुपा
हुआ
है।'
रामू
के
दिल
में
विचार
पैदा
हुआ।
उसने
एक
कील
को
हिलाने
डुलाने
की
कोशिश
की।
और
इसी
क्रिया
में
वह
कील
नीचे
की
तरफ
धंस
गयी।
उसी
समय
कमरे
की
दीवार
का
एक
हिस्सा
किसी
टीवी
स्क्रीन
की
तरह
रोशन
हो
गया
और
उसपर
हरे
रंग
का
लहराता
हुआ
धुवां
जैसा
दिखाई
देने
लगा
था।
रामू
ने
कील
पर
से
अपना
हाथ
हटा
लिया।
उसके
हाथ
हटाते
ही
कील
वापस
उभर
आयी
और
साथ
ही
दीवार
पर
दिखने
वाला
हरा
धुवां
गायब
हो
गया।
रामू
ने
कुछ
समझते
हुए
सर
हिलाया
और
दूसरी
कील
दबा
दी।
एक
बार
फिर
उसी
दीवार
पर
रंगों
से
कोई
अनजान
पैटर्न
बनने
लगा
था
जो
कि
पिछले
पैटर्न
से
अलग
था।
अब
उसने
और
एक्सपेरीमेन्ट
करने
का
इरादा
किया
और
दो
कीलें
एक
साथ
दबा
दीं।
इस
बार
नतीजा
कुछ
और
था।
दीवार
पर
किसी
अनजान
जगह
की
तस्वीर
उभर
आयी
थी।
शायद
यह
किसी
वीरान
ग्रह
की
शुष्क
ज़मीन
थी।
उन्हीं
दोनों
कीलों
को
दबाये
हुए
रामू
ने
एक
तीसरी
कील
भी
दबा
दी।
इसबार
भी
नतीजा
आश्चर्यजनक
था।
उस
वीरान
ग्रह
की
तस्वीर
अब
थ्री
डी
होकर
कमरे
के
भीतर
उभर
आयी
थी।
रामू
ने
सर
हिलाते
हुए
तीन
पुरानी
कीलों
के
साथ
चौथी
कील
को
भी
दबा
दिया।
और
वह
थ्री
डी
तस्वीर
चलती
फिरती
नज़र
आने
लगी।
ऐसा
लगता
था
कि
कोई
अंतरिक्षयान
उस
ग्रह
की
भूमि
के
ऊपर
उड़
रहा
है
और
उसकी
मूवी
बना
रहा
है।
वह
अपने
दोनों
हाथों
से
चार
से
ज्यादा
कीलें
नहीं
दबा
सकता
था
अत:
उसने
उन्हें
छोड़
दिया।
कीलों
को
छोड़ते
ही
कमरे
में
दिखने
वाली
थ्री
डी
मूवी
गायब
हो
गयी।
कुछ
कुछ
कीलों
का
रहस्य
रामू
की
समझ
में
आ
गया
था।
अब
उसने
यह
एक्सपेरीमेन्ट
कीलों
के
नये
सेट
के
साथ
करने
को
सोचा।
और
चार
नयी
कीलें
एक
साथ
दबा
दीं।
इस
बार
भी
एक
थ्री
डी
मूवी
कमरे
में
दिखने
लगी
थी।
लेकिन
दृश्य
नया
था।
यह
दृश्य
किसी
विशाल
समुन्द्र
का
था
जहाँ
दैत्याकार
लहरें
कभी
पहाड़
की
ऊंचाई
तक
उठ
रही
थीं
तो
कभी
नीचे
गिर
रही
थीं।
अपने
एक्सपेरीमेन्ट
को
आगे
बढ़ाते
हुए
उसने
दो
नयी
और
दो
पुरानी
कीलों
को
दबाया।
इसबार
उसे
उस
वीरान
ग्रह
पर
ज़मीन
से
फूटता
फव्वारा
दिखाई
दिया
जो
तेज़ी
से
विशाल
तालाब
का
आकार
ले
रहा
था।
फिर
वह
तालाब
देखते
ही
देखते
विशाल
समुन्द्र
में
बदल
गया।
''यह
सब
क्या
है?"
इतने
एक्सपेरीमेन्ट
करने
के
बावजूद
रामू
अभी
तक
कुछ
नहीं
समझ
सका
था।
कीलों
को
दबाने
पर
कुछ
दृश्य
उभरते
थे
और
उसके
बाद
गायब
हो
जाते
थे।
इतना
ज़रूर
उसने
देखा
था
कि
चार
कीलों
को
एक
साथ
दबाने
पर
थ्री
डी
मूवी
चलने
लगती
है
जबकि
तीन
को
दबाने
पर
किसी
अनजान
जगह
का
स्टिल
थ्री
डी
फोटोग्राफ
नज़र
आता
है।
जब
उसे
कुछ
समझ
में
नहीं
आया
तो
उसने
संदूक
में
से
उस
सरकटे
धड़
को
निकालने
का
निश्चय
किया।
उसने
दोनों
हाथ
उस
धड़
के
नीचे
लगाये
और
उसे
उठाने
के
लिये
ज़ोर
लगाने
लगा।
उसके
बंदर
वाले
जिस्म
के
लिये
ये
निहायत
मुश्किल
काम
था।
भरपूर
ताकत
लगाने
के
बाद
आखिरकार
वह
उसे
संदूक
में
से
निकालने
में
कामयाब
हो
गया।
जैसे
ही
उसने
उस
धड़
को
निकाला
उसने
देखा
कि
दीवार
की
स्क्रीन
एक
बार
फिर
रोशन
हो
गयी
थी
और
उसपर
कोई
थ्री
डी
मूवी
इस
तरह
चल
रही
थी
मानो
कोई
वीडियो
कैसेट
तेज़ी
से
रिवर्स
की
जा
रही
हो।
लगभग
दस
मिनट
तक
वह
मूवी
'रिवर्स'
होती
रही
फिर
एक
तस्वीर
पर
आकर
रुक
गयी।
और
यह
तस्वीर
जानी
पहचानी
थी।
उस
थ्री
डी
तस्वीर
में
वही
कटा
सर
मेज़
पर
रखा
हुआ
दिखाई
दे
रहा
था
जो
इससे
पहले
वह
कुएँ
नुमा
कमरे
में
देख
चुका
था।
वह
थ्री
डी
फोटोग्राफ
अजीब
था।
लगता
था
जैसे
हक़ीक़त
में
थोड़ी
दूर
पर
मेज़
मौजूद
है
और
उसपर
कटा
सर
रखा
हुआ
है।
'कहीं
ऐसा
तो
नहीं
वह
फोटोग्राफ
न
होकर
वास्तविकता
हो?'
रामू
ने
सोचा
और
उस
मेज़
की
तरफ
बढ़ा।
मेज़
के
पास
पहुंचकर
उसने
उसकी
तरफ
हाथ
बढ़ाया।
उसे
यकीन
था
कि
हाथ
हवा
में
लहराकर
रह
जायेगा।
क्योंकि
वह
इससे
पहले
कई
थ्री
डी
फिल्में
देख
चुका
था।
लेकिन
यह
क्या?
मेज़
तो
वाकई
ठोस
और
वास्तविक
थी।
उसके
हाथों
ने
मेज़
की
सख्ती
महसूस
कर
ली
थी।
फिर
उसने
देखा,
मेज़
पर
रखा
सर
भी
वास्तविक
था।
उसने
सर
को
उठाने
की
कोशिश
की
और
सर
आसानी
से
उसके
हाथ
में
आ
गया।
'इसका
मतलब
मैं
वाकई
एम-स्पेस
के
कण्ट्रोल
रूम
तक
पहुंचने
में
कामयाब
हो
चुका
हूं।'
ये
विचार
आते
ही
उसका
अंग
अंग
खुशी
से
फड़कने
लगा।
लेकिन
आगे
कौन
सा
कदम
उठाना
है?
ये
सवाल
ज़हन
में
आते
ही
वह
फिर
मायूस
हो
गया।
अभी
तक
तो
अंधी
चालें
कामयाब
साबित
हुई
थीं।
शायद
उसपर
तक़दीर
भी
मेहरबान
थी।
लेकिन
आगे
क्या
हो
जाता
कुछ
नहीं
कहा
जा
सकता
था।
************
''तुम
ही
बताओ
कि
मैं
आगे
क्या
करूं?"
रामू
ने
हाथ
में
पकड़े
सर
से
पूछा।
लेकिन
सर
खामोश
रहा।
हालांकि
उसकी
पलकें
झपक
रही
थीं
जिससे
मालूम
होता
था
कि
वह
सर
अभी
भी
जिंदा
है।
फिर
रामू
ने
देखा
उस
सर
की
आँखें
धड़
की
तरफ
इशारा
कर
रही
हैं।
कुछ
सोचकर
रामू
वापस
धड़
तक
पहुंचा
और
सर
को
उस
धड़
के
ऊपर
रख
दिया।
फिर
उसने
हैरत
से
देखा
कि
अब
तक
बेजान
धड़
एकाएक
उठ
खड़ा
हुआ।
लेकिन
अब
उसे
धड़
कहना
मुनासिब
नहीं
था
क्योंकि
सर
उसके
ऊपर
पूरी
तरह
जुड़
चुका
था।
और
अब
वह
बूढ़ा
व्यक्ति
पूरी
तरह
मुकम्मल
था।
और
अब
वह
अपना
हाथ
रामू
की
तरफ
बढ़ा
रहा
था।
रामू
डर
कर
जल्दी
से
दो
तीन
कदम
पीछे
हट
गया।
''डरो
नहीं
मेरे
बच्चे।
तुमने
बहुत
बड़ा
काम
किया
है।
जिसके
लिये
मैं
अगर
जिंदगी
भर
तुम्हारा
शुक्रिया
अदा
करूं
तो
भी
कम
होगा।"
उस
बूढ़े
ने
मोहब्बत
से
उसके
सर
पर
हाथ
फेरा।
''अ...आप
कौन
हैं?"
रामू
ये
सवाल
पहले
भी
उस
बूढ़े
के
सर
से
पूछ
चुका
था
और
उस
समय
उसका
जवाब
नहीं
मिला
था।
''मैं
एम-स्पेस
का
क्रियेटर
हूं।"
बूढ़े
की
बात
सुनकर
रामू
को
एक
झटका
सा
लगा।
यानि
वह
बूढ़ा
इस
पूरे
खतरनाक
चक्रव्यूह
का
रचयिता
था।
लेकिन
फिर
वह
खुद
ही
इस
चक्रव्यूह
में
कैसे
कैद
हो
गया?
और
उसने
इस
खतरनाक
चक्रव्यूह
को
बनाया
ही
क्यों?
अपने
दिमाग
में
उमड़ते
सवालों
को
रामू
उस
बूढ़े
से
पूछ
बैठा।
''एम-स्पेस
स्वयं
कोई
खतरनाक
चक्रव्यूह
नहीं
है।
बल्कि
इसकी
मदद
से
चक्रव्यूह
की
रचना
की
जा
सकती
है।"
बूढ़ा
बताने
लगा,
''वास्तव
में
एम-स्पेस
एक
ऐसी
मशीन
है
जो
गणितीय
समीकरणों
द्वारा
कण्ट्रोल
होती
है।
और
उन
समीकरणों
में
उलट
फेर
करके
कोई
व्यक्ति
इस
यूनिवर्स
में
कहीं
भी
जा
सकता
है।
और
वहाँ
की
घटनाओं
को
कुछ
हद
तक
कण्ट्रोल
कर
सकता
है।
सच
कहा
जाये
तो
हम
जिस
वास्तविक
यूनिवर्स
में
रहते
हैं
वह
भी
गणितीय
समीकरणों
पर
ही
आधारित
है।
ये
समीकरण
ही
फिजि़क्स
के
नियम
कहलाते
हैं।
इस
तरह
हम
कह
सकते
हैं
कि
एम-स्पेस
वास्तविक
यूनिवर्स
का
छोटा
सा
गणितीय
माडल
है।
''और
इस
माडल
को
आपने
बनाया
है।"
रामू
ने
प्रशंसात्मक
दृष्टि
से
उस
जीनियस
को
देखा।
''हाँ।
ये
जो
बाक्स
तुम
देख
रहे
हो।
जिसमें
मेरा
धड़
कैद
था,
ये
एम-स्पेस
को
कण्ट्रोल
करने
का
यन्त्र
है।
इसमें
सैंकड़ों
कीलों
के
अलग
अलग
काम्बीनेशन
के
द्वारा
एम-स्पेस
यूनिवर्स
के
अलग
अलग
स्थानों
की
घटनाओं
को
नियंत्रित
किया
जा
सकता
है।
और
उन
घटनाओं
के
लिये
चक्रव्यूह
की
भी
रचना
की
जा
सकती
है।
''हाँ,
मैंने
भी
कुछ
कीलों
को
दबाकर
घटनाओं
को
देखा
था।"
''किसी
जगह
की
घटनाओं
को
नियनित्रत
करने
के
लिये
कम
से
कम
चार
कीलों
को
एक
साथ
दबाना
ज़रूरी
है।
क्योंकि
यूनिवर्स
की
सभी
घटनाएं
स्पेस-टाइम
की
चार
विमाओं
से
कण्ट्रोल
होती
हैं।
और
चार
कीलों
का
ग्रुप
उन
चारों
विमाओं
को
प्रभावित
करता
है।
लेकिन
यूनिवर्स
की
घटनाओं
को
सुचारू
तरीके
से
कण्ट्रोल
करने
के
लिये
कीलों
के
सही
काम्बीनेशन
की
जानकारी
होना
बहुत
ज़रूरी
है
वरना
इसे
इस्तेमाल
करने
वाला
गंभीर
मुसीबत
में
भी
गिरफ्तार
हो
सकता
है।"
बूढ़े
की
बात
रामू
के
पल्ले
पूरी
तरह
नहीं
पड़ी।
अत:
उसने
अगला
सवाल
पूछा
जो
बहुत
देर
से
उसके
दिमाग
में
घूम
रहा
था,
''लेकिन
आप
खुद
अपनी
बनायी
मशीन
के
चक्रव्यूह
में
कैसे
फंस
गये
थे?"
बूढ़े
ने
एक
ठंडी
साँस
ली
और
कहने
लगा,
''दरअसल
मैंने
बहुत
बड़ा
धोखा
खाया।
जब
मैं
अपनी
मशीन
को
लगभग
मुकम्मल
करने
की
आखिरी
स्टेज
में
था
तो
कुछ
अपराधी
प्रवृत्ति
के
लोग
मेरे
शागिर्द
बनकर
मेरे
ग्रुप
में
शामिल
हो
गये।
सम्राट
उनका
लीडर
था,
वही
सम्राट
जिसका
दिमाग
तुम्हारे
शरीर
में
फिट
है।
उन्होंने
मेरी
इस
मशीन
पर
कब्ज़ा
करके
मुझे
कैद
कर
लिया।
इसी
मशीन
द्वारा
उन्होंने
मेरा
सर
अलग
और
धड़
अलग
कर
दिया
था
जिसके
कारण
मैं
कुछ
भी
करने
से
लाचार
हो
गया।
यहाँ
तक
कि
मैं
किसी
को
मदद
के
लिये
भी
नहीं
कह
सकता
था
वरना
हमेशा
के
लिये
मेरे
सर
का
सम्पर्क
धड़
से
टूट
जाता।
यही
वजह
है
कि
मैंने
हमेशा
तुमसे
इशारों
में
बात
की।
फिर
इसी
एम
स्पेस
द्वारा
उन्होंने
एक
यान
की
रचना
की
और
उसे
लेकर
पृथ्वी
पर
उतर
गये।
लेकिन
उन्होंने
कोई
तकनीकी
गलती
कर
दी
थी
अत:
पृथ्वी
पर
उतरते
समय
सम्राट
का
शरीर
नष्ट
हो
गया
और
उसने
तुम्हारा
शरीर
ग्रहण
कर
लिया।"
''तो
क्या
अब
मुझे
कभी
अपना
शरीर
वापस
नहीं
मिलेगा?"
रामू
ने
थोड़ी
आशा
और
थोड़ी
निराशा
के
साथ
बूढ़े
की
ओर
देखा।
''तुम
अपने
दिमाग
से
सम्राट
द्वारा
बनाये
गये
एम-स्पेस
के
चक्रव्यूह
को
तोड़ने
में
कामयाब
हुए
है।
इसलिए
तुम्हारा
शरीर
तुम्हें
ज़रूर
मिलेगा।
अब
ये
जि़म्मेदारी
मेरी
है।
बूढ़े
ने
उसका
कन्धा
थपथपाया।
-------
उस
मैदान
में
कम
से
कम
एक
लाख
लोगों
का
मजमा
था
जो
रामू
बने
सम्राट
के
भक्त
हो
चुके
थे।
उनकी
जय
जयकार
से
पूरा
मैदान
गूंज
रहा
था।
अभी
तक
उनके
भगवान
का
वहाँ
पर
अवतरण
नहीं
हुआ
था
अत:
टाइम
पास
करने
के
लिये
वे
उसकी
तस्वीरों
को
नमन
कर
रहे
थे।
लगभग
सभी
के
हाथों
मे
रामू
उर्फ
सम्राट
की
तस्वीरें
पायी
जाती
थीं।
फिर
उन्होंने
देखा
आसमान
से
एक
सिंहासन
उतर
रहा
है।
और
उस
सिंहासन
पर
रामू
बना
सम्राट
विराजमान
था।
पब्लिक
की
जय
जयकारों
की
आवाज़ें
और
तेज़
हो
गयीं।
सम्राट
का
सिंहासन
चबूतरे
पर
उतर
गया।
और
वह
शान
से
सामने
आकर
पब्लिक
को
दोनों
हाथ
उठाकर
शांत
करने
लगा।
पब्लिक
उसके
प्रवचन
को
सुनने
के
लिये
पूरी
तरह
शांत
हो
गयी।
रामू
बने
सम्राट
ने
कहना
शुरू
किया,
''मेरे
भक्तों,
तुमने
मुझे
ईश्वर
मान
लिया
है।
अत:
तुम्हें
मैं
इसका
पुरस्कार
अवश्य
दूंगा।
अभी
और
इसी
समय।"
''भगवान,
लेकिन
मैंने
तो
सुना
है
कि
ईश्वर
भक्तों
को
उनका
पुरस्कार
मरने
के
बाद
देते
हैं।"
एक
जिज्ञासू
भक्त
बोल
उठा।
''यह
उस
समय
होता
है
जब
ईश्वर
का
अवतरण
नहीं
होता।
अब
ईश्वर
का
अवतरण
हो
चुका
है
अत:
पुरस्कार
भी
अवतरित
होगा।"
''वह
पुरस्कार
किस
प्रकार
का
होगा
भगवान?"
एक
भक्त
ने
भाव
विह्वल
होकर
पूछा।
''अभी
थोड़ी
देर
में
यहाँ
पर
हीरे
मोतियों
की
बारिश
होगी।
और
वह
हीरे
मोती
केवल
मेरे
भक्तों
के
लिये
होंगे।"
सम्राट
की
बात
सुनकर
लोगों
की
नज़रें
फौरन
आसमान
की
ओर
उठ
गयीं।
कुछ
अक्लमंद
भक्तों
ने
अपने
सर
पर
कपड़े
व
बैग
भी
रख
लिये।
अगर
बड़े
हीरों
की
बारिश
हुई
तो
उनकी
खोपड़ी
फूट
भी
सकती
थी।
सम्राट
ने
अपना
हाथ
हवा
में
लहराया
मानो
वह
हीरे
मोतियों
की
बारिश
करने
के
लिये
कोई
मन्त्र
पढ़
रहा
हो।
लोगों
ने
देखा
कि
आसमान
में
चमकदार
बादल
छाने
लगे
थे।
शायद
यही
बादल
हीरे
मोतियों
से
भरे
थे।
फिर
थोड़ी
देर
बाद
बारिश
शुरू
हो
गयी।
लेकिन
यह
क्या?
इस
बारिश
में
हीरे
मोतियों
का
तो
कहीं
अता
पता
नहीं
था।
बल्कि
यह
गंदे
बदबूदार
पानी
की
बारिश
थी
जिसमें
साथ
साथ
मोटे
मोटे
कीड़े
भी
टपक
रहे
थे।
वहाँ
खलबली
मच
गयी।
लोग
बुरी
तरह
चीखने
लगे।
कुछ
महिलाएं
जो
सुबह
नाश्ते
में
अच्छी
तरह
खा
पीकर
आयी
थीं
वह
वहीं
उगलने
लगीं।
''भगवान
ये
सब
क्या
है?"
कुछ
भक्तों
ने
चीखकर
पूछा।
लेकिन
भगवान
खुद
ही
बदहवास
हो
चुके
थे।
ये
माजरा
उनकी
समझ
से
भी
बाहर
था।
रामू
बने
सम्राट
के
सामने
चीख
पुकार
मची
थी।
लोग
अपने
ऊपर
रेंगते
कीड़ों
को
गिनगिनाते
हुए
फेंक
रहे
थे
और
किसी
आड़
में
जाने
की
कोशिश
में
भाग
रहे
थे।
लेकिन
उस
मैदान
में
किसी
आड़
का
दूर
दूर
तक
पता
नहीं
था।
''भगवान
..
भगवान!
हमें
इन
बलाओं
से
बचाईये
।"
लोग
हाथ
जोड़
जोड़कर
विनती
कर
रहे
थे।
फिर
रामू
बने
सम्राट
ने
चीखकर
कहा,
''आप
लोग
शांत
रहें।
शैतान
ने
मेरे
काम
में
रुकावट
डाली
है।
ये
मुसीबत
शैतान
की
लायी
हुई
है।
उससे
निपट
कर
मैं
अभी
वापस
आता
हूं।
वह
फौरन
अपने
सिंहासन
पर
सवार
हुआ
और
वहाँ
से
रफूचक्कर
हो
गया।
मैदान
में
पहले
की
तरह
अफरातफरी
मची
थी।
-------
अपने
सिंहासन
पर
सवार
सम्राट
यान
में
दाखिल
हुआ
और
उसके
साथी
उसके
अभिवादन
में
खड़े
हो
गये।
सम्राट
जल्दी
से
यान
से
नीचे
उतरा।
''क्या
बात
है
सम्राट?"
उसे
यूं
हड़बड़ी
में
देखकर
डोव
ने
पूछा।
''कुछ
गड़बड़
हुई
है।
मैंने
एम-स्पेस
द्वारा
हीरे
मोतियों
की
बारिश
के
लिये
समीकरण
सेट
की
थी
लेकिन
वहाँ
से
कीचड़
और
कीड़ों
की
बारिश
होने
लगी।"
''क्या
ऐसा
कैसे
हो
सकता
है?"
सिलवासा
हैरत
से
बोला।
''कहीं
एम-स्पेस
में
कोई
खराबी
तो
नहीं
आ
गयी?"
रोमियो
ने
विचार
व्यक्त
किया।
''या
तो
किसी
ने
समीकरण
को
बदल
दिया
है।"
सम्राट
ने
अंदाज़ा
लगाया।
''लेकिन
ऐसा
कौन
कर
सकता
है?"
रोमियो
ने
कहा।
''ये
मैंने
किया
है।"
वहाँ
पर
एक
आवाज़
गूंजी
और
सब
की
नज़रें
यान
की
स्क्रीन
पर
उठ
गयीं
जहाँ
बन्दर
के
शरीर
में
रामू
नज़र
आ
रहा
था।
''तुम?"
सम्राट
ज़ोरों
से
चौंका।
रामू
को
स्क्रीन
पर
देखकर
सभी
के
चेहरों
पर
हैरत
के
आसार
नज़र
आने
लगे।
''हाँ।
मैं
जिसको
तुम
लोगों
ने
एम-स्पेस
के
चक्रव्यूह
में
फंसा
दिया
था।
लेकिन
मैं
वहाँ
से
बाहर
आ
चुका
हूं।"
''नहीं।
ये
असंभव
है।
पृथ्वी
का
कोई
मानव
उस
चक्रव्यूह
को
पार
ही
नहीं
कर
सकता।"
सम्राट
बेयकीनी
से
बोला।
''तुम
लोगों
ने
पृथ्वीवासियों
की
क्षमता
के
बारे
में
गलत
अनुमान
लगाया
था।"
वे
लोग
एक
बार
फिर
उछल
पड़े
क्योंकि
अब
वह
बूढ़ा
स्क्रीन
पर
दिखाई
दे
रहा
था
जो
एम-स्पेस
का
क्रियेटर
था।
वह
कह
रहा
था,
''इस
बच्चे
ने
न
केवल
तुम्हारे
चक्रव्यूह
को
भेद
दिया
बल्कि
कण्ट्रोल
रूम
तक
पहुंचकर
मुझे
भी
आज़ाद
कर
दिया।
और
अब
तुम
लोग
अपनी
सज़ाओं
को
भुगतने
के
लिये
मेरे
पास
आने
वाले
हो।"
''नहीं!"
वे
लोग
एक
साथ
चीखे
लेकिन
उसी
समय
लाल
रंग
की
किरणें
उनके
पूरे
यान
में
बिखर
गयीं
और
उन
किरणों
के
बीच
वे
सभी
गायब
हो
गये।
 
 
 
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