ई-लव्ह ( E-Love) – 10
ई-लव्ह
(
E-Love) – 10
पुलिसकी
एक गाडी आकर एक सायबर कॅफेके
सामने रुकी.
गाडीसे
एक इन्स्पेक्टर चार पाच
हवालदारोंको साथमें लेकर
सायबर कॅफेकी तरफ चलने लगा.
वे
हवालदार उसके अगले आदेशकी
राह देखते हूए उसके पिछे पिछे
चलने लगे.
इन्स्पेक्टर
सायबर कॅफेमें घूस गया और उसके
पिछे वे चार हवालदारभी कॅफेमें
घुस गए.
पहले
वे रिसेप्शन काऊंटरपर रुके.
रिसेप्शन
काऊंटरपर बैठा स्टाफ एकदम
इतने पुलिसको देखकर हडबडाकर
उठ खडा हूवा.
'' यस सर... '' उस स्टाफके मुंहसे मुश्कीलसे निकला.
इन्स्पेक्टरने उससे कुछ ना बोलते हूए उसके सामने रखा लॉग रजिस्टर उठाया और उसमें वह कुछ खोजनेकी कोशीश करने लगा.
'' क्या हुवा साब?'' वह स्टाफ फिरसे हिम्मत करके बोला.
इन्स्पेक्टरने गुस्सेसे सिर्फ उसकी तरफ देखा, वैसे वह सहम गया और चुप होगया. इन्स्पेक्टर लॉगबुकमें एक एक एन्ट्री ठिकसे देखने लगा. एक जगह इन्स्पेक्टरकी रजीस्टरपर दौडती उंगली रुक गई और आंखोकी पुतलीयांभी स्थिर हो गई. उस एन्ट्रीमें नाम के रकानेमें 'विवेक सरकार' ऐसा लिखा हुवा था. इन्स्पेक्टर मन ही मन मुस्कुराया. उसे शायद ब्लॅकमेलरने सब सावधानी बरतनेके बावजुद वह अब पकडा जाने वाला है इस बातकी हंसी आ रही होगी. इन्स्पेक्टर उस एन्ट्रीके सामने दी सारी जानकारी पढते हूए बोला,
'' सतरा नंबर किधर है ?''
'' आवो मेरे साथ... मै तुम्हे उधर ले जाता हूं '' वह स्टाफ इन्स्पेक्टरको एक तरफ ले जाते हुए बोला. वह सायबर कॅफेका स्टाफ आगे आगे और इन्स्पेक्टर अपने साथीयोंके साथ उसके पिछे पिछे चल रहे थे.
चलते हूए एक जगह रुककर उस स्टाफने एक बंद कॅबिनका दरवाजा धकेलकर खोला. सब पुलिस अब गुनाहगारको पकडनेके तैयारीमें थे. लेकिन कॅबिन खोलतेही जब उन्होने कॅबिनके अंदर देखा, उनके चेहरे खुलेकी खुलेही रह गए. क्योंकी कॅबिन खाली थी. कॅबिनमें कॉम्प्यूटर शुरु था लेकिन कॅबिनमें कोई नही था. इन्स्पेक्टरने चारो हवालदारोंको कॅफेमें चारो तरफ उस गुनाहगारको ढुंढनेके लिए भेजा.
इन्स्पेक्टर और चारो हवालदारोंने काफी समय तक सारा कॅफे और कॅफेके आसपासका इलाका छान मारा . लेकिन कुछभी हाथ नही लगा. गुनाहगार अब उनके कब्जेमें आनेवाला नही है इसकी तसल्ली होतेही इन्स्पेक्टरने मोबाईल लगाया,
'' सर आय थींक वुई वेअर लेट बाय फ्यू सेकंड्स ... हि हॅज एस्केप्ड... आय ऍम सॉरी... हम उसे पकड नही पाए ''
इन्स्पेक्टर कंवलजीत मोबाईलपर बोल रहे थे और उनके आसपास अंजली, शरवरी और वे दो कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टस बडी आशासे क्या हुवा यह सुननेका प्रयास कर रहे थे.
'' शिट ... एस्केप्ड... '' इन्स्पेक्टर झुंझलाए.
और कुछ पल कुछतो सोचनेजैसा करनेके बाद वह मोबाईलपर बोले,
'' अब एक काम करो ... वहांसे उसके फिंगर प्रिट्स लो ... जिस कॉम्प्यूटरपर वह बैठा था उसके फोटोग्राफ्स लो ... ऍन्ड सी द हिस्ट्री लॉग ऑफ द कॉम्प्यूटर''
'' यस सर '' उधरसे जवाब आया.
इन्सपेक्टरने मोबाईल डिस्कनेक्ट किया और निराशासे अंजलीकी तरफ देखते हूए उसे किस तरह कहां जाए यह सोचने लगे.
'' द ब्लडी बास्टर्ड हॅज एस्केप्ड...'' उन्होने कहा.
लेकिन उनके बातचित और हावभावसे कमरेमें उपस्थित सारे लोग यह बात पहलेही समझ चुके थे.
जंगलमें सब तरफ सुखे पत्ते फैले हूए थे. उन सुखे पत्तोकों रौंदते हूए एक काले शिशे चढाई हूई कार धीरे धीरे उस जंगलसे गुजरने लगी. वह कार जब जंगलसे गुजर रही थी तब उन सुखे पत्तोंके रौंदनेसे एक अजिबसी आवाज उस जंगलके शांतीमे बाधा डाल रही थी. आखिर एक पेढके पास वह कार रुक गई. उस कारके ड्रायव्हर सिटवाला शिशा धीरे धीरे निचे खिसकने लगा और अब वहां ड्रायव्हीग सिटपर बैठी हुई काला चष्मा लगाई हूई अंजली दिखने लगी. उसने एक पेढपर लगाई लाल निशानी देखी और उसने बगलके सिटपर रखी एक ब्रिफकेस उठाकर खिडकीसे उस निशान लगाए पेढकी तरफ फेंक दी. ब्रिफकेसका 'धप्प' ऐसा आवाज आ गया. उसने फिरसे अपनी पैनी नजर चारो तरफ घुमाई और अपनी कार स्टार्ट कर वह वहांसे चली गई.
जंगलसे बाहर निकलकर अंजलीकी कार अब प्रमुख रस्तेपर आ गई थी. तभी अंजलीका मोबाईल बजा.
अंजलीने डिस्प्ले ना देखते हूएही वह अटेंड किया, '' हॅलो...''
'' हॅलो... मै इन्स्पेक्टर कंवलजीत बोल रहा हूं ...'' उधरसे आवाज आया.
'' यस अंकल..''
'' पैसे कब और कहां भेजने है इसके बारेमें ब्लॅकमेलरकी मेल तुम्हे आईही होगी '' इन्स्पेक्टर कंवलजीतने पुछा.
'' हां आई थी .. सच कहूं तो मै अब वहां पैसे पहूंचाकर वापसही आ रही हूं '' अंजलीने कहा.
'' व्हॉट... '' इन्स्पेक्टरके स्वरमें आश्चर्य स्पष्ट झलक रहा था.
''आय जस्ट कांन्ट बिलीव्ह धीस... तुमने मुझे बताया नही ... हम जरुर कुछ कर सकते थे. '' इन्स्पेक्टरने आगे कहा.
'' नही अंकल अब यहां मुझे पुलिसका शामिल होना नही चाहिए था . ... एक बार तो पुलिस पुरी तरहसे नाकामयाब रही है ... यहां मै चान्स लेना नही चाहती थी ... और मुझे चिंता सिर्फ विवेककी है ... पैसे जानेका अफसोस मुझे नही ... बस ब्लकमेलरको पैसे मिलनेके बाद वह विवेकको छोड देगा ... और पुरा मसलाही खत्म हो जाएगा '' अंजलीने कहा.
'' मै प्रार्थाना करता हूं की तूम जैसा सोचती हो... सब वैसाही हो ... लेकिन मुझे चिंता होती है तो बस इस बातकी की अगर वैसा नही हुवा तो ?'' इन्स्पेक्टरने कहा.
'' मतलब ?'' अंजलीने पुछा.
'' मतलब ... तुमने पैसे देकरभी उसने अगर विवेकको नही छोडा तो ?'' इन्स्पेक्टरने अपना डर जाहिर किया.
अंजली एकदम सोचमें पड गई.
अतूल और अलेक्स उस काले ब्रिफकेसके सामने बैठे थे. उनके चेहरेपर खुशी झलक रही थी. आखिर अतूलने अपने आपको ना रोक पाकर वह बॅग खोली. दोनो आंखे फाडकर उन पैसोंकी तरफ देख रहे थे. अतूलने उस बॅगसे एक पैसोंका बंडल उठाया, अपने नाकके पास लिया और वह उस बंडलसे अपनी उंगली फेरते हूए उस नोटोंकी खुशबु लेने लगा.
'' देख तो कितनी अच्छी खुशबु आ रही है ... '' अतूलने कहा.
अलेक्सनेभी एक बंडल उठाकर उसकी खुशबु लेते हुए वह बोला,
'' और देखोतो अपने मेहनतके कमाईके पैसेकी खुशबु कुछ औरही आती है ... नही?''
दोनोंने हंसते हूए एक दुसरेकी जोरसे ताली ली.
'' इतने सारे पैसे वहभी एकसाथ... मै तो पहली बार देख रहा हूं '' अलेक्सने कहा.
दोनों उस बैगमें हाथ डालकर सारे बंडल्स उलट पुलटकर देखने लगे.
'' नोटोंके बंडल्स देखते हूए अलेक्स बिचमेही रुककर बोला, '' अब उस पंटरका क्या करना है ... उसे छोड देना है ? ''
'' छोड देना है ? ... कहीं तुम पागल तो नही हूए ? ... अरे अब तो शुरवात हूई है ... मुर्गीने अंडे देनेकी अबतो शुरवात हुई है '' अतूल बिभत्स हास्य धारण करते हूए बोला.
अंजली अपने कुर्सीपर बैठकर कुछ ऑफीशियल कागजाद उलट पुलटकर देख रही थी और उसके बगलमेंही शरवरी कॉम्प्यूटरपर बैठकर कुछ ऑफीशियल काम कर रही थी. तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा. अंजलीने पलटकर मॉनिटरकी तरफ देखा.
'' उसकाही मेसेज है '' शरवरीने बताया.
अंजली उठकर कॉम्प्यूटरके पास गई. उसके आतेही कॉम्प्यूटरके सामनेसे उठकर उसने अंजलीको जगह दे दी.
'' जा जल्दी जा ' अंजलीने कॉम्प्यूटरके सामने बैठते हूए शरवरीसे कहा.
शरवरी तुरंत वहांसे निकलकर कॅबिनके बाहर चली गई. अंजलीके कॅबिनसे बाहर आकर शरवरी सीधे बगलके रुममें चली गई. वहां इन्स्पेक्टर कंवलजित और वे दोनो कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टस एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठे थे. शरवरी जल्दी जल्दी उनके पास गई. उसकी आहट होतेही तिनो पलटकर उसकी तरफ मुडकर देखने लगे.
'' जैसे आपने बोला था वैसाही हो गया ... ब्लॅकमेलरका फिरसे मेसेज आ गया है ... '' शरवरी जल्दी जल्दी आनेसे सांस फुले स्थितीमें बोली.
वे दोनों कॉम्प्यूटर एक्सपर्टस कुछ ना बोलते हूए अपने काममें लग गए.
'' सुरज... कम ऑन... इस बार किसीभी हालमें साला छुटना नही चाहिए.... ''
'' सर ऍज बिफोर दिस टाईम ऑल्सो हि इज कॉलींग फ्रॉम मुंबई... और उसका आय पी ऍड्रेस देखिए ...'' एक्सपर्टने सॉफ्टवेअरके कुछ रिपोर्ट्स देखते हूए कहा.
वह बोलनेके पहलेही इन्सपेक्टरने मुंबईको इन्स्पेक्टर राजको फोन लगाया,
'' हां राज ... फिरसे हमने ब्लॅकमेलरको ट्रेस किया है ... अबभी वह चटींगही कर रहा है ... तुम उसकी एक्सॅक्ट लोकेशनका पता करो ... ऍन्ड सी दॅट दिस टाईम द बास्टर्ड शुड नॉट एस्केप... और हां उसका आय पी ऍड्रेस लिख लो ...''
अतूल सायबर कॅफेमें एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठकर चॅटींगमें उलझा हुवा था.
'' मिस अंजली... हाय कैसी हो ?'' उसने मेसेज टाईप कर भेजा.
काफी समय हो गया था फिरभी उसका जवाब नही आया था. लेकिन उसका नामतो चॅटींगमें दिख रहा था.
कॉम्प्यूटर खुला छोडकर कही गई तो नही साली...
या फिर अपना अचानक मेसेज आनेसे गडबडा गई होगी ...
उसने सोचा. अबभी उसका मेसेज आया नही था. गुस्सेसे उसका चेहरा लाल होने लगा था. तभी उधरसे मेसेज आ गया , '' ठिक हूं ''
तब कहा अतूलने चैनकी सांस ली. वह अब अगला मेसेज, जो उसके लिए बहुत महत्वपुर्ण था, टाईप करने लगा,
'' तुम्हे फिरसे तकलिफ देते हूए मुझे बुरा लग रहा है ... लेकिन क्या करे? ... पैसा यह साली चिजही ऐसी है ... कितनेभी संभलकर इस्तमाल करो तो भी खतम हो जाती है ... मुझे इस बार 20 लाख रुपएकी सख्त जरुरत है ...''
अतूलने टाईप कर मेसेज भेजभी दिया.
'' अभी तो तुम्हे 50 लाख रुपए दिए थे मैने ... अब मेरे पास पैसे नही है ...'' उधरसे अंजलीका दोटूक जवाब आया.
'' बस यह आखरी बार ... क्योंकी यह पैसे लेकर मै परदेस जानेकी सोच रहा हूं '' विवेकने कुछ सोचकर टाईप किया और 'सेंड' बटनपर क्लिक किया.
'' तुम परदेस जावो ... या और कही जावो ... मुझे उससे कुछ लेना देना नही है ... देखो ... मेरे पास कोई पैसोका पेढ तो है नही ... '' अंजलीका मेसेज आया.
अतुलको फिरसे गुस्सा आ रहा था, लेकिन अपने गुस्सेपर काबू करते हूए उसने टाईप किया.
'' ठिक है ... तुम्हे अब मुझे कमसे कम 10 लाख रुपए तो भी देने पडेंगे ... पैसे कब कहा और कैसे पहूंचाने है वह मै तुम्हे मेल कर सब बता दुंगा ...''
उसने 'सेंड' बटनपर क्लिक कर मेसेज भेज दिया, और चॅटींग सेशनसे लॉग आऊटभी कर दिया. वह अंजलीसे जादा बहस नही करना चाहता था.
अब अतुल मेलबॉक्स खोल रहा था, तभी उसका ध्यान यूंही खिडकीके बाहर गया और वह भौंचक्का होकर उधर देखने लगा. बाहर एक पुलिस इन्स्पेक्टर और, और एक दो पुलिस तेजीसे सायबर कॅफेके तरफही आ रहे थे. अब अतूलके हरकतोंमे तेजी आ गई. उसने झटसे अपना कॉम्प्यूटर ऑफ किया और काऊंटरपर पैसे देकर वह सायबर कॅफेसे बाहर निकल गया. वह बाहर निकल गया उसके बाद कुछ पलही गुजर गए होंगे जब जल्दी जल्दी पुलिस इन्स्पेक्टर और उसके साथी सायबर कॅफेमें घुस गए. सायबर कॅफेमें प्रवेश करतेही इन्सपेक्टरने ऐलान किया,
'' नो बडी वील गो आऊट ऑफ दी कॅफे... ऑल ऑफ यू स्टे व्हेअर यू आर... नो बडी वील मुव्ह ''
अंजलीके कॅबिनके बगलके रुममें दो कॉम्प्यूटर एक्सपर्टस, अंजली और शरवरी बडी आस लगाए मोबाईलपर बोल रहे इन्स्पेक्टर कंवलजितकी तरफ देख रहे थे.
इन्स्पेक्टरने मोबाईल अपने कानसे हटाया और मायूसीसे अंजलीकी तरफ देखते हूए कहा,
'' द बास्टर्ड इस मॅनेज्ड टू एस्केप अगेन...''
अंजली और शरवरी ने एकदुसरेकी तरफ देखा, उनके खिले हूए चेहरे मायूस हो गए थे.
continued
credit
- hindinovels.net, Google
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