ई-लव्ह ( E-Love) -15
ई-लव्ह
(
E-Love) -15
''
नही
इन्स्पेक्टर पहले मै पासवर्ड
बतानेवाला हूं ...क्यो
ठिक है ना ?''
'' बोलो जल्दी ...'' इन्स्पेक्टर
'' हं यह लो - इलव... ऑल स्मॉल... नो स्पेस इन बिट्विन..''
hrs... 0mins... 3 secs.
सामने कॉम्प्यूटरपर बैठे एक कर्मचारीने तुरंत पासवर्ड टाईप किया.
hrs... 0mins... 1 secs.
और एंटर दबाया.
मॉनिटरवर चल रहा काऊंटर रुक गया और मेसेज आ गया, '' password correct... recovery started''
सब लोगोंने अपने इर्द गिर्द देखा. सभी कॉम्प्यूटरके मॉनिटरपर वही मेसेज आया था - '' password correct... recovery started''
हॉलमें उपस्थित सब लोग, सिर्फ एक अंजलीको छोडकर इतने खुश हो गए की वे तालियां बजाने लगे. मानो कोई यान आसमानमें किसी ग्रह पर सही सलामत उतरनेमें कामयाब हुवा हो. लेकिन अचानक इन्स्पेक्टरके हाथमें पकडे हूए शुरु मोबाईलसे आए बंदूकके आवाजने, सब लोगोंकी तालियां एकदम बंद हो गई और हॉलमें श्मशानवत सन्नाटा छा गया. अंजली तो इतनी देरसे उस पर पड रहा तनाव सह नही पाकर और बंदूकका आवाज सुनकर विवेकका क्या हो गया होगा इसके कल्पनामात्रसे बेहोश होकर निचे गिर गई.
एक तरफ अतूल मोबाईलपर बोल रहा था और दुसरे हाथमें उसने विवेकपर बंदूक तानी हूई थी. आखिर उसने लगभग 5 सेकंद बचे होगे तब इन्स्पेक्टरको पासवर्ड बताया था - '' हं यह लो पासवर्ड - इलव्ह... ऑल स्मॉल... नो स्पेस इन बिट्विन..''
अतूलने अब शुरु मोबाईल फिरसे गाडीके बोनेटपर रख दिया. और वह उस विवेककी तरफ ताने हूए बंदूकका ट्रीगर दबाने लगा.
'' रुको ... तुम बहुत बडी भूल कर रहे हो ...'' विवेक किसी तरह बोला.
'' भूल ... इसके बाद तुम्हारी वजहसे ... सिर्फ तुम्हारे हठकी वजहसे ... मुझे जिस अंडरवर्डमें जाना पड रहा है ... उसके लिए मुझे एक योग्यता हासील करनी पडेगी ... पुछो कौनसी ? ... कम से कम एक खुन... और वह योग्यता अब मै हासिल करनेवाला हूं '' अतूलने कहा और उसने झटसे बंदूकका ट्रीगर दबाया.
एक बडी सी आवाज हो गई और बगल में खडे गाडी के खिडकी के कांच पर खुन की बडी बडी छिंटे उड गई थी.
'' बोलो जल्दी ...'' इन्स्पेक्टर
'' हं यह लो - इलव... ऑल स्मॉल... नो स्पेस इन बिट्विन..''
hrs... 0mins... 3 secs.
सामने कॉम्प्यूटरपर बैठे एक कर्मचारीने तुरंत पासवर्ड टाईप किया.
hrs... 0mins... 1 secs.
और एंटर दबाया.
मॉनिटरवर चल रहा काऊंटर रुक गया और मेसेज आ गया, '' password correct... recovery started''
सब लोगोंने अपने इर्द गिर्द देखा. सभी कॉम्प्यूटरके मॉनिटरपर वही मेसेज आया था - '' password correct... recovery started''
हॉलमें उपस्थित सब लोग, सिर्फ एक अंजलीको छोडकर इतने खुश हो गए की वे तालियां बजाने लगे. मानो कोई यान आसमानमें किसी ग्रह पर सही सलामत उतरनेमें कामयाब हुवा हो. लेकिन अचानक इन्स्पेक्टरके हाथमें पकडे हूए शुरु मोबाईलसे आए बंदूकके आवाजने, सब लोगोंकी तालियां एकदम बंद हो गई और हॉलमें श्मशानवत सन्नाटा छा गया. अंजली तो इतनी देरसे उस पर पड रहा तनाव सह नही पाकर और बंदूकका आवाज सुनकर विवेकका क्या हो गया होगा इसके कल्पनामात्रसे बेहोश होकर निचे गिर गई.
एक तरफ अतूल मोबाईलपर बोल रहा था और दुसरे हाथमें उसने विवेकपर बंदूक तानी हूई थी. आखिर उसने लगभग 5 सेकंद बचे होगे तब इन्स्पेक्टरको पासवर्ड बताया था - '' हं यह लो पासवर्ड - इलव्ह... ऑल स्मॉल... नो स्पेस इन बिट्विन..''
अतूलने अब शुरु मोबाईल फिरसे गाडीके बोनेटपर रख दिया. और वह उस विवेककी तरफ ताने हूए बंदूकका ट्रीगर दबाने लगा.
'' रुको ... तुम बहुत बडी भूल कर रहे हो ...'' विवेक किसी तरह बोला.
'' भूल ... इसके बाद तुम्हारी वजहसे ... सिर्फ तुम्हारे हठकी वजहसे ... मुझे जिस अंडरवर्डमें जाना पड रहा है ... उसके लिए मुझे एक योग्यता हासील करनी पडेगी ... पुछो कौनसी ? ... कम से कम एक खुन... और वह योग्यता अब मै हासिल करनेवाला हूं '' अतूलने कहा और उसने झटसे बंदूकका ट्रीगर दबाया.
एक बडी सी आवाज हो गई और बगल में खडे गाडी के खिडकी के कांच पर खुन की बडी बडी छिंटे उड गई थी.
मोबाईलसे बंदूककी आवाज सुननेके बाद अंजली चक्कर आकर निचे गिर गई. कंपनीके हॉलका खुशीका माहौल एकदमसे श्मशानवत सन्नाटेमें बदल गया. इन्स्पेक्टरने तुरंत एक दो लोगोंकी सहायता लेकर अंजलीको उठाया. किसीने झटसे फोन कर ऍम्बूलन्स बुलाई.
अंजली बेडपर पडी हुई थी. उसके पास डॉक्टर खडे थे और उसका बीपी चेक कर रहे थे. इन्स्पेक्टर, भाटीयाजी, शरवरी और, और दो चार लोग उसके आसपास खडे थे.
'' डॉक्टर कैसी है उसकी तबियत ?'' शरवरीने पुछा.
'' इनके उपर अचानक बहुत बडा आघात हुवा है जो की वे सह नही पाई ... ऐसे वक्त थोडा वक्त बितने देना बहुत जरुरी होता है ... फिलहाल मैने इनको निंदका इन्जेक्शन दिया है ... तबतक आप लोग बाहर बैठीएगा ... लेकिन उन्हे होश आए बराबर उनके पास कोई होना बहुत जरुरी है ... इनके करीबी कौन है ?'' डॉक्टरने पुछा.
'' मै '' शरवरीने जवाब दिया.
'' आप कौन ... इनकी बहन ?''
'' नही मै इनकी दोस्त हूं '' शरवरीने कहा.
'' दुसरा कोई नही है? ... जैसे मां बाप भाई बहन.''
शरवरीने उलझनमें इधर उधर देखा तो इन्स्पेक्टरने कहा, '' डॉक्टर उनका नजदिकी ऐसा कोई नही है ''
'' अच्छा ठिक है ... ऐसा करो आप इनके पास रुको '' डॉक्टरने शरवरीसे कहा.
वैसेभी शरवरीका वहांसे हिलनेके लिए मन नही कर रहा था. बाकी सब लोग कमरेसे बाहर चले गए और शरवरी वही उसके सिरहाने बैठी रही. वह भलेही उसकी बॉस रही हो लेकिन उसने उसे कभी बॉसकी तरह ट्रीट नही किया था. और असलमें अंजलीने उसे एक दोस्तके हैसियतसेही वह पीए का जॉब जॉइन करनेके लिए कहा था. शरवरी उसके सिरहाने बैठकर उसे होश आनेका इंतजार करने लगी.
अंजलीको इंजक्शन देकर लगभग दोन-तिन घंटे हो गए होंगे. उसके रुमके बाहर अबभी इन्स्पेक्टर, भाटीयाजी और बाकी काफी लोग उसे होश आनेकी राह देख रहे थे. होशमें आनेके बाद उसकी दिमागी हालत कैसी रहती है इसपर काफी चिजे निर्भर करती थी. असलमें उसे मां बाप ऐसे एकदम करीबी कोई ना होनेसे उसने विवेकपर अपनी पुरी जिंदगी निछावर की थी. और उसका उसे ऐसे बिचमें छोडकर चला जाना उसके लिए बहुत बडा आघात था. तभी एक नर्स जल्दी जल्दी बाहर आ गई.
'' इन्स्पेक्टर उन्हे होश आ गया है '' नर्सने कहा और वह फिरसे अंदर चली गई.
सारे लोग अंदर जानेके लिए हरकतमें आ गए.
अंदर अंजली शरवरीके कंधेपर सर रखकर जोर जोरसे रो रही थी. और शरवरी उसके पिठपर थपथपाकर और सरपर हाथ फेरते हूए उसे जितना हो सके उतना धीरज बंधानेकी कोशीश कर रही थी. दरअसल पहले वह बुरी खबर सुननेके बाद उसे अपनी भावनाए व्यक्त करनेके लिए मौका नही मिला था क्योंकी वह अपनी भावनाओंको व्यक्त करनेके पहलेही बेहोश हो गई थी. कमरेंमे वह हृदयविदारक दृष्य देखकर इन्स्पेक्टर उसे धीरज बंधानेके लिए आगे बढने लगे, तब बगलमें खडे डॉक्टरने उन्हे इशारेसेही मना कर दिया. डॉक्टरकाभी सही था क्योंकी उसका सारा दर्द बाहर आना बहुत जरुरी था. सब लोग, भलेही उन्हे बहुत दुख हो रहा था फिरभी चुप्पी साधकर वह दृष्य देखते रहे.
तभी कमरेके बाहर, काफी दुरसे, शायद अस्पतालके प्रमुख द्वारसे आवाज आया, '' अंजली...''
वह आवाज सुनकर अंजलीही नही तो वहां उपस्थित सारे लोगोंको मानो कुछ आभास होगया है ऐसा लगा. अंजलीका रोना रुक गया था. सारे लोग स्तब्धतासे खडे होकर दरवाजेकी तरफ देख रहे थे.
'' अंजली '' फिरसे आवाज आ गया.
इसबार काफी नजदिकसे आए जैसा. लगभग दरवाजेकी बाहरसे ही. अब अंजली उठकर खडी हो गई और दरवाजेकी तरफ जाने लगी. कमरेमें उपस्थित बाकी लोगभी दरवाजेकी तरफ जाने लगे. अंजली दरवाजे तक पहूंच गई होगी जब कमरेका दरवाजा खुला और दरवाजेमें विवेक खडा था. उसके सारे कपडे और सारा शरीर खुनसे सना हुवा था. दोनों आवेशके साथ एक दुसरेकी तरफ दौडे और उन्होने एक दुसरेको बाहोंमें लिया.
अतूलने इन्स्पेक्टरको पासवर्ड बतानेके बाद शुरु मोबाईल गाडीके बोनेटपर रखा. और वह उस विवेककी तरफ ताने हूए बंदूकका ट्रीगर दबाने लगा.
'' रुको ... तुम बहुत बडी गलती कर रहे हो ...'' विवेक किसी तरहसे बोला.
'' भूल ... इसके बाद तुम्हारी वजहसे ... सिर्फ तुम्हारे हठकी वजहसे ... मुझे जिस अंडरवर्डमें जाना पड रहा है ... उसके लिए मुझे एक योग्यता हासील करनी पडेगी ... पुछो कौनसी ? ... कम से कम एक खुन मेरे नामपर होनेकी... और वह योग्यता अब मै हासिल करनेवाला हूं '' अतूलने कहा और उसने झटसे बंदूकका ट्रीगर दबाया.
एक बडीसी आवाज हो गई और अतूलके हाथमें पकडे बंदूकका किसी बॉंम्बकी तरह विस्फोट हो गया.
अतुलके शरीरके टूकडे टूकडे होकर चारो ओर उड गए थे. विवेक अपना बचाव करते हूए पिछेकी तरफ लपक पडा था. फिरभी खुनकी छिंटे अतूलके शरीरपर उड गई थी और उसका पुरा शरीर और कपडे खुनसे सन गए थे. पासमें खडे कारके शिशेभी अतूलके खुनसे सन गए थे.
थोडी देर बाद विवेक उठ खडा हुवा. उसने निचे गिरे हुए अतूलके शवपर अपनी नजर डाली.
फिरभी मैने उसे बतानेकी कोशीश की की वह बंदूक ना होकर बॉम्ब है ...
लेकिन वह मानाही नही ... उसमें मेरा क्या दोष...
विवेक मानो अपने आपको समझानेकी कोशीश कर रहा था.
आखिर क्या है ... की पराई नार ... और पराये हथीयारसे आदमीको बचना चाहिए...
विवेकके जहनमें आकर गया.
अंजली अपने ऑफीसमें अपने काममें व्यस्त थी. उसने हमेशाकी तरह आए बराबर कॉम्प्यूटर ऑन करके रखा था. तभी कॉम्प्यूटरपर चाटींगका बझर बजा. उसने मॉनिटरपर देखा. एक मेसेज था -
'' मिस अंजली ... 50 लाख रुपयोंका मेरे लिए इंतजाम करना वर्ना नतिजा तो तुम जानतीही हो ...'' अंजलीने वह मेसेज पढा और उसके रोंगटे खडे हो गए.
तभी विवेक और शरवरी उसके कॅबिनमें आ गए.
'' अंजली चलो आज हम पिक्चरको चलते है ...मॉर्निंग शो''
'' विवेक ... इधरतो देखो ... ब्लॅकमेलरका फिरसे मेसेज आ गया है'' अंजली उसका ध्यान मॉनिटरकी तरफ आकर्षीत करते हूए बोली.
विवेक कॉम्प्यूटरके पास जाकर देखने लगा. लेकिन शरवरी अपनी हंसी नही दबा सकी. वह जोरजोरसे हसने लगी.
'' ए क्या हुवा ?'' अंजली.
'' अरे वह मेसेज अभी अभी विवेकने बगलके कॅबिनसे भेजा है '' शरवरी हंसते हूए बोली.
'' लेकिन वह तो अभी अभी यहां आया है '' अंजली.
'' अरे नही ... बगलके कॅबिनसे वह मेसेज भेजकर तुरंत हम इधर आ गए.
'' यू नॉटी बॉय'' अंजली विवेकपर पेपरवेट उठाते हूए बोली.
और फिर पेपरवेट टेबलपर वापस रखते हूए वह उठ गई और उसके पास जाकर उसके छातीपर प्यारसे मारने लगी. विवेकने हल्केसे उसे अपने आगोशमें खिंच लिया.
(समाप्त)
credit
- hindinovels.net, Google
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