ई-लव्ह ( E-Love) – 03



-लव्ह ( E-Love) – 03


शरवरी अंजलीके कॅबिनमें कॉम्प्यूटरपर बैठी हूई थी. अंजली उसकी सुबहकी मिटींग निपटाकर उसके कॅबिनमें वापस आ गई. उसने घडी की तरफ देखा. लगभग दोपहरके बारा बज गए थे. कुर्सी पिछे खिंचकर वह अपने कुर्सीपर बैठ गई और कुर्सीपर पिछेकी ओर झुलते हूए अपनी थकावट दूर करनेका प्रयास करने लगी. शरवरीने एक बार अंजलीकी तरफ देखा और वह फिरसे अपने कॉप्म्यूटरके काममें व्यस्त हो गई.
''किसीकी कोई खास मेल ?'' अंजलीने शरवरीकी तरफ ना देखते हूए ही पुछा.
'' नही .. कोई खास नही... लेकिन एक उस 'टॉमबॉय' की मेल थी. '' शरवरीने कहा.
'' टॉमबॉय ... कुछ लोग बहुतही चिपकू होते है ... नही?'' अंजलीने कहा.
'' सही है ...'' शरवरीको अंजलीका इशारा समझ गया था.
क्योंकी अंजलीने पहले एकबार उसे उस टॉमबॉयके बारेमें बताया था.
'' और हां ... एक और किसी विवेककी मेल थी '' शरवरीने आगे कहा.
'' विवेक?... हां वही होगा जो कल चॅटींगपर मिला था.... मै बोलती हूं ना उसने क्या लिखा होगा.... तुम्हारी उम्र क्या है ?... तुम्हारा ऍड्रेस क्या है ?... मेरी उम्र फलां फलां है ... मेरा ऍड्रेस फलां फलां ... और मै फलां फलां काम करता हू... और धीरे धीरे वह अपने असली जातपर आएगा... इन आदमीयोंकी जातही ऐसी होती है ... लंपट ..बदमाश आणि चिपकू...''
'' तूम बोल रही हो वैसा उसने कुछभी लिखा नही है ...'' शरवरी बिचमेंही उसे टोकते हूए बोली.
'' नही?... तो फिर किसी कंपनीके प्रॉडक्टकी सिफारीश की होगी उसने... मतलब वह प्राडक्ट खरीद हम लेंगे  
वह उसका फौकटमें कमिशन खाएगा'' अंजलीने कहा.
'' नही वैसाभी उसने कुछ लिखा नही है .'' शरवरीने कहा.
'' फिर ?... फिर उसने क्या लिखा है ?'' अंजलीने उत्सुकतावश गर्दन घुमाकर शरवरीके तरफ देखते हूए पुछा.
'' उसने मेलमें कुछभी लिखा नही है .. उसने ब्लॅंक मेल भेजी है और निचे सिर्फ उसका नाम 'विवेक' ऐसा लिखा हुवा है '' शरवरीने कहा.
अंजली एकदम उठकर सिधी बैठ गई.
'' देखूं तो ..'' अंजली शरवरीकी तरफ मुडकर कॉम्प्यूटरकी तरफ देखते हूए बोली.
शरवरीने अंजलीके मेलबॉक्ससे विवेककी मेल क्लीक कर खोली. सचमुछ वह मेल ब्लॅंक थी.
'' अंजली तूम कुछभी कहो ... लडकेमें 'स्टाईल' है ... ऍटलिस्ट इतना पक्का है की वह बाकी लडकोसे जरा हटके है ...'' शरवरी अंजलीके दिलको टटोलनेकी कोशीश करते हूए बोली.
'' तूम जरा चूप बैठोगी ... और क्या लडका ... लडका लगा रखा है ... तुम्हे वह कौन ? कहाका? .. उसकी उम्र क्या है ?... कुछ पता भी है ?... वह कोई रंगीन मिजाजवाला, कोई खुसट बुढाभी हो सकता है ... तुम्हे पता हैही आजकल लोग इंटरनेटपर कैसे पर्सनलायझेशन करते है ...''
'' ... हां तुम सही कहती हो ... लेकिन चिंता मत करो ... ये लो मै अभी उसकी सायबर तहकिकात करती हूं'' शरवरी फटाफट कॉम्प्यूटरके किबोर्डकी कुछ बटन्स दबाती हुई बोली.
थोडीही देरमें कॉम्प्यूटरके मॉनीटरपर मानो एक रिपोर्ट आ गया.
'' यहां तो उसका नाम सिर्फ विवेक ऐसा लिखा हुवा है ... सरनेम लिखा नही है ... मुंबईका रहनेवाला है और पिएच डी कर रहा है ... उम्र है ...'' शरवरीने मानो किसी बातका क्लायमॅक्स खोलना हो ऐसा एक पॉज लिया.
अंजलीकीभी अब जिज्ञासा जागृत हुई थी और वह शरवरी उसकी उम्र क्या बताती है इसकी राह देखने लगी.
'' पिएचडी? ... मतलब जरुर कोई बुढ्ढा खुसट होना चाहिए ... मैने कहा था ना?''
'' और उसकी उम्र है 25 साल ...'' शरवरीने मानो क्लायमॅक्स खोला था.
'' तो नूर ए जन्नत मिस अंजली अब क्या किया जाए? शरवरी उसे छेडते हूए बोली.
अंजलीभी प्रयत्नपुर्वक आपना चेहरा भावनाविरहीत रखते हूए बोली, '' तो फिर? ... हमें उसका क्या करना है ?''
'' देने वाले अपना पैगाम देकर चले गए
करने वाले तो अपना इशारा कर चले गए
उधर बडा बुरा हाल है दिलके गलियारोंका
अब उन्हे इंतजार है बस आपके इशारोंका ''
'' वा वा क्या बात है ...'' शरवरी अपनेही शेरकी तारीफ करते हूए बोली, '' अब क्या करना है इस मेलका? ''
'' करना क्या है ... डिलीट कर दो '' अंजलीने कंधे उचकाते हूए बेफिक्र अंदाजमें कहा ... मतलब कमसे कम वैसे जताते हूए कहा.
'' डिलीट... नही इतना बडा सितम मत करो उसपर... एक काम करते है ... कोरे खत का जवाब कोरे खतसेही देते है ...''
शरवरीने फटाफट कॉम्प्यूटरके किबोर्डके कुछ बटन्स दबाए और उस ब्लॅंक मेलको ब्लॅंक रिप्लाय भेज दिया.
अंजलीने आज सुबह आए बराबर कुर्सीपर बैठकर कॉम्प्यूटर शुरु किया. कॉम्प्यूटर बुट होनेके बाद उसने चॅटींग विंडो ओपन किया और किसीका कोई ऑफलाईन मेसेज है क्या देखने लगी. किसीका भी ऑफलाईन मेसेज नही था. उसके चेहरेपर मायूसी छा गई लेकिन वह छिपाते हूए वह सामने टेबलपर रखे रिपोर्टस उलट उलट पुलटकर देखने लगी. उसके टेबलके सामने शरवरी बैठी थी. वह बडी गौरसे अंजलीकी एक एक हरकत देख रही थी और मुस्कुरा रही थी. रिपोर्ट देखते हूए अंजलीके यह बात ध्यानमें आगई तो झटसे उसने शरवरीकी तरफ एक कटाक्ष डाला.
'' क्या हूवा ... क्यो मुस्कुरा रही हो ?'' अंजलीने उसे पुछा.
शरवरीभी बडी चतूराईसे अपने चेहरेके भाव छिपाकर गंभीर मुद्रा धारण करती हूई बोली,
'' कहां... मै कहा मुस्कुरा रही हूं ?... ''
तभी अंजलीके कॉम्प्यूटरका बझर बजा. अंजलीने झटसे मुडकर अपने कॉम्प्यूटरके मॉनीटरकी तरफ देखा और फिरसे रिपोर्ट पढनेमें व्यस्त हो गई.
'' दो दिनसे मै देख रही हूं की जबभी चाटींगका बझर बजता है तुम सारे कामधाम छोडकर मॉनीटरकी तरफ देखती हो ... क्या किसीके मेसेजकी या मेलकी राह देख रही हो ? '' शरवरीने पुछा.
'' नहीतो ?'' अंजलीने कहा और फिरसे अपने टेबलपर रखे रिपोर्ट पढनेमें व्यस्त होगई, या कमसे कम वैसे जतानेकी कोशीश करने लगी. कॉम्प्यूटरका बझर फिरसे बजा. अंजलीने फिरसे छटसे मॉनीटरकी तरफ देखा और इस बार वह अपनी पहिएवाली कुर्सी झटकेसे घुमाकर कॉम्प्यूटरकी तरफ अपना रुख कर बैठ गई.
'' यह जरुर विवेकका मेसेज है '' शरवरी फिरसे उसे छेडते हूए बोली.
'' किस विवेकका ?'' अंजलीभी कुछ समझी नही ऐसा जताते हूए बोली.
'' किस विवेकका? ... वही जो उस दिन चॅटींगपर मिला था '' शरवरीभी उसे छोडनेके मुडमें नही थी.
'' यह तुम इतने यकिनके साथ कैसे कह सकती हो ?'' अंजलीने कॉम्प्यूटरपर काम करते हूए पुछा.
'' मॅडम आपके चेहरेकी लाली सब कुछ बता रही है '' शरवरी मुस्कुराते हूए बोली.
पहले तो अंजलीके चेहरेपर चोरी पकडने जैसे झेंपभरे भाव आ गए. लेकिन झटसे अपने आपको संभालते हूए वह शरवरीपर गुस्सा होते हूए बोली.
'' तूम जरा मेरा पिछा छोडोगी... कबसे मै देख रही हो मेरे पिछेही पडी हो... उधर बाहर देखो ऑफिसके कितने काम पेंडीग पडे हूए है.... वह जरा देखके आओ.. जाओ ..'' अंजलीने कहा.
अंजलीका इशारा समझकर शरवरी वहांसे उठ गई और मुस्कुराते हूए वहांसे चली गई.
शरवरी जानेके बाद अंजलीने झटसे कॉम्प्यूटर पर अभी अभी आया हूवा विवेकका मेसेज खोला.
अंजलीने कॉम्प्यूटरपर आया हुवा विवेकका चॅटींग मेसेज खोला तो सही, लेकिन खोलते वक्त उसका दिल जोर जोरसे धडक रहा था. उसे अपने इस बेचैन स्थितीपर खुदही आश्चर्य हो रहा था. उसने झटसे उसने भेजा हुवा मेसेज पढा -
'' हाय गुड मॉर्निंग ... हाऊ आर यू?'' उसके मेसेज विंडोमें लिखा था.
वह कही उसमें फसती तो नही जा रही है - इस बातकी उसने तस्सल्ली करते हूए बडी सावधानीसे जवाब टाईप किया -
'' फाईन...''
और अपने मनकी अधिरता वह भांप ना पाए इसलिए मनही मन सौ तक गिना और फिर काफी समय हो गया है इसकी तसल्ली करते हूए 'सेंड' बटनपर क्लीक किया.
'' कल मै बाहर गया था '' उधरसे तूरंत विवेकका मेसेज आ गया.
' तूम कल चॅटींगपर क्यो नही मिले ?' इस अंजलीके दिमागमें घुम रहे सवालका जवाब देकर उसने मानो उसके दिलका हाल जान लिया था ऐसा उसे लगा.
वह अपने मनको पढ तो नह सकता है? ...
अंजलीके मन मे आया.
'' अच्छा अच्छा '' उसने भी खबरदारी के तौरपर अपनी रुखी रुखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
'' और कुछ पुछोगी नही ?'' उसने पुछा.
वह उसका मेसेज आनेके बाद जवाब देनेमें जानबुझकर देरी लगा रही थी, लेकिन उसके मेसेजेस तुरंत, मानो मेसेज मिलनेके पहलेही टाईप किए हो ऐसे जल्दी जल्दी आ रहे थे.
'' तूमही पुछो '' उसने रिप्लाय भेजा.
उसे लडकी देखनेके लिए लडका आनेके बाद, एक अलग कमरेमें जाकर जैसे बाते करते है, ऐसा लग रहा था.
'' अरे हां उस दिन मैने तुम्हे ब्लॅंक मेल इसलिए भेजी थी की मुझे तुम्हारी कुछभी जानकारी नही... फिर क्या लिखता ?... लेकिन मेल भेजे बिनाभी रहा नही जा रहा था ... इसलिए भेज दी ब्लॅंक मेल..''
फिर उसनेही पहल करते हूए पुछा, '' अच्छा तुम क्या करती हो? ... मेरा मतलब पढाई या जॉब?''
'' मैने बी. . कॉम्प्यूटर किया हूवा है ... और जी. एच. इन्फॉरमॅटीक्स इस खुदके कंपनीकी मै फिलहाल मॅनेजींग डायरेक्टर हूं '' उसने मेसेज भेजा.
उसे पता था की चॅटींगमें पहलेही खुदकी सच जानकारी देना खतरनाक हो सकता है. फिरभी वह खुदको रोक नही सकी, मानो जानकारी टाइप कर रही उंगलीयोंपर उसका कोई कन्ट्रोल नही रहा था.
"" अरे बापरे!.. '' उधरसे विवेककी प्रतिक्रिया आ गई.
'' तुम्हे तुम्हारे उम्रके बारेमें पुछा तो गुस्सा तो नही आएगा ?... नही ... मतलब मैने कही पढा है की लडकियोंको उनके उम्रके बारेमें पुछना अच्छा नही लगता है. ... '' उसने उसे बडी खबरदारीके साथ सवाल पुछा.
उसने भेजा , '' 23 साल''
'' अरे यह तो मुझे पताही था... मैने तुम्हारे मेल आयडीसे मालूम किया था.... सच कहूं ? तूमने जब बताया की तूम मॅनेजींग डायरेक्टर हो ... तो मेरे सामने एक 45-50 सालके वयस्क औरतकी तस्वीर आ गई थी... '' वह अब खुलकर बाते कर रहा था.
वह उसके खुले और मजाकिया अंदाजपर मनही मन मुस्कुरा रही थी. उसने उसके बारेमेंभी इंटरनेटपर सर्च कर जानकारी इकट्ठा की यह जानकर उसके खयालमें आगया था की वह भी उसके बारेमें उतनाही सिरीयस है.
'' तूमने तुम्हारी उम्र नही बताई ?...'' उसने सवाल किया.
'' मैने मेरे मेल ऍड्रेसकी जानकारीमें ... मेरी असली उम्र डाली हूई है ...'' उसका उधरसे मेसेज आया.
उसके इस जवाबसे उसे अहसास हूवा की वाकई वह बाकी लोगोसे कुछ हटके है.
विवेक कॉम्प्यूटरके सामने बैठकर कुछ पढ रहा था. तभी उसका दोस्त धीरेसे, कोई आवाज ना हो इसका ध्यान रखते हूए, उसके पिछे आकर खडा हो गया. काफी समय तक जॉनी विवेकका क्या चल रहा है यह समझनेकी कोशीश करते रहा.
'' क्या गुरु... कहां तक पहूंच गई है तुम्हारी प्रेम कहानी ? '' जॉनीने एकदमसे उसके कंधे झंझोरते हूए सवाल पुछा.
विवेक तो एकदम चौंक गया और हडबडाहटमें मॉनीटरपर दिख रही विंडोज मिनीमाईझ करने लगा.
जोरसे ठहाका लगाते हूए जॉनीने कहा , '' छुपाकर कोई फायदा नही ... मै सबकुछ पढ चूका हूं ''.
विवेक अपने चेहरेपर आए हडबडाहटके भाव छिपानेका प्रयास करते हूए फिरसे मॉनिटरपर सारी विंडोज मॅक्सीमाईज करते हूए बोला, '' देख तो .. उसने मेलके साथ क्या अटॅचमेंट भेजी है ''
'' मतलब आग बराबर दोनो तरफ लगी हूई है .... वैसे उस चिडीयाका कुछ नाम तो होगा... जिसने हमारे विवेक का दिल उडाया है'' जॉनीने पुछा.
'' अंजली'' विवेकका चेहरा शर्मके मारे लाल लाल हुवा था.
'' देख देख कितना शर्मा रहा है '' जॉनी उसे छेडते हूए बोला.
'' देखूतो ... क्या भेजा है उसने ?...'' जॉनीने उसे आगे पुछा.
जॉनी बगलमें रखे स्टूलपर बैठकर पढने लगा तो विवेक उसे अंजलीने अटॅच कर भेजे उस सॉफ्टवेअर प्रोग्रॅमके बारेमें जानकारी देने लगा -
'' यह एक जॅपनीज सॉफ्टवेअर इंजीनिअरने लिखा हुवा सॉफ्टवेअर प्रोग्रॅम है ... इस प्रोग्रॅमके लिए रिफ्लेक्शन टेक्नॉलॉजीजका इस्तेमाल किया गया है. जब हम कॉम्प्यूटरके मॉनिटरके सामने बैठे होते है तब जो रोशनी अपने चेहरेपर पडती है वह अलग अलग रंगोमें विभाजीत होकर मॉनिटरपर परावर्तीत होती है. इस सॉफ्टवेअर प्रोग्रॅमद्वारा परावर्तीत हूए रोशनीकी तिव्रता एकत्रीत कर उसे इस टेक्नॉलॉजीद्वारा फोटोग्राफमें परिवर्तीत किया जा सकता है. मतलब अगर आप इस प्रोग्रॅमको रन करोगे तो मॉनिटरपर पडे परिवर्तनके तिव्रताको एकत्रित कर यह प्रोग्रॅम आपका फोटो बना सकता है. लेकिन फोटो निकालते वक्त इतना ध्यान रखना पडता है की आप मॉनिटरके एकदम सामने, समांतर और समानांतर बैठे हूए है. मॉनीटर और आपके चेहरेमें अगर कोई तिरछा कोण होगा तो फोटो ठिकसे नही आएगा.''
'' मतलब यह सॉफ्टवेअर फोटो निकालता है ?'' जॉनीने पुछा.
'' हां ... यह देखो अभी अभी थोडी देर पहले मैने मेरा फोटो निकाला हूवा है '' विवेकने कॉम्प्यूटरपर उसका अपना फोटो खोलकर दिखाया.
'' अरे वा... एकदम बढीया ... अगर ऐसा है तो हमे कॅमेरा खरीदनेकी जरुरतही नही पडेगी. '' जॉनीने खुशीके मारे कहा.
'' वही तो ..''
'' रुको ... मुझे जरा देखने दो ... मै मेरा फोटो निकालता हूं ..'' जॉनी मॉनीटरके सामनेसे विवेकको उठाते हूए खुद उस स्टूलपर बैठते हूए बोला.
जॉनीने स्टूलपर बैठकर माऊस कर्सर मॉनीटरपर इधर उधर घुमाते हूए पुछा, '' हां अब क्या करना है. ?''
'' कुछ नही ... सिर्फ वह स्नॅपका बटन दबावो ... लेकिन रुको .. पहले सिधे ठिकसे बैठो...'' विवेकने कहा.
जॉनी सिधा बैठकर माऊसका कर्सर 'स्नॅप' बटनके पास ले जाकर बटन दबाने लगा.
'' स्माईल प्लीज '' विवेकने उसे टोका.
जॉनीने अपने चेहरेपर जितनी हो सकती है उतनी हंसी लानेकी कोशीश की.
'' रेडी ... नाऊ प्रेस द बटन'' विवेक
जॉनीने 'स्नॅप' बटनपर माऊस क्लीक किया. मॉनीटरवर एक-दो पलके लिए निला 'प्रोसेसींग' बार आगे बढता हूवा दिखाई दिया और फिर मॉनीटरपर फोटो दिखाई देने लगा. जैसेही मॉनीटरवर फोटो आगया विवेक जोर जोरसे हंसने लगा और जॉनीका चेहरा तो देखने लायक हो गया था. मॉनीटरपर एक हंसते हूए बंदरका फोटो आ गया था.
दिनबदीन अंजली और विवेकका चॅटींग, मेल करना बढताही जा रहा था. मेलकी लंबाई चौडाई बढ रही थी. एकदुसरेको फोटो भेजना, जोक्स भेजना, पझल्स भेजना ... मेल भेजनेके न जाने कितने बहाने उनके पास थे. धीरे धीरे अंजली को अहसास होने लगा था की वह उससे प्यार करने लगी है. लेकिन प्यार का इजहार उसने विवेक के पास या विवेक ने अंजलीके पास कभी नही किया था. उनके हर मेलके साथ... मेल मे लिखे हर वाक्य के साथ... उनके हर फोटो के साथ... उनके व्यक्तीत्व का एक एक पहेलू उन्हे पता चल रहा था. और उतनी ही वह उसमें डूबती जा रही थी. अंजलीने भी अपने आपको कभी रोका नही. या यू कहीए खुद को रोकने से खुदको उसके प्यारमें पुरी तरह डूबनेमें ही उसे आनंद मिल रहा हो. लेकिन प्यारके इजहार के बारे में वह बहूत फूंक फूंककर अपने कदम आगे बढा रही थी. उसके पास बहाना था की उसने अब तक उसे आमने सामने देखा नही था. वैसे उसके प्रेम का अहसास उसे नही था ऐसे नही. लेकिन विवेक भी प्यारके इजहारके बारेमें शायद उतनाही खबरदारी बरत रहा था. शायद उसने भी उसे अबतक आमने सामने न देखनेके कारण. वह मिलनेके बाद मुकर तो नही जाएगा? इसके बारेमें वह एकदम बेफिक्र थी. क्यो की विश्वामित्रको भी ललचाए ऐसा उसका सौंदर्य था.
अंजली अपने कॉम्प्यूटरपर चाटींग कर रही थी और उसके टेबलके सामने कुर्सीपर शरवरी बैठी हूई थी. कॉम्प्यूटरपर आई एक मेल पढते हूए अंजली बोली,
'' शरवरी देख तो विवेकने मेलपर क्या भेजा है? ''
शरवरी कुर्सीसे उठकर अंजलीके पिछे जाकर खडी होगई और मॉनिटरकी तरफ ध्यान देकर देखने लगी. इन दिनो वैसे विवेक और अंजलीका कुछ ना कुछ आदान प्रदान चलता ही रहता था. और शरवरीको भी उनका प्रेमभरा आदान प्रदान देखने में या पढनेमें बडा मजा आता था. उसने मॉनीटरपर देखा की एक छोटा चायनीज बच्चा बडे मजेदार तरीकेसे डांस कर रहा था. डांस करते हूए वह बच्चा एकदमसे शूशू करने लगा तो दोनोही बडी जोरसे हंसने लगी.
'' पता नही वह कहां कहांसे यह सब ढूंढता है .'' अंजलीने कहा.
'' सही है... मै तो इंटरनेटपर कितना सर्फ करती हूं लेकिन यह ऍनीनेशन अबतक मेरे देखनेमें कैसे नही आया. '' शरवरीने कहा.
तभी एक बुजुर्ग आदमी दरवाजेपर नॉक कर अंदर आया. वह आदमी आतेही अंजलीने अपनी पहिएवाली कुर्सी घुमाकर अपना ध्यान उस आदमीपर केंद्रीत किया. शरवरी वहांसे बाहर चली गई. वह बुजुर्ग आदमी टेबलके सामने कुर्सीपर बैठतेही अंजलीने कहा,
'' बोलो आंनंदजी..''
'' मॅडम ... इंटेल कंपनीने अपने सारे कोलॅबरेटर्स के साथ एक मिटींग रखी है. अभी थोडीही देर पहले उनका फॅक्स आया है.... उन्होने मिटींगका दिन और व्हेन्यू हमें भेजा है ... और साथही मिटींगका अजेंडाभी भेजा है. ...'' आनंदजीने जानकारी दी.
'' कहां रखी है मिटींग ?'' अंजलीने पुछा.
'' मुंबई ... 25 तारखको ... यानीकी .. इस सोमवारको '' आनंदजीने कॅलेडरकी तरफ देखते हूए कहा.
अंजलीभी कॅलेंडरकी तरफ देखते हूए कुछ सोचते हूए बोली,
'' ठिक है कन्फर्मेशन फॅक्स भेज दो ... और मोनाको मेरे सारे फ्लाईट और होटल बुकींग डिटेल्स दे दो''
'' ठिक है मॅडम'' आनंदजी उठकर खडे होते हूए बोले.
जैसे आनंदजी वहांसे चले गए वैसे अंजलीने अपनी पहिएवाली कुर्सी घुमाकर अपना ध्यान कॉम्प्यूटरपर केंद्रीत कर दिया. उसके चेहरेपर खुशी समाए नही समा रही थी. झटसे उसने मेल प्रोग्रॅम खोला और जल्दी जल्दी वह मेल टाईप करने लगी -
'' विवेक ... ऐसा लगता है की जल्दीही अपने नसिबमें मिलना लिखा है ...पुछो कैसे? लेकिन मै अभी नही बताऊंगी. क्योंकी कुछ तो क्लायमॅक्स रहना चाहिए ना ? अगले मेलमे सारे डिटेल्स भेजूंगी ... बाय फॉर नाऊ... टेक केअर .. ---अंजली...''
अंजलीने फटाफट कॉम्प्यूटरके दो चार बटन्स दबाकर आखिर ऐंन्टर दबाया. कॉम्प्यूटरके मॉनीटरपर मेसेज आ गया - 'मेल सेन्ट'
continued



credit - hindinovels.net, Google

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