ई-लव्ह ( E-Love) – 07



-लव्ह ( E-Love) – 07
कॉन्स्टेबल जब अतूलको वहांसे ले गया और अतूल सब लोगोंके नजरोंसे ओझल हुवा तब कहां इतनी देरसे हक्काबक्का रहे लोगोंमे खुसुरफुसुर शुरु हो गई. कुछ लोग अबभी डरे, सहमे और सदमे मे थे, तो कुछ लोगोंको यह सब क्या हो रहा है कुछ समझ नही आ रहा था. प्रथम पुरस्कार जिसे मिला उस लडकेको अचानक अंजलीने मारा और इन्स्पेक्टरने डायसपर आकर उसे गिरफ्तार किया. सबकुछ कैसे लोगोंके समझके बाहर था. लोगोंमें चलरही खुसुफुसुर देखकर इन्स्पेक्टरने ताड लिया की लोगोंको पुरी केस और उसकी गंभिरता समझाना जरुरी है, नही तो लोग और गडबडी मचा सकते है. क्योंकी अतूल जो कुछ पल पहलेही सबलोगों का हिरो था उसे अंजलीने अगलेही पल उसे व्हिलन करार दिया था. लोगोंको वह सच्चा या अंजली सच्ची यह जाननेकी उत्कंठा होनाभी लाजमी था

''
शांत हो जाईए ... शांत हो जाईए प्लीज...'' इन्स्पेक्टर हात उपर कर, जो कुछ लोग उठ खडे हूए थे उन्हे बिठाते हूए बोले, '' कोई डरनेकी या घबरानेकी कोई जरुरत नही... दिस इज अ केस ऑफ ब्लॅकमेलींग ऍन्ड सायबर क्राईम... मैने खुद इस केसपर काम किया है ... और इस केसका गुनाहगारके तौरपर अभी अभी आपके सामने अतूल सरकारको पकडा गया है ...''

फिरभी लोग शांत होनेके लिए तैयार नही थे, तब ऍन्करने फिरसे माईकका कब्जा लिया, '' दोस्तो शांत हो जाईए .. प्लीज शांत हो जाईए .. हमारी प्रतिस्पर्धाभी इथीकल हॅकींग ... यानीकी हॅकिंगके बारेमेही थी... और इन्स्पेक्टरने अभी आप लोगोंके सामने हॅन्डल की केसभी हॅकींग और क्रॅकींगके बारेमेंही थी .. इसलिए इन्स्पेक्टर साहेबको मेरी बिनती है की वे इस केसके बारेमें... उन्होने यह केस कैसे हॅन्डल की... यह केस हॅन्डल करते वक्त कीन कीन चुनौतीयोंका सामना उन्हे करना पडा... और आखिर वह गुनाहगारतक कैसे पहूंचे ... यह सब यहां इकठ्ठा हूए लोगोंको विस्तारसे बतायें ...'' 

अब कहा लोग फिरसे शांत हो चुके थे. यह केस क्या है? ... और इन्स्पेक्टरने उसे कैसे हॅन्डल किया.. यह जाननेकी लोगोंमें उत्सुकता दिखने लगी. एन्करने एकबार फिरसे इन्स्पेक्टरकी तरफ देखा और उन्हे आगे आकर पुरी कहानी बयां करनेकी बिनती की. इन्स्पेक्टरने अंजलीकी तरफ देखा. अंजलीने आखोंसेही इजाजत दे दी. इन्स्पेक्टर सामने आये और उन्होने माईक ऍन्करसे अपने पास ले लिया .


इन्स्पेक्टर कहानी कथन करने लगे


''
सायबर क्राईम यह अब भारतमें नया नही रहा है ... आजकल पुरे देशमें लगभर रोज कुछना कुछ सायबर क्राईमकी घटनाएं घटीत होती रहती है .... लेकिन तहकिकात करते वक्त मुझे हमेशा इस बातका अहसास होता है की लोगोंकी सायबर क्राइमके बारेंमे बहूत गलतफहमीयां है ... जितनी उनकी सायबर क्राईमके बारेमें गलतफहमीयां है उतनाही उनका अपने देशके पुलिस डिपार्टमेंटपर भरोसा उडा हूवा दिखाई देता है ... उन्हे हमेशा आशंका लगी रहती है की यह टोपी और डंडे लेकर घुमनेवाले पुलिस यह इतना ऍडव्हान्स... यह इतना टेक्नीकल क्राईम कैसे हॅन्डल कर सकते है? ... उन्हे सायबर क्राईमके बारेमें अपना पुलिस डिपार्टमेंट कितना सक्षम है इसके बारेमें आशंकाए लगी रहती है. ... लेकिन अब अभी अभी मैने हॅन्डल किए केसके जरीए मै लोगोंको यकिन दिलाना चाहता हूं की ... सायबर क्राईमके बारेमें अपना पोलीस डीपार्टमेंट सिर्फ सक्षमही नही तो पुरी तरहसे तैयार है ... इस तरह का या और किसी तरहका गुनाह होनेके बाद जिस कार्यक्षमतासे हम दुसरे गुनाहगारोंको तुरंत पकड सकते है उसी कार्यक्षमतासे हम सायबर क्रिमीनल्सको भी पकड सकते है.... लेकिन फिर भी कुछ चिजोंके बारेंमे हम गुनाह हॅन्डल करते वक्त कम पडते है ... खासकर जब उस गुनाहको दुसरे किसी देशके जमिन से अंजाम दिया जाता है तब... उस केसमें वह गुनाहगार किसी दुसरे देशके कानुनके कार्यक्षेत्रमें आता है ... और फिर वह देश हमें उस गुनाहके बारेमें उस गुनाहगारको पकडनेके लिए कितना सहकार्य करते है इसपर सब निर्भर करता है.... सायबर गुनाहके बारेमें और एक महत्वपुर्ण बात... इसमें इंटरनेट इस्तेमाल करनेवाले लोगोंको कुछ चिजोंमे बहुतही जागरुक होना आवश्यक होता है .. जैसे किसीको, उस सामनेके पार्टीकी पुरी जानकारी रहे बिना खुदकी जानकारी ... ... पासवर्ड .. फोन ... मोबाईल देना बहुतही खतरनाक होता है ... वैसे अनसेफ, अनप्रोटेक्टेड, अनसेक्यूअर कनेक्शनपर फायनांसीयल ट्रान्झेक्शन करना ... अपने खुदके प्रायव्हेट फोटो इंटरनेटपर भेजना ... इत्यादी... यहभी खतरेसे खाली नही है... अब मै यह जो केस विस्तारपुर्वक बतानेवाला हूं ... इससे आपको किस तरह जागरुक रहना पडेगा इसका अंदाजा आ जाएगा ...''


इतनी प्रस्तावना देकर इन्स्पेक्टर अतूलके केसके बारेंमे बताने लगे ...


एक रुममें अतूल और अलेक्स रहते थे. रुमके स्थितीसे यह जान पडता था की उन्होने रुम किराएसे ली होगी. कमरे में एक कोने में बैठकर अतूल अपने कॉम्प्यूटरपर बैठकर चॅटींग कर रहा था और कमरेके बिचोबिच अलेक्स डीप्स मारता हूवा एक्सरसाईज कर रहा था. अतूल अपने कॉम्प्यूटरपर दिख रहे चॅटींग विंडोमें धीरे धीरे उपर खिसक रहे चॅटींग मेसेजेस एक एक करके पढ रहा था. शायद वह चाटींगके लिए कोई अच्छा साथीदार ढूंढ रहा होगा. जबसे उसे चॅटींगका अविश्कार हूवा तब से ही उसे यह बहुत पसंद आया था. पहले खाली वक्तमें वक्त बितानेका गप्पे मारना इससे कारगर कोई तरीका नही होगा ऐसी उसकी सोच थी. लेकिन अब जबसे उसे चॅटींगका अविश्कार हुवा उसकी सोच पुरी तरह बदल गई थी. चॅटींगकी वजहसे आदमीको मिले बिना गप्पे मारना अब संभव होगया था. कुछ जान पहचानवाले तो कुछ अजनबी लोगोंसे चॅट करने में उसे बडा मजा आने लगा था. अजनबी लोगोंसे आमने सामने मिलने के बाद कैसे उन्हे पहले अपने कंफर्टेबल झोन में लाना पडता है और उसके बाद ही बातचित आगे बढ सकती है. और उसके लिए सामनेवाला कैसा है इसपर सब निर्भर करता है और उसको कंफर्टेबल झोन में लाने के लिए कभी एक घंटा तो कभी कई सारे दिनभी लग सकते है. चॅटींगपर वैसा नही होता है. कोई पहचान का हो या अजनबी बिनदास्त मेसेज भेज दो. सामनेवाले ने एंटरटेन किया तो ठीक नही तो दुसरा कोई साथी ढूंढो. अपने पास सारे विकल्प होते है. कुछ न समझनेवाले तो कुछ गाली गलोच वाले कुछ संवाद उसे चॅटींग विंडोमें उपर उपर खिसकते हूए दिखाई दे रहे थे


तभी उसे बाकी मेसेजसे कुछ अलग मेसेज दिखा


''
अच्छा तुम क्या करती हो? ... मेरा मतलब पढाई या जॉब?'' 


किसी विवेक का मेसेज था


वह उसका असली नामभी हो सकता था या नकली ...


''
मैने बी. . कॉम्प्यूटर किया हूवा है ... और जी. एच. इन्फॉरमॅटीक्स इस खुदके कंपनीकी मै फिलहाल मॅनेजींग डायरेक्टर हूं '' विवेकके मेसेजके रिस्पॉन्सके तौरपर यह मेसेज अवतरीत हूवा था


भेजनेवाले का नाम अंजली था


अचानक मेसेज पढते हूए अतूलके दिमागमें एक विचार कौंधा


इस मेसेजसे क्या मै कुछ फायदा ले सकता हूं ?...


वह मनही मन सोचकर सारी संभावनाए टटोल रहा था. सोचते हूए अचानक उसके दिमागमें एक आयडीया आ गया


वह झटसे अलेक्सकी तरफ मुडते हूए बोला, '' अलेक्स जल्दीसे इधर आ जाओ ''


उसका चेहरा एक तरहकी चमकसे दमक रहा था


अलेक्स एक्सरसाईज करते हूए रुक गया और कुछ इंटरेस्ट ना दिखाते हूए धीमे धीमे उसके पास आकर बोला, '' क्या है ?... अब मुझे ठिकसे एक्सरसाईज भी नही करने देगा ?''


''
अरे इधर मॉनिटरपर तो देखो ... एक सोनेका अंडा देनेवाली मुर्गी हमें मिल सकती है ..'' अतूल फिरसे उसका इंटरेस्ट जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला


अब कहा अलेक्स थोडा इंटरेस्ट लेकर मॉनिटरकी तरफ देखने लगा


तभी चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा और उपर खिसक रहा विवेकका और एक मेसेज उन्हे दिखाई दिया


""
अरे बापरे!.. '' तुम्हे तुम्हारे उम्रके बारेमें पुछा तो गुस्सा तो नही आएगा ?... नही ... मतलब मैने कही पढा है की लडकियोंको उनके उम्रके बारेमें पुछना अच्छा नही लगता है. ... '' 


उसके बाद तुरंत अंजलीने भेजा हूवा रिस्पॉन्सभी अवतरीत हूवा -


'' 23
साल'' 


''
देख तो यह हंस और हंसिनी का जोडा... यह हंसीनी एक सॉफ्टवेअर कंपनीकी मालिक है ... मतलब मल्टी मिलीयन डॉलर्स...'' अतूल अपने चेहरेपर आए लालचभरे भाव छूपानेका प्रयास करते हूए बोला


तेभी फिरसे चॅटींग विंडोमें विवेकका मेसेज अवतररीत हूवा


''
अरे यह तो मुझे पताही था... मैने तुम्हारे मेल आयडीसे मालूम किया था.... सच कहूं ? तूमने जब बताया की तूम मॅनेजींग डायरेक्टर हो ... तो मेरे सामने एक 45-50 सालके वयस्क औरतकी तस्वीर आ गई थी... '' 


अलेक्सने उन दोनोंके उस विंडोमें दिख रहे सारे मेसेजेस पढ लिए और पुछा, '' लेकिन हमें क्या करना पडेगा ?''


''
क्या करना है यह सब तुम मुझपर छोड दो ... सिर्फ मुझे तुम्हारा साथ चाहिए '' अतूल अपना हाथ आगे बढाते हूवा बोला


''
कितने पैसे मिलेगे ?'' अलेक्सने असली बातपर आते हूए सवाल पुछा


''
अरे लाखो करोडो में खेल सकते है हम '' अतूल अलेक्सका लालच जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला


''
लाखो करोडो?'' अलेक्स अतूलका हाथ अपने हाथमे लेते हूए बोला, '' तो फिर मै तो अपनी जानभी देनेके लिए तैयार हूं '' 


तभी फिरसे चॅटींग विंडोमें अंजलीका मेसेज अवतरीत हूवा , '' तूमने तुम्हारी उम्र नही बताई ?...'' 


उसके पिछेही विवेकका जवाब चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा, '' मैने मेरे मेल ऍड्रेसकी जानकारीमें ... मेरी असली उम्र डाली हूई है ...'' 


'' 23
साल... बहूत नाजुक उम्र होती है ... मछली प्यारके जालमें फसकर कुछभी कर सकती है '' अतूल अजिब तरहसे मुस्कुराते हूए बोला.


लगभग आधी रात हो गई थी. अतूलके कमरेका लाईट बंद था. लेकिन फिरभी कमरेमें चारो तरफ धुंधली रोशनी फैल गई थी- कमरेमें, कोनेमें चल रहे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी वजहसे. अतूल कॉम्प्यूटरपर कुछ करनेमें बहुत लीन था. उसके आसपास सब तरफ खानेकी, नाश्तेकी प्लेट्स, चायके खाली, आधे भरे हूए कप्स, चिप्स, खाली हो चुके व्हिस्किके ग्लासेस और आधीसे जादा खाली हो चुकी व्हिस्किकी बॉटल दिख रही थी. उसके पिछे कॉटपर हाथपैर फैलाकर अलेक्स सोया हुवा था. उस आधी रातके सन्नाटेमें अतूल तेजीसे कॉम्प्यूटरपर कुछ कर रहा था और उसके किबोर्डके बटन्सका एक अजिब आवाज उस कमरेमें आ रहा था. उधर अतूलके पिछे सो रहे अलेक्सका बेचैनीसे करवटपे करवट बदलना जारी था


आखिर अपने आपको ना रोक पाकर अलेक्स उठकर बैठते हूए अतूलसे बोला, '' यार तेरा यह क्या चल रहा है? ... 8 दिनसे देख रहा हूं ... दिनभर किचकिच... रातकोभी किचकिच... कभीतो शांतीसे सोने दे... तेरे इस साले किबोर्डके आवाजसे तो मेरा दिमाग पागल होनेकी नौबत आई है ...'' 


अतूल एकदम शांत और चूप था. कुछभी प्रतिक्रिया ना व्यक्त करते हूए उसका अपना कॉम्प्यूटरपर काम करना जारी था


''
अच्छा तुम क्या कर रहे हो यह तो बताएगा ? ... आठ दिनसे तेरा ऐसा कौनसा काम चल रहा है ?... मेरी तो कुछ समझमें नही आ रहा है ...'' अलेक्स उठकर उसके पास आते हूए बोला


''
विवेक और अंजलीका पासवर्ड ब्रेक कर रहा हूं .... अंजलीका ब्रेक हो चुका है अब विवेकका ब्रेक करनेकी कोशीश कर रहा हूं '' अतूल उसकी तरफ ना देखते हूए कॉम्प्यूटरपर अपना काम वैसाही शुरु रखते हूए बोला. . 


''
उधर तु पासवर्ड ब्रेक कर रहा है और इधर तेरे इस किबोर्डके किचकीचसे मेरा सर ब्रेक होनेकी नौबत आई है उसका क्या ?'' अलेक्स फिरसे बेडपर जाकर सोनेकी कोशीश करते हूए बोला


किसका पासवर्ड ब्रेक हूवा और किसका ब्रेक होनेका रहा इससे उसे कुछ लेना देना नही था. उसे तो सिर्फ पैसेसे मतलब था. अलेक्सने अपने सरपर चादर ओढ ली, फिरभी आवाज आ ही रहा था, फिर तकिया कानपर रखकर देखा, फिरभी आवाज आ ही रहा था, आखीर उसने तकीया एक कोनेमें फाडा और उसमेंसे थोडी रुई निकालकर अपने दोनो कानोंमे ठूंस दी और फिरसे सोनेकी कोशीश करने लगा


अब लगभग सुबहके तिन बजे होंगे, फिरभी अतूलका कॉम्प्यूटरपर काम करना जारीही था. उसके पिछे बेडपर पडा हूवा अलेक्स गहरी निंदमें सोया दिख रहा था


तभी कॉम्प्यूटरपर काम करते करते अतूल खुशीके मारे एकदम उठकर खडा होते हूए चिल्लाया, '' यस... या हू... आय हॅव डन इट'' 


वह इतनी जोरसे चिल्लाया की बेडवर सोया हूवा अलेक्स डरके मारे जाग गया और चौककर उठते हूए घबराए स्वरमें इधर उधर देखते हूए अतूलसे पुछने लगा, '' क्या हूवा ? क्या हूवा ? '' 


''
कम ऑन चियर्स अलेक्स... हमें अब खजानेकी चाबी मिल चुकी है ... देख इधर तो देख ...'' अतूल अलेक्सका हाथ पकडकर उसे कॉम्प्यूटरकी तरफ खिंचकर ले जाते हूए बोला


अलेक्स जबरदस्तीही उसके साथ आगया. और मॉनिटरपर देखने लगा


''
यह देखो मैने विवेकका पासवर्डभी ब्रेक किया है और यह देख उसने भेजी हूई मेल '' अतूल अलेक्सका ध्यान मॉनिटरपर विवेकके मेलबॉक्ससे खोले हूए एक मेलकी तरफ आकर्षीत करते हूए बोला


मॉनिटरपर खोले मेलमें लिखा हूवा था



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विवेक ... 25 को सुबह बारा बजे एक मिटींगके सिलसिलेमें मै मुंबई आ रही हूं ... 12.30 बजे हॉटेल ओबेराय पहूचूंगी ... और फिर फ्रेश वगैरे होकर 1.00 बजे मिटींग अटेंड करुंगी ... मिटींग 3-4 बजेतक खत्म हो जाएगी ... तुम मुझे बराबर 5.00 बजे वर्सोवा बिचपर मिलो ... बाय फॉर नॉऊ... टेक केअर'' 



''
चलो अब हमें अपना बस्ता यहांसे मुंबईको ले जानेकी तैयारी करनी पडेगी. '' अतूलने अलेक्ससे कहा


अलेक्स अविश्वासके साथ अतूलकी तरफ देख रहा था. अब कहां उसे विवेक आठ दिनसे क्या कर रहा था और किस लिए कर रहा था यह पता चल गया था


''
यार अतूल ... यू आर जिनियस'' अब अलेक्सके बदनमेंभी जोश दौडने लगा था.

continued



credit - hindinovels.net, Google








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