ई-लव्ह ( E-Love) – 08
ई-लव्ह
(
E-Love) – 08
वर्सोवा
बिचपर अंजली विवेककी राह देख
रही थी और उधर बडे बडे पत्थरोंके
पिछे छुपकर अतूल और अलेक्स
अपने अपने कॅमेरे उसपर केंद्रीत
कर विवकके आनेकी राह देखने
लगे.
थोडी
देरमें विवेकभी आ गया,
विवेक
और अंजलीमें कुछ संवाद हुवा,
जो
उन्हे सुनाई नही दे रहा था
लेकिन उनके कॅमेरे अब उनके
एक के पिछे एक फोटो खिचने लगे.
थोडीही
देरमें विवेक और अंजली एकदुसरेके
हाथमें हाथ डालकर बिचपर चलने
लगे.
इधर
अतूल और अलेक्सभी पत्थरोके
पिछेसे आगे आगे खिसकते हूए
उनके फोटो ले रहे थे.
अंधेरा
छाने लगा था और एक लमहेमें
उनमें क्या संवाद हुवा क्या
पता?,
विवेकने
अंजलीको कसकर अपने बाहोंमें
खिंच लिया.
इधर
अतूल और अलेक्सकी फोटो निकालनेकी
रफ्तार तेज हो गई थी.
फिरभी
वे संतुष्ट नही थे.
क्योंकी
उन्हे जो चाहिए था वह अबभी नही
मिला था. अंजलीकी कार जब ओबेराय हॉटेलके सामने आकर रुकी. उसके कारका पिछा कर रही अतूल और अलेक्सकी टॅक्सीभी एक सुरक्षीत अंतर रखकर रुक गई. अंजली गाडीसे उतरकर हॉटेलमें जाने लगी और उसके पिछे विवेकभी जा रहा था, तब अतूलने अलेक्सकी तरफ एक अर्थपुर्ण नजरसे देखा और वे दोनोभी उनके खयालमें नही आए इसका ध्यान रखते हूए उनका पिछा करने लगे.
अब अंजली और विवेक हॉटेलके रुममें पहूंच गए थे और रुमका दरवाजा बंद हो गया था. उनका पिछा कर रहे अतूल और अलेक्स अब जल्दी करते हूए उनके रुमके दरवाजेके पास आगए. अलेक्सने दरवाजा धकेलकर देखा. वह अंदरसे बंद था.
'' अब क्या हम यहां उनकी पहरेदारी करनेवाले है ?'' अलेक्सने चिढकर लेकिन धीमे स्वरमें कहा.
'' डोन्ट वरी... वुई हॅव अ सोल्यूशन '' अतूलने उसका हौसला बढाते हूए कहा.
अलेक्स दरवाजेके कीहोलसे अंदर हॉटेलके रुममें देख रहा था ...
अंदर फोन उठाते हूए अंजलीके हाथका हल्कासा स्पर्ष विवेकको हुवा. बादमें फोनका नंबर डायल करनेके लिए उसने दुसरा हाथ सामने किया. इसबार उस हाथकाभी विवेकको स्पर्ष हुवा. इसबार विवेक अपने आपको रोक नही सका. उसने अंजलीका फोन डायल करनेके लिए सामने किया हाथ हल्केसे अपने हाथमें लिया. अंजली उसकी तरफ देखकर शर्माकर मुस्कुराई. उसने अब वह हाथ कसकर पकडकर खिंचकर उसे अपने आगोशमें लिया था. सबकुछ कैसे तेजीसे हो रहा था. उसके होंठ अब थरथराने लगे थे. विवेकने अपने गरम और अधीर हूए होंठ उसके थरथराते होंठपर रख दिए और उसे झटसे अपने मजबुत आगोशमें लेकर, उठाकर, बाजुमें रखे बेडपर लिटा दिया ....
अलेक्स अंदर कीहोलसे इतनी देरसे अंदर क्या देख रहा है? ... और वहभी कुछ शिकायत ना करते हूए. अतूलको आशंका हूई. उसने अलेक्सका सर कीहोल से बाजू हटाया. और वह अब खुद अंदर देखने लगा ...
अंदर अंजलीके शरीर पर विवेक झुक गया था और वह उसके गलेको चुम रहा था मानो उसके कानमें कुछ कह रहा हो. धीरे धीरे उसका मजबुत मर्दानी हाथ उसके नाजूक अंगोसे खेलने लगा. और प्रतिक्रियाके रुपमें वहभी किसी लताकी तरह उसे चिपककर सहला रही थी. हकसे अब वह उसके शरीरसे एक एक कर कपडे निकालने लगा और वहभी उसके शरीरसे कपडे निकालने लगी....
अलेक्सने अतूलकी उसका सर कीहोलसे बाजू होगा इसकी थोडी देर राह देखी. लेकिन वह वहांसे हटनेके लिए तैयार नही था. तब अलेक्सने जबरदस्ती उसका सर कीहोलसे बाजु हटाया और वह उसे बोला, '' मेर भाई यह देखनेसे अपना पेट भरनेवाला नही है ... थोडा अपने पेट पानीका भी सोचो ''
अंदरका दृष्य देखनेमें लिन हूवा अतूल अब कहा होशमें आ गया.
'' लेकिन अब उनके फोटो तूम कैसे निकालनेवाले हो ?'' अलेक्सने कामका सवाल पुछ लिया.
'' डोन्ट वरी वुई आर इक्वीपड विथ टेक्नॉलॉजी.'' अलेक्सने उसे दिलासा दिया और उसने अपने जेबसे एक वायरजैसी चिज निकालकर उसका एक सिरा अपने कॅमेरेसे जोडा और दुसरा सिरा दरवाजेके कीहोलसे अंदर डाला.
'' यह क्या है ... पता है ?'' अलेक्सने पुछा.
'' दिस इज स्पेशल कॅमेरा माय डियर'' अतूलने कहा और वह उस स्पेशल कॅमेरेसे हॉटेलके रुमके अंदरके सारे फोटो निकालने लगा.
शामका वक्त था. अतूल सुबहसे अबतक उसके रुममें कॉम्प्यूटरपर बैठा हूवा था. अलेक्स उसके बगलमें आकर खडा हो गया और उसका क्या चल रहा है यह देखने लगा. अलेक्सकी आहट होतेही अतूल कीबोर्डकी कुछ बटन्स दबाता हूवा बोला,
'' देख यह है हमने निकाली हूई तस्वीरे ... कैसी लग रही है ?''
कॉम्प्यूटरके मॉनिटरपर अंजली और विवेककी हॉट फोटोज किसी स्लाईड शो की तरह एकके पिछे एक ऐसी आगे आगे खिसकने लगी.
'' वा वा .. एकदम परफेक्ट... जस्ट लाईक अ प्रोफेशनल फोटोग्राफर...'' अलेक्स अतूलकी सराहना करते हूए बोला.
'' लेकिन सिर्फ यह फोटोग्राफ्स देखकर क्या होनेवाला है ... हमें आगे भी कुछ करना पडेगा ... सिर्फ सुबहसे शामतक कॉम्प्यूटरपर बैठकर क्या होनेवाला है? '' अलेक्स उसे ताना मारते हूए बोला.
'' अरे ... अब आगेका काम यह कॉम्प्यूटरही करनेवाला है ... पहले मै अंजलीके मेलबॉक्ससे विवेकको एक मेल भेजता हूं ... फिर उसके बाद तुम्हारा काम शुरु होनेवाला है '' अतूलने कहा.
'' तूम मेरे कामके बारेमें एकदम बिनदास रहो ... सिर्फ पहले तुम्हारा काम होनेके बाद मुझे बता देना .. '' अलेक्सने कहा.
अतूलने काफी मेहनत करके हासिल किया हूवा पासवर्ड देकर अंजलीका मेलबॉक्स खोला और वह मेल टाईप करने लगा -
'' विवेक... सबसे पहले तुम्हे लिखू या ना लिखू ऐसा सोचा .... लेकिन बादमे तय किया की लिखनाही ठिक रहेगा ... हम मुंबईको मिलनेके बाद मै वापस गई और इधर एक प्रॉब्लेम होगया ... वैसे उसको प्रॉब्लेम नही बोल सकते ... लेकिन तुम्हारे लिए उसे प्रॉब्लेमही कहना पडेगा ... इधर मेरे रिश्तेदारोंको क्या लगा क्या मालूम लेकिन उन्होने तुरंत मेरी शादी तय की है ... पहले मुझे बहुत बुरा लगा ... लेकिन बादमै मैने उसके बारेमें बहुत सोचा और मै इस नतिजेपर पहूंची हू की मेरे रिश्तेदार जो भी कर रहे है वह मेरे भलेके लिए ही है .. लडका अच्छा है, अमेरीकामें पढा हूवा है ....इंडस्ट्रीयल फॅमिली है और हमारे बराबरीकी है ... अब मुझे धीरे धीरे समझने लगा है की अबतक जो भी हमारे बिच हूवा वह एक अपरीपक्वताका नतिजा था.... इसलिए तुम्हारे और मेरे लिए यही अच्छा रहेगा की कुछ हुवाही नही इस तरह सब भूल जाएं ... हम मुंबईको मिले थे यह शायद मेरे रिश्तेदारोंको पता चल चुका है ... तुमने मुझसे मिलनेकी या मुझसे संपर्क बनानेकी कोशीशभी की तो वे लोग तुम्हे कुछभी कर सकते है ... इसलिए तुम इस मेलका रिप्लायभी मत भेजना ... मेरा मेलबॉक्सभी शायद मॉनिटर किया जा रहा है ... अपना खयाल रखना ...इतनाही मै तुम्हे कह सकती हूं ... अंजली''
अतूलने मेल मानो अंजलीनेही टाईप कर विवेकको भेजी हो इस तरहसे टाईप की. मेल पुरी तरह लिखनेके बाद उसने एक बार फिरसे उसे पढकर देखा. उसके चेहरेपर एक वहशी मुस्कुराहट छुपाए नही छुपाई जा रही थी. उस मेलमें कुछभी त्रूटी बची नही है इसकी तसल्ली होतेही उसने वह मेल विवेकको भेज दी और अंजलीका मेलबॉक्स बंद किया.
इधर विवेक सायबर कॅफेमें बैठा था. उसे आशंका ... नही यकिन था की अंजलीकी कोई तो मेल उसे आई होगी. उसने अपना मेलबॉक्स खोला और उसे मेलबॉक्समें अंजलीकी आई हूई मेल दिखाई दी. उसने तुरंत, मानो उसके बदनमें बिजली दौड गई हो, वह मेल खोली. मेल पढते हूए उसका खिला चेहरा एकदमसे मायूस हो गया. मेल पुरी पढनेके बादभी वह जैसे शुन्यमें देख रहा हो ऐसे मॉनिटरकी तरफ देखता रहा.
यह ऐसे कैसे हूवा ?...
वह अपना मजाक तो नही कर रही है ?...
उसे एक पलके लिए लगा.
तभी सायबर कॅफेमें एक आदमी आ गया. वह आए बराबर सिधा विवेकके पास गया. धीरेसे उसके पास झुककर उसने उसके कानमें कुछ कहा, -
'' विवेक... आपही है ना ?''
'' हां '' विवेक आश्चर्यसे उस आदमीकी तरफ देखते हूए बोला.
क्योंकी वह उस आदमी को पहचानता नही था.
'' अंजलीजी घरसे भागकर आई है ... बाहर गाडीमें आपकी राह देख रही है ...'' वह आदमी फिरसे उसके कानमें बोला.
विवेकने झटसे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरपर खुले हूए थे वह सब वेब पेजेस बंद कर दिए. और उस आदमीके पिछे पिछे सायबर कॅफेसे बाहर निकल गया.
उस आदमीके पिछे पिछे सायबर कॅफेके बाहर जाते हूए विवेक सोचने लगा.
उसने तो मुझे जो हूवा वह सब भूल जानेके लिए मेल की थी ...
फिर वह अचानक भागकर क्यों आगई होगी? ....
शायद उसके रिश्तेदारोंने उसपर दबाव बनाया होगा ...
और इसलिए उसने वह मेल लिखी होगी ...
अब विवेक उस आदमीके पिछे पिछे सायबर कॅफेके बाहर पहूंच गया था. बाहर सब तरफ अंधेरा था और अंधेरेमें एक कोनेमें उसे एक खिडकीयोंको सब काले शिशे लगाई हूई कार दिखाई दी.
इसी गाडीमें आई होगी अंजली...
जैसे वह आदमी उस गाडीकी तरफ बढने लगा, विवेकभी उसके पिछे पिछे उस गाडीकी तरफ बढने लगा. गाडीके पास पहूंचतेही उसके खयालमें आगया की गाडीका पिछला दरवाजा खुला है.
दरवाजा खुला रखकर वह अपनी राह देख रही होगी....
गाडीके और पास पहूंचतेही विवेकने पिछले खुले दरवाजेसे अंजलीके लिए अंदर झांककर देखा.
लेकिन यह क्या ?...
तभी किसी काले सायेने पिछेसे आकर उसके नाकपर क्लोरोफॉर्मका रुमाल रख दिया और उसे अंदर गाडीमें धकेल दिया. वह अंदर जानेके लिए प्रतिकार करने लगा तो उस काले सायेने लगभग जबरदस्ती उसे अंदर ठूंस दिया. गाडीका दरवाजा बंद होगया और गाडी तेजीसे दौडने लगी. विवेकके खयालमें आगयाकी उसके साथ कुछ धोखा हूवा है. लेकिन तबतक देर हो चुकी थी. उसे अब अहसास होने लगा था की वह अपना होश खोने लगा है.
जिस आदमीने विवेकको गाडीतक लाया था उसने जेबसे पैसे निकाले और वह वे पैसे गिनते हूए वहांसे निकल गया.
विवेक एक बेडपर बेसुध पडा हुवा था. अब धीरे धीरे उसे होश आने लगा था. जैसेही वह पुरी तरह होशमें आगया, उसे वह एक अन्जान जगहपर है ऐसा अहसास होगया. वह तुरंत बैठ गया और अपनी नजर चारो तरफ दौडाने लगा. उसके सामने अलेक्स और उसके दो साथी काले लिबासमें बैठे थे. उनके चेहरेभी काले कपडेसे ढंके हूए थे. विवेकने उठकर खडे होनेकी कोशीश की तब उसके खयालमें आगया की उसके हाथपैर बंधे हूए है.
वैसेही हालमें जोर लगाकर फिरसे उठकर खडे होनेकी कोशीश करते हूए वह बोला, " कौन हो आप लोग? ... मुझे यहां कहां और क्यो लाया आप लोगोनें ..."
" चिंता मत करो ... यहां हम तुझे ठाठबाठमें रखनेवाले है ... हमने तुम्हे अंजलीजीके रिस्तेदारोंके कहे अनुसार यहा लाया है ... वैसे वे लोग बहुत अच्छे है ... जादातर ऐसे झमेलेमें पडते नही है ... लेकिन क्या करे इसबार बाते उनके बसके बाहर निकल गई .. फिरभी उन्होने तुम्हे कोई तकलिफ ना हो इसका खास ध्यान रखनेकी हिदायत दी है ... "
अलेक्स वहांसे उठकर जानेलगा तो विवेक चिल्लाया.
" मुझे छोड दो ... मुझे पकडकर तुम्हे क्या मिलनेवाला है ?"
अलेक्स जाते हूए एकदमसे रुक गया, और मुंहपर उंगली रखते हुए विवेकसे बोला,
" चूप जादा आवाज नही करना ... "
फिर अपने दो साथीकी तरफ देखकर वह बोला, " ओय... तुम दोनो इसपर ध्यान रखो ... "
फिर दुबारा विवेककी तरफ देखकर अलेक्स बोला, " और मजनू तूम ... जादा चालाकी करनेकी कोशीश मत करना.. नही तो दोनो पैर तोडकर तुम्हारे हाथमें दे देंगे... और ध्यान रखो अंजलीजीके रिश्तेदार अच्छे लोग होंगे ... हम नही ... "
अलेक्स आगे और उसके दो साथी उसके पिछे पिछे कमरेके बाहर निकल गए. उन्होने कमरेको बाहरसे ताला लगाकर चाबी उन दोनोंमेसे एक के पास दी, उसे वह चाबी संभालकर रखनेकी हिदायत दी और अलेक्स वहांसे निकल गया.
continued
credit
- hindinovels.net, Google
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